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जब इंदिरा की खतरे में पड़ गई थी जान, चढ़ाना पड़ा था 80 बोतल खून

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश हित के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। उन्होंने देश की राजनीति में एक नया मोड़ दिया। इंदिया गांधी को देश हित के लिए जो सही लगता था वो फैसला वो जरुर लेती थी।

Shreya
Published on: 28 Jan 2020 8:45 AM GMT
जब इंदिरा की खतरे में पड़ गई थी जान, चढ़ाना पड़ा था 80 बोतल खून
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जब इंदिरा की खतरे में पड़ गई थी जान, चढ़ाना पड़ा था 80 बोतल खून

देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश हित के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए। उन्होंने देश की राजनीति में एक नया मोड़ दिया। इंदिया गांधी को देश हित के लिए जो सही लगता था वो फैसला वो जरुर लेती थी। उन्हें किसी भी फैसले को कट्टरता से लागू करवाना आता था। देश में जो इमरजेंसी लागू हुई थी वो उनके द्वारा लागू किए गए फैसलों में से एक था। वैसे तो आपने उनकी जिंदगी से जुड़ी बहुत सी बातें सुनी होंगी और जानते होंगे, लेकिन आज हम आपको उस दिन का वाक्या बताने जा रहे हैं, जिस दिन देश ने इंदिरा गांधी के तौर पर अपना एक तारा खो दिया था।

सामान्य दिन की तरह कराया था अपना रुटीन चेकअप

31 अक्टूबर, 1984 एक वो दिन जिस दिन इंदिरा गांधी के साथ-साथ राजनीति के एक अध्याय का अंत हो चला था। 31 अक्टूबर के दिन इंदिरा गांधी के ही सिख बॉडीगार्ड्स बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उनकी हत्या कर दी थी। उस दिन वो सामान्य दिन की तरह ही अपने रूटीन चेकअप के लिए डॉक्टर से मिली और फिर पीटर उस्तिनोव को उन्हें इंटरव्यू देना था। जिसके लिए उन्होंने अपनी बुलेटप्रूफ जैकेट भी नहीं पहनी।

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36 गोलियां की हुई थी बौछार

इंदिरा गांधी सुबह 9.12 बजे सरकारी आवास 1 सफदरजंग रोड से निकल रही थीं। तभी उनके दो सिख बॉडीगार्ड्स बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उन पर गोलियों की बौछार करनी शुरु कर दी और जब तक कोई मदद के लिए आगे बढ़ता उन्होंने इंदिरा गांधी के शरीर से 36 गोलियां आर-पार कर दी थीं।

दोनों अंगरक्षकों ने इंदिरा को 36 गोलियां मारने के बाद कहा कि हमें जो करना था हमने कर दिया, अब जो आप लोगों को करना है आप कर लो। तभी नारायण सिंह, जो छाता लेकर इंदिरा गांधी के साथ चल रहे थे, बेअंत सिंह के ऊपर कूदकर जमीन पर पटक दिया।

एम्स हॉस्पिटल में कराया गया था एडमिट

जब सोनिया गांधी ने उनकी आवाज सुनी तो वो भागकर वहां आईं और इंदिरा गांधी को खून से लथपथ देखकर वो बुरी तरह से घबरा गईं। इंदिरा गांधी को तुरंत एम्स हॉस्पिटल में ले जाया गया। कार बहुत ही तेजी के साथ एम्स की तरफ बढ़ रही थी। इंदिरा गांधी का गाउन पूरी तरह से खून से सन चुका था।

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हॉस्पिटल में था इंदिरा के ब्लड ग्रुप का लिमिटेड स्टॉक

कार 9.32 पर एम्स हॉस्पिटल पहुंची और वहां पर इंदिरा गांधी को बचाने के लिए खून चढ़ाने की आवश्यकता थी। हॉस्पिटल में इंदिरा गांधी के ब्लड ग्रुप O RH निगेटिव का लिमिटेड स्टॉक था। वहां पर पहुंच कर उन्होंने एम्स के वरिष्ठ कार्डियॉलॉजिस्ट को इसकी सूचना दी। इंदिरा गांधी की धड़कन में हल्की-हल्की हलचल दिखाई दे रही थी। उनकी आंखों की पुतलियां फैली गई थीं, जिससे ये मालूम पड़ रहा था कि उनके दिमाग को बहुत क्षति पहुंची है।

80 बोतल चढ़ा था खून

वहां पर इंदिरा को बचाने के प्रयास में उनके मुंह के जरिए उनकी सांस की नली में एक ट्यूब डाली गई, ताकि उनके फेफडों में ऑक्सीजन पहुंच सके। यही नहीं उनको बचाने के लिए कुल 80 बोतल खून चढ़ाया गया था, लेकिन इतनी कोशिशों के बाद भी उनकी जान नहीं बच पाई।

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