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कागज से होगी कोरोना जांच: वैज्ञानिकों ने खोज निकाला नया तरीका, मिनटों में टेस्ट

भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कागज आधारित टेस्ट विकसित किया गया है। इस कागज आधारित ‘इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर’ का उपयोग करने वाली इस जांच में 5 मिनट के अंदर ही कोरोना वायरस की मौजूदगी के बारे में पता चल सकता है।

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Published on: 9 Dec 2020 1:01 PM GMT
कागज से होगी कोरोना जांच: वैज्ञानिकों ने खोज निकाला नया तरीका, मिनटों में टेस्ट
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भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कागज आधारित टेस्ट विकसित किया गया है। इस कागज आधारित ‘इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर’ का उपयोग करने वाली इस जांच में 5 मिनट के अंदर ही कोरोना वायरस की मौजूदगी के बारे में पता चल सकता है।

वॉशिंगटन: कोरोना वायरस की जांच के लिए भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कागज आधारित टेस्ट विकसित किया गया है। इस कागज आधारित ‘इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर’ का उपयोग करने वाली इस जांच में 5 मिनट के अंदर ही कोरोना वायरस की मौजूदगी के बारे में पता चल सकता है। ऐसे में विशेषज्ञों के अनुसार, अगर ये टेस्‍ट पूरी तरह से सफल रहता है तो इससे करोड़ों लोगों को काफी फायदा होगा। साथ ही देश को बड़ी उपलब्धि भी हासिल होगी।

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‘ग्राफीन-बेस्ड इलकेबायोसेंसर’

ऐसे में अमेरिका में इलिनोइस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 की आनुवंशिक कणों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक ‘इलेक्ट्रिकल रीड-आउट सेटअप’ के साथ एक ‘ग्राफीन-बेस्ड इलकेबायोसेंसर’ विकसित किया है।

इसमें पत्रिका ‘एसीएस नैनो’ में प्रकाशित एक अनुसंधान के अनुसार, इस बायोसेंसर में दो घटक हैं, एक ‘इलेक्टोरल रीड-आउट’ को मापने और दूसरा वायरल आरएनए(RNA) की उपस्थिति का पता लगाने के लिए होता है।

ऐसे में इसके निर्माण के लिए, प्रोफेसर दिपंजन पान के नेतृत्‍व में अनुसंधानकर्ताओं ने एक प्रवाहकीय फिल्म बनाने के लिए ‘ग्रेफीन नैनोप्लेटलेट्स’ की एक परत फिल्टर पेपर पर लगाई और फिर उन्होंने इलेक्ट्रिकल रीड-आउट के लिए एक सम्पर्क पैड यानी कॉन्टेक्ट पैड के रूप में ग्राफीन के शीर्ष पर पूर्वनिर्धारित डिजाइन के साथ सोने का एक इलेक्ट्रोड रखा।

corona test kit फोटो-सोशल मीडिया

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‘सेंसिटिविटी’ और ‘कन्डक्टिवटी’

इसके बाद सोने और ग्रेफीन दोनों में अधिक ‘सेंसिटिविटी’ और ‘कन्डक्टिवटी’ होती है, जो विद्युत संकेतों में परिवर्तन का पता लगाने के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म को अल्ट्रासोनिक बनाता है।

ऐसे में अनुसंधानकर्ताओं की टीम को इससे उम्मीद है कि कोविड-19 के अलावा इसका इस्तेमाल अलग-अलग बीमारियों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है। अगर परीक्षण सफल रहा तो ये बड़ी कामयाबी होगी।

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