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प्रदूषण के चलते उम्र पहले से हो रही कम, फाँसी की जरूरत क्या: निर्भया दोषी

दोषी ने सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने में हुई देरी के लिए माफी की बात भी कही है। याचिका में अक्षय ने दलील दी है कि दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुच चुका है। जिसके चलते पूरी दिल्ली के साथ-साथ दिल्ली NCR गैस चेंबर में तब्दील हो चुका है।

SK Gautam
Published on: 10 Dec 2019 5:01 PM GMT
प्रदूषण के चलते उम्र पहले से हो रही कम, फाँसी की जरूरत क्या: निर्भया दोषी
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नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में 2012 हुए निर्भया कांड के दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की है। अक्षय सिंह को ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। इसकी सजा को दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। अक्षय ने पुनर्विचार याचिका में सुप्रीम कोर्ट से फांसी की सजा पर फिर से विचार करने की मांग की है।

निर्भया गैंगरेप केस के आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की पुनर्विचार याचिका

दोषी ने सुप्रीम कोर्ट से पुनर्विचार याचिका दाखिल करने में हुई देरी के लिए माफी की बात भी कही है। याचिका में अक्षय ने दलील दी है कि दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुच चुका है। जिसके चलते पूरी दिल्ली के साथ-साथ दिल्ली NCR गैस चेंबर में तब्दील हो चुका है। साथ ही इस बात का हवाला दिया गया कि यहां का पानी भी जहरीला हो चुका है। ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है तो फिर फांसी की सजा की जरूरत ही क्या है।

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अक्षय ने अपनी पुनर्विचार याचिका में लिखा कि वेद, पुराण और उपनिषदों में कहा गया है कि इंसान की उम्र धीरे-धीरे कम हो रही है। सतयुग और त्रेता युग में लोग हजार साल जीते थे, द्वापर में वह सौ साल जीने लगे और कलयुग में इंसानों की आयु और कम हो गई है, अब यह 50-60 साल हो गई है और शायद ही हम किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सुन पाते हों जो सौ साल तक जिया हो।

आपको बता दें उच्चतम न्यायालय ने नौ जुलाई, 2018 को इस सनसनीखेज अपराध में संलिप्त चार में से तीन दोषियों की पुनर्विचार याचिकायें खारिज कर दी थीं। अभी तक पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करने वाले दोषी 31 वर्षीय अक्षय के वकील ए पी सिंह ने बताया कि उसने मंगलवार को इस संबंध में याचिका दायर की है।

दक्षिण दिल्ली में चलती बस में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में 23 वर्षीय निर्भया से छह व्यक्तियों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर में माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।

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दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रखा था बरकरार

शीर्ष अदालत ने इससे पहले मुकेश, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की पुनर्विचार याचिका यह कहते हुये खारिज कर दी थी कि फैसले पर विचार करने का कोई आधार नहीं है। न्यायालय ने 2017 में निर्भया कांड के दोषियों को मौत की सजा देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा था उच्च न्यायालय ने इन मुजरिमों को मौत की सजा सुनाने के निचली अदालत के फैसले की पुष्टि की थी।

इस वारदात में शामिल छह आरोपियों में से एक राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था और उसे तीन साल की सजा पूरी करने के बाद सुधार गृह से रिहा कर दिया गया था।

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