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ट्रैक्टर पर बैठकर किसान ने चलाई कई राउंड गोलियां, 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज
किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार के साथ होने वाली चर्चा हमारे एजेंडे पर होगी। हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, अब चर्चा कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर होनी चाहिए।
नई दिल्ली: रुड़की के उत्तम शुगर मिल में किसान द्वारा फायरिंग करने का मामला सामने आया है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी ही तेजी के साथ वायरल हो रहा है।
इस वीडियो में एक किसान गन्ने से लदी ट्रैक्टर ट्राली पर बैठकर खुलेआम फायरिंग करता नजर आ रहा है। पुलिस ने इस मामले में 7 लोगो के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और एक शख्स को गिरफ्तार कर तमंचा और कारतूस बरामद की है।
पुलिस ने पड़ताल करने पर पाया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये वीडियो दो दिन पहले का है। फिलहाल पुलिस इस मामले में आरोपियों से पूछताछ कर रही है।
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बिहार में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज
बिहार की राजधानी पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और लेफ्ट पार्टियों की ओर से राजभवन तक निकाले जा रहे मार्च को पुलिस ने रोक दिया।
इसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हुई। इस दौरान पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया। जिसमेंकई लोगों को चोटें भी आई हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन चल रहा है। कई छोटे-बड़े संगठनों ने किसान आन्दोलन का समर्थन किया है। विपक्ष ने तो पहले से ही अपना समर्थन दे रखा है।
किसान आन्दोलन: पटना में प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने किया लाठीचार्ज, कई चोटिल(फोटो: सोशल मीडिया)
किसानों के आंदोलन का आज 34वां दिन
सरकार का प्रस्ताव मिलने पर किसानों ने साफ कहा है कि वो कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर ही चर्चा करेंगे। दरअसल 26 दिसंबर को किसानों ने सरकार को 4 शर्तों पर बातचीत का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें पहली शर्त यही है कि तीनों कृषि कानून खारिज करने की प्रक्रिया पर सबसे पहले बात हो। अपनी मांगों के साथ किसान 34वें दिन भी दिल्ली के बॉर्डर पर डटे हैं।
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किसान आन्दोलन(फोटो: सोशल मीडिया)
हमारी शर्तों पर होगी चर्चा: राकेश टिकैत
किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि सरकार के साथ होने वाली चर्चा हमारे एजेंडे पर होगी। हम सरकारी प्रस्ताव को ठुकरा चुके हैं, अब चर्चा कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर होनी चाहिए। अभी हमारे आंदोलन को 33 दिन हुए हैं, सरकार नहीं मानी तो 66 दिन भी हो जाएंगे।
विपक्षी पार्टियों के अलावा कई छोटे-बड़े संगठनों ने किसानों के आन्दोलन का समर्थन किया है। लोगों के समर्थन करने का ये सिलसिला लगातार बढ़ता ही जा रहा है।
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