TRENDING TAGS :
कोरोना के बाद इसने तोड़ दी कमर, हर दिन बढ़ता ही जा रहा
वीएम पोर्टफोलियो के रिसर्च हेड विवेक मित्तल ने बताया कि मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में 3 रुपये प्रति लीटर का इजाफा कर दिया था।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस की वजह से आर्थिक गतिविधियां थम सी गई हैं। जिसके चलते पिछले महीने कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आई थी। जबकि ओपेक देशों की ओर क्रूड ऑयल का उत्पादन घटने के बाद कीमतों में फिर से तेजी आने लगी है। जिसके चलते रेंट क्रूड के दाम बढ़कर 39 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गए है। वहीं, भारत में पेट्रोल की कीमतें भी तेजी से बढ़ी। पिछले 10 दिनों में पेट्रोल 5 रुपये से ज्यादा महंगा हो गया है। दूसरी ओर एक्सपर्ट्स का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल अभी भी एक लीटर पानी की पैकेज्ड बोतल से सस्ता है।
मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमत 39 डॉलर प्रति बैरल
वीएम पोर्टफोलियो के रिसर्च हेड विवेक मित्तल ने बताया कि मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में 3 रुपये प्रति लीटर का इजाफा कर दिया था। इसके बाद भी तेल कंपनियों ने कीमतों में टैक्स नहीं बढ़ाया। इसीलिए अब वो पेट्रोल पर रोजाना दाम बढ़ा रही है। इसके अलावा लॉकडाउन में ढील के बाद अचानक पेट्रोल और डीजल की डिमांड बढ़ी है। रुपये में गिरावट से भी तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है। लॉकडाउन के बीच तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा था। अब वे इसकी भरपाई कर रही है। मौजूदा समय में एक लीटर कच्चे तेल के दाम 39 डॉलर प्रति बैरल है। एक बैरल में 159 लीटर होते हैं। इस तरह से देखें तो एक डॉलर की कीमत 76 रुपये है।
ये भी पढ़ें- खतरे में गृह मंत्रालय: मंत्री-अधिकारियों की धड़कनें बढ़ी, स्वास्थ्य मंत्री से हुई थी मुलाकात
इस लिहाज से एक बैरल की कीमत 2964 रुपये बैठती है। वहीं, अब एक लीटर में बदलें तो इसकी कीमत 18.64 रुपये के करीब आती है। जबकि देश में बोतलबंद पानी की कीमत 20 रुपये के करीब है। तेल कंपनियों ने 7 जून से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि करना शुरू किया। इसके बाद के 10 दिन में अब तक पेट्रोल की कीमतों में 5.47 रुपये, जबकि डीजल के दाम में 5.80 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है। उम्मीद की जा रही है कि अगले दो हफ्तों में बढ़ोतरी के साथ ही 60 पैसे प्रति लीटर की राहत भी दी जा सकती है। तेल मंत्रालय के के मुताबिक, मई में तेल की कुल खपत 1.465 करोड़ टन रही, जो अप्रैल के मुकाबले 47.4 फीसदी ज्यादा है।
इन दो वजहों से बढ़ रहीं हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें
इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट के बावजूद भारत में उस अनुपात में पेट्रोल-डीजल की कीमतें क्यों नहीं घटतीं? इसकी दो बड़ी वजह हैं। पहली भारत में पेट्रोल-डीजल पर लगने वाला भारी टैक्स है। जबकि दूसरी वजह डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी है। समय दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत एक्स फैक्ट्री कीमत या बेस प्राइस 22.11 रुपये है। इसमें केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के रूप में 32.98 रुपये, ढुलाई खर्च 33 पैसे, डीलर कमीशन 3.60 पैसे और राज्य सरकार का वैट 17.71 रुपये होता है।
ये भी पढ़ें- इसके इस्तेमाल से कोरोना नहीं आएगा, बच जाएंगे आप
राज्य सरकार का वैट डीलर कमीशन पर भी लगता है। कुल मिला कर पेट्रोल की कीमत 76.73 रुपये हो जाती है। दूसरी वजह यानी रुपये की कमजोरी की बात करते हैं। इकोनॉमी में लगातार गिरावट के साथ ही हमारा रुपया भी लगातार कमजोर होता जा रहा है। दिसंबर 2015 में हम एक डॉलर के बदले 64.8 रुपये अदा करते थे। लेकिन अब ये 76 रुपये से ज्यादा हो गया हैं। सीधे-सीधे 15 फीसदी अधिक कीमत देनी पड़ रही है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय क्रूड हमारे लिए सस्ता होकर भी महंगा पड़ रहा है और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए यह बोझ बना हुआ है।