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Aditya-L1 Sun Study: बात सूर्य की, क्या है इसका असली रंग ?
Aditya-L1 Solar Mission Study Sun: आप बता सकते हैं कि सूर्य किस रंग का है? कोई कहेगा लाल तो कोई पीला। लेकिन यह रंग के बारे में आपकी व्याख्या, रंगों के काम करने के तरीके, हमारी आंखों के देखने के तरीके और हम जिस हवा के माध्यम से देखते हैं उस पर निर्भर करता है।
Aditya-L1 Sun Study Colour: भारत का "आदित्य एल-1" सूर्य के रहस्य जानने के लिए अपनी यात्रा पर चल निकला है। सूर्य अन्वेषण में कदम रखते हुए भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। बात करते हैं सूर्य के बारे में। सो, क्या आप बता सकते हैं कि सूर्य किस रंग का है? कोई कहेगा लाल तो कोई पीला। लेकिन यह रंग के बारे में आपकी व्याख्या, रंगों के काम करने के तरीके, हमारी आंखों के देखने के तरीके और हम जिस हवा के माध्यम से देखते हैं उस पर निर्भर करता है। वैसे, बता दें कि सूर्य का रंग सफेद है।
ब्लैकबॉडी
दरअसल, इसमें थर्मोडायनामिक्स का मामला है। थर्मोडायनामिक्स यह बताता है कि कैसे तापमान वस्तुओं के व्यवहार को प्रभावित करता है। थर्मोडायनामिक्स के तहत वैज्ञानिकों ने "ब्लैकबॉडी" की अवधारणा डेवलप की है। ब्लैकबॉडी का मतलब एक ऐसी वस्तु जो उस पर पड़ने वाले सभी विकिरण को पूरी तरह से सोख लेती है। वह वस्तु अपने चारों ओर किसी भी विकिरण के अभाव में, पूरी तरह से ठंडी होगी। बिल्कुल भी गर्मी बाहर नहीं फेंकेगी। लेकिन प्रकाश की उपस्थिति में ब्लैकबॉडी गर्म होना शुरू हो जाएगी। जैसे ही उसने ऐसा किया, यह उस गर्मी को प्रकाश के रूप में रिफ्लेक्ट करेगी और पूरे स्पेक्ट्रम में प्रकाश फैलाएगी। तापमान के आधार पर उस प्रकाश की चमक एक विशिष्ट रंग में चरम पर होगी।
गर्म गैस का गोला
सूर्य अत्यधिक गर्म गैस का एक गोला है और एक ब्लैकबॉडी की तरह काम करता है। इसके और एक वास्तविक ब्लैकबॉडी के बीच सबसे बड़ा अंतर इसके वायुमंडल में हाइड्रोजन और अन्य तत्वों की उपस्थिति है। आश्चर्यजनक रूप से सूर्य स्पेक्ट्रम के नीले और हरे भागों में सबसे चमकीला होता है। लाल रंग की ओर मंद हो जाता है।
हमारी आंखें और प्रकाश
जब प्रकाश हमारी आंखों के सिलेंडर के आकार वाले सेल्स या कोशिकाओं से टकराता है, तो वे मस्तिष्क को संकेत भेजते हैं कि विभिन्न रंगों में प्रकाश कितना तीव्र है। मस्तिष्क उन संकेतों की तुलना करके उन्हें रंगों के रूप में समझता है। अगर आने वाला प्रकाश विज़िबल स्पेक्ट्रम में समान रूप से चमकीला है, तो हमें वह प्रकाश सफेद दिखाई देता है। सूरज के साथ ऐसा ही होता है इसलिए वह सफेद दिखता है।
अंतरिक्ष में सूर्य का रंग
अंतरिक्ष में चहलकदमी कर रहे अंतरिक्ष यात्रियों को सूर्य को सफ़ेद रंग में दिखता है क्योंकि वहां वातावरण में कोई हवा नहीं है। जब सूर्य का प्रकाश हमारी हवा से होकर गुजरता है, तो उस रोशनी का कुछ भाग अवशोषित हो जाता है या दूर बिखर जाता है। हालांकि सभी रंग समान रूप से प्रभावित नहीं होते हैं: नीले सिरे की ओर प्रकाश लाल की तुलना में कहीं अधिक दूर बिखर जाता है। आकाश इसीलिए नीला नज़र आता है क्योंकि हम आकाश में चारों ओर से बिखरी हुई रोशनी को आते हुए देखते हैं, जो इसे नीले रंग में रंग देती है। सूर्य नीले रंग के बराबर बैंगनी रोशनी नहीं उत्सर्जित करता है। हमारी आँखें भी बैंगनी के प्रति उतनी संवेदनशील नहीं हैं। इसलिए आकाश बैंगनी नहीं दिखता है। इस प्रक्रिया से सूर्य का रंग थोड़ा बदल जाता है।
मस्तिष्क में रंगों की प्रोसेसिंग
यह भी समझना जरूरी है कि हमारा मस्तिष्क सापेक्ष तरीके से यानी कंट्रास्ट में रंग की व्याख्या करता है। हम अपनी नजर के क्षेत्र में एक वस्तु के रंग की तुलना अन्य वस्तुओं से करते हैं। यदि आकाश नीला दिखता है, तो इससे सूर्य भी पीला दिखाई दे सकता है। लेकिन वह पीला है नहीं। इसे ऐसे समझिए कि अगर सूरज वास्तव में पीला होता, तो सफेद कागज - जो सभी रंगों में प्रकाश को बहुत अच्छी तरह से प्रतिबिंबित करता है - सूरज की रोशनी में भी पीला दिखना चाहिए। लेकिन यह सफेद दिखता है। इसके अलावा, सूर्य को सीधे देखकर उसके रंग का अनुमान लगाना बहुत कठिन है। सूर्य को वैसे भी सीधे नहीं देखना चाहिए क्योंकि सूर्य से आने वाली इन्फ्रारेड रोशनी हमारे रेटिना को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए जब आप किसी चीज़ को देख नहीं सकते तो उसका रंग बताना कठिन है।