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देश में कॉन्डम के 90 साल, नोट करो '10 मारक बातें', बहुत ज्ञान मिलेगा

देश में कॉन्डम पहली बार 1930 में नजर आया था। उस समय इसके विज्ञापन सिर्फ अंग्रेज़ी में हुआ करते थे। गोरे इसे ‘बर्थ प्रोटेक्टर’ कहा करते थे। उस समय हमारे दादा के भी दादा जी इसे इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं समझते थे। वर्ना पट्टीदारों की इतनी लंबी फौज न खड़ी होती।

Rishi
Published on: 17 July 2019 6:27 AM GMT
देश में कॉन्डम के 90 साल, नोट करो 10 मारक बातें, बहुत ज्ञान मिलेगा
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लखनऊ : देश में कॉन्डम पहली बार 1930 में नजर आया था। उस समय इसके विज्ञापन सिर्फ अंग्रेज़ी में हुआ करते थे। गोरे इसे ‘बर्थ प्रोटेक्टर’ कहा करते थे। उस समय हमारे दादा के भी दादा जी इसे इस्तेमाल करने की जरुरत नहीं समझते थे। वर्ना पट्टीदारों की इतनी लंबी फौज न खड़ी होती।

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लेकिन भाई साब 1968 में पहली बार कांग्रेस सरकार ने अमेरिका, जापान और कोरिया से 40 करोड़ कॉन्डम मंगवा लिए (उस समय इतनी ही आबादी जो थी देश की)। आज का हमारा ज्ञान इसी बारे में है..

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इन कॉन्डम को पहला सरकारी नाम मिला ‘निरोध’ और कीमत तय हुई 5 पैसे।

एरनाकुलम के तत्कालीन डीएम एस कृष्ण कुमार ने निरोध के लिए जबर कैम्पेन चलाया। तो भाई लोगों ने उनका नामकरण कर दिया ‘निरोध कुमार’।

ये वो दौर था जब सरकार देश की बढ़ती हुई आबादी से हिल गई। परिवार नियोजन के लिए निरोध का प्रचार शुरू हुआ। 80 के दशक में टीवी पर शुद्ध हिंदी भाषा में इसके विज्ञापन चलने लगे थे।

‘पूजा बेदी’ और ‘मार्क रॉबिन्सन’ के कामसूत्र कॉन्डम ऐड ने देश को हिला कर रख दिया था।

इस ऐड को लेकर बहुत बवाल हुआ, लेकिन एक बात और भी हो रही थी। उस समय अब लोग जागरूक भी होने लगे थे। लेकिन 1 लाख में कोई एक 1।

कॉन्डम के पैकेट पर गरमा गर्म फोटोज आने लगे। फ्लेवर और प्लेज़र की बाते होने लगीं।

आज के दौर में कॉन्डम ऐड फैमिली प्लानिंग की बात नहीं करते पान, सुपारी, केस,र आम, जामुन, कॉफ़ी और आचार पापड़ वाले फ्लेवर की बात करते हैं।

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अब कॉन्डम ऐड में 'प्यार हुआ इकरार हुआ' नहीं सुनाई देता बल्कि चरम सुख, यस बेबी! चरम सुख की बातें सनी लियॉन करती है और वो भी मारक तरीके से।

लेकिन आज भी हम दुकान पर हक़ से कॉन्डम नहीं मांगते। जबकि वो सुरक्षा के लिए है। वहीं सिगरेट और दारू पूरी ठसक से मांगते हैं।

हमें समझना होगा कि कॉन्डम यूज करने में कोई बुराई नहीं है तो खुल कर मांगों यार।

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Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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