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अगर महंगा होगा पेट्रोल-डीजल, तो ना लें टेंशन इस तरीके से चलेगी आपकी गाड़ी

हम आपके लिए लाए हैं पेट्रोल-डीजल से जुड़ी एक खुशखबरी लाए हैं। अगर पेट्रोल-डीजल महंगा भी हो जाता तो इसमें आपको टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है।

Roshni Khan
Published on: 27 Jun 2023 11:40 AM GMT
अगर महंगा होगा पेट्रोल-डीजल, तो ना लें टेंशन इस तरीके से चलेगी आपकी गाड़ी
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नई दिल्ली: हम आपके लिए लाए हैं पेट्रोल-डीजल से जुड़ी एक खुशखबरी लाए हैं। अगर पेट्रोल-डीजल महंगा भी हो जाता तो इसमें आपको टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है। दुग्ध संयंत्र के कचरे और काई के मिश्रण से ऐसा जैव ईंधन तैयार कर लिया गया है, जो पेट्रोल या डीजल का सस्ता, कारगर और पर्यावरण हितैषी विकल्प हो सकेगा। इसका ट्रायल हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित शूलिनी विवि में बने इस बायो फ्यूल से वाहन का इंजन भी चलाकर देखा गया और ये सफल भी रहा। और तो और यह जैव ईंधन अंतरराष्ट्रीय मानकों पर भी खरा उतरा है।

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शूलिनी विवि के शोध दल ने यह खोज निकाला है। अब इसे पेटेंट कराने की तैयारी की जा रही है। नदियों में पाए जाने वालेविशेष काई और मिल्क प्लांट के कचरे से जैव ईंधन को बनाने की युक्ति बायो टेक्नोलॉजी विभाग के प्रोफेसर व डीन सौरभ कुलश्रेष्ठ और पीएचडी स्कॉलर सन्र्नी बिंद्रा विकसित की है। उनका कहना है कि यह प्रोजेक्ट सौ फीसद वेस्ट मैटीरियल पर निर्भर है। इससे किसी भी तरह के वाहन, मसलन कार, हवाई जहाज, रेलगाड़ी आदि के इंजन को चलाया जा सकेगा। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर यह ईंधन खरा पाया गया है। लिहाजा, छुटपुट बदलाव के बाद इसे आम इस्तेमाल के योग्य बनाया जा सकेगा।

विशेष रसायन मिलाकर जैव ईंधन बनाया जा सकता है

काई में कुछ विशेष रसायन मिलाकर जैव ईंधन बनाया जा सकता है, लेकिन शोधकर्ताओं ने इसमें मिल्क प्लांट के वेस्ट मैटीरियल को इस्तेमाल किया। इससे काई की मात्रा में वृद्धि हुई और बेहतर बायो फ्यूल तैयार हो सका। अन्य काई में ऑयल कंटेंट की कमी होती है, जबकि नदियों में पाए जाने वाले काई में यह प्रचुरता में होता है। रसायन की जगह मिल्क प्लांट के वेस्ट को मिलाने पर शैवाल की क्षमता में वृद्धि हुई। रसायनों की तुलना में भी यह सस्ता विकल्प साबित हुआ। प्रदूषणरहित होना भी इसकी खूबी है। इस प्रोजेक्ट को अगर बड़े स्तर पर शुरू कर दिया जाता है तो पेट्रोल और डीजल के लिए दूसरे देशों पर भारत की निर्भरता खत्म हो सकती है।

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हमने इस जैव ईंधन से वाहन का इंजन चलाकर देखा और इसका ट्रायल सफल रहा। यह जैव ईंधन अधिकतर अंतरराष्ट्रीय मानकों पर भी खरा उतरा है। लैब परीक्षण में इसने बेहतर परिणाम दिए हैं। यदि इसे बाजार में उतारा जाए तो फिलहाल इसकी कीमत डीजल से अधिक पड़ेगी, लेकिन बड़े स्तर पर काम शुरू होने पर कीमत काफी कम हो जाएगी।

Roshni Khan

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