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आंध्र प्रदेश में रहस्यमयी बीमारी: सैंकड़ों लोग हुए शिकार, अब हुआ चौंकाने वाला खुलासा
एलुरु के चपेट में आए बीमार लोगों में से केवल 13 मरीजों का इलाज अभी भी जारी हैं। वहीं, इस बीमारी से ठीक हो चुके लोगों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है, लेकिन अब तक इस बीमारी का पता नहीं चल पाया है कि यह बीमारी कहां से आई है।
अमरावती: कोरोना महामारी के बाद देश में एक अजीबोगरीब बीमारी सामने आई है। बता दें कि आंध्र प्रदेश में एक रहस्यमई बीमारी चर्चा में बनी हुई है, जिसका नाम एलुरु बताया जा रहा है। इस बीमारी के चपेट में 600 से ज्यादा लोग आ चुके हैं। बीमार हुए लोगों खाने पीने की जानकारी ली गई, जिसमें विशेषज्ञों ने पाया कि विभिन्न समूह के पीड़ितों के भोजन में कई तरह की असामान्यताएं पाए गए। प्रदेश में आई इस रहस्यमयी बीमारी को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने चिकित्सा विशेषज्ञों से सलाह मांगा है।
एलुरु नाम की बीमारी ने आन्ध्र प्रदेश में दी दस्तक
आंध्र प्रदेश में फैल रही एलुरु नाम की बीमारी की रिपोर्ट को देखते हुए सीएम जगनमोहन रेड्डी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अमरावती के चिकित्सा विशेषज्ञों से बातचीत की। मिली जानकारी के अनुसार, एलुरु से पीड़ित दो व्यक्तियों को 10 दिसंबर को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इन दोनों मरीजों में से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई और दूसरे मरीज की हालत गंभीर है। बता दें कि इस बीमारी की चपेट में कुल 613 लोग आ चुके हैं। राहत की बात यह है कि अब इस बीमारी से पीड़ित लोगों की संख्या घट रही है। वहीं, राज्य सरकार ने चिकित्सा विशेषज्ञों से इस बीमारी को लेकर जल्द से जल्द सलाद मांगी हैं।
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बीमारी का पता लगाने में जुटे विशेषज्ञ
आपको बताते चलें कि अब तक इस बीमारी को लेकर जो भी रिपोर्ट सामने आई है, उस पर विशेषज्ञ अपनी नजर बनाए हुए हैं। बता दें कि एम्स और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी ने एलुरु से बीमार लोगों के खून की नमूने में लेड और निकेल पाया, लेकिन उन्हें पानी में कुछ नहीं मिला। वही नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन ने सब्जियों में कीटनाशकों और हर्बिसाइड अवशेषों को और चावल में मर्करी के निशान का सबूत मिला है। रक्त में ऑर्गोफास्फोरस के अवशेष भी पाए, लेकिन कहा कि इसका अध्ययन किया जाना चाहिए कि वे मनुष्यों में कैसे प्रवेश कर पाए हैं।
वायु गुणवत्ता और पानी की गुणवत्ता की हुई जांच
इन सबके अलावा आंध्र प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा संचालित परिवेशी वायु गुणवत्ता और पानी के एक अध्ययन से पता चला है कि पानी में भारी धातु की उपस्थिति नहीं है। वहीं विशेषज्ञ पता लगाने में जुटे हैं कि क्या कोरोना वायरस की स्वच्छता कार्यक्रमों में इस्तेमाल किए जाने वाले क्लोरीन और ब्लीचिंग पाउडर के अत्यधिक उपयोग से तो हानि नहीं हुआ है।
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13 मरीजों का इलाज अभी भी है जारी
एलुरु के चपेट में आए बीमार लोगों में से केवल 13 मरीजों का इलाज अभी भी जारी हैं। वहीं, इस बीमारी से ठीक हो चुके लोगों को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया है, लेकिन अब तक इस बीमारी का पता नहीं चल पाया है कि यह बीमारी कहां से आई है। इस अजीबो गरीब बीमारी को देखते हुए राज्य सरकार ने कहा है कि वह इस बीमारी इस संबंध में पूरी रिपोर्ट का इंतजार कर रही हैं।
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