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जानिए 5G को लेकर अमेरिका और चीन में क्यों छिड़ा है युद्ध
भारत में इस साल के अंत तक मोबाइल फोन कंपनियों के लिए 5 जी यानी फिफ्थ जेनरेशन स्पेक्ट्रम की नीलामी पूरी हो जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि 100 दिनों में 5जी नेटवर्क ट्रायल शुरू हो जाएंगे। भारत में 5 जी टेक्नोलॉजी विकसित करने में चीन की कंपनी हुवावे भी रेस में है।
नई दिल्ली: भारत में इस साल के अंत तक मोबाइल फोन कंपनियों के लिए 5 जी यानी फिफ्थ जेनरेशन स्पेक्ट्रम की नीलामी पूरी हो जाएगी। उम्मीद जताई जा रही है कि 100 दिनों में 5जी नेटवर्क ट्रायल शुरू हो जाएंगे। भारत में 5 जी टेक्नोलॉजी विकसित करने में चीन की कंपनी हुवावे भी रेस में है।
दुनिया के कई देशों में हुवावे 5 जी टेक्नोलॉजी विकसित कर रही है, लेकिन अमेरिका ने खुद तो अपने यहां हुवावे पर बैन लगाया ही है दूसरे देशों पर भी दबाव डाल रहा है कि वह इस चीनी कंपनी को अपने यहां टेक्नोलॉजी डेवलप न करने दें।
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5G आपके मोबाइल और कंप्यूटर के अलावा बहुत से डिवाइसेज को इंटरनेट से जोड़ेगा। ऐसे में 5G टेक्नॉलजी पर दबदबा बनाना बेहद अहम हो जाता है और इसी को लेकर दुनिया के दो तातकवर देश अमेरिका और चीन के बीच एक तरह की 'जंग' छिड़ी है।
5G का कौन पहले और ज्यादा फायदा उठाएगा, इसको लेकर चीन और अमेरिका के बीच प्रतिस्पर्धा चल रही है। हम आपको बता रहे हैं कि क्या है 5G और यह कैसे दुनिया की तस्वीर बदल सकता है।
अगर डाउनलोड स्पीड के मामले में 4G और 5G की तुलना करें तो जहां 4G की डाउनलोड स्पीड 1Gb/S है। वहीं, 5G की डाउनलोड स्पीड 20Gb/S होगी।
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अगर हम 5GB फुल HD मूवी के डाउनलोड में लगने वाले समय की बात करें तो 2G में इस फिल्म की डाउनलोडिंग में 1 महीने से ज्यादा का समय लगता था। वहीं, 3G में यह मूवी 1 दिन में डाउनलोड होती थी। जबकि 4G में 5GB फुल HD मूवी के डाउनलोड में 7 मिनट का वक्त लगता है। वहीं, 5G नेटवर्क पर यह फिल्म सिर्फ 40 सेकंड में डाउनलोड हो जाएगी।
जो देश पहले 5G मोबाइल टेक्नॉलजी अपनाएगा, उसे उतना अधिक आर्थिक फायदा होगा। अमेरिका और चीन के बीच इसी कारण हुवावे को लेकर लंबे समय से तकरार चल रही है। हुवावे को 5G टेक्नॉलजी के मामले में लीडर के रूप में देखा जा रहा है। चीन ने 2018 में ही एक दर्जन से ज्यादा शहरों में 5G का ट्रॉयल शुरू कर दिया था। वहीं, अमेरिका में इस साल 5G का पहला डेप्लॉयमेंट अभी चल रहा है।