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यात्रीगण कृपया ध्यान दें! रेलवे देने जा रहा बड़ा झटका, बढ़ाएगा इतना किराया

सूत्रों के मुताबिक, पिछले 7 महीनों में रेलवे अपने अर्निंग्स के टारगेट भी जबरदस्त तरीके से मिस कर गया है। यात्री और मालभाड़े में 19,000 करोड़ रुपए का शॉर्टफल है। जबकि एक्सपेंडिचर साइड में 5000 करोड़ रुपए तय टारगेट से ज्यादा खर्च हुए हैं।

Shivakant Shukla
Published on: 10 Dec 2019 4:19 PM GMT
यात्रीगण कृपया ध्यान दें! रेलवे देने जा रहा बड़ा झटका, बढ़ाएगा इतना किराया
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नई दिल्ली: ट्रेन से सफर करने वाले मुसाफिरों के लिए बड़ी खबर है। आने वाले दिनों में सरकार ट्रेनों के किराए में बढ़ोतरी करने जा रहा है। रेल मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों की मानें तो सरकार मौजूदा संसद के सत्र के खत्म होने के बाद किराए में बढ़ोतरी का ऐलान कर सकती हैं। रेल का किराया बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री के द्वारा अभी से हरी झंडी मिल चुकी है। किराया बढ़ाने के पीछे सबसे बड़ी वजह रेलवे की बिगड़ती आर्थिक स्थिति को बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सरकार बढ़े हुए किराए को 1 फरवरी 2020 से लागू करने के पक्ष में हैं।

15-20 फीसदी बढ़ सकता हैं किराया

इसके लिए रेल अधिकारियों के बीच मंथन शुरू हो चुका हैं। सूत्रों के मुताबिक रेलवे सबअर्बन ट्रेनों से लेकर मेल/एक्सप्रेस (Mail/Express) के हर क्लास के किराये में बढ़ोतरी करने जा रहा हैं। यह बढ़ोतरी 5 पैसे प्रति किलोमीटर से लेकर 40 पैसे प्रति किलोमीटर तक हो सकती है। इस तरह से रेलवे के हर क्लास के किराये में 15 से 20 फीसदी तक इजाफा हो जाएगा।

वहीं, फ्रेट यानी मालभाड़े में किसी भी तरीके के इजाफे के पक्ष में रेलवे नहीं है। मालभाड़े में किसी तरह के इजाफे नहीं करने के पीछे रोड सेक्टर से मिल रही जबरदस्त टक्कर को बड़ी वजह बताया जा रहा है।

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प्रस्ताव के मुताबिक, सरकार यात्री रेल किराए में बढ़ोतरी से क्रॉस सब्सिडी को कम करना चाहती है। क्रॉस सब्सिडी का मतलब है कि माल भाड़े से हुई कमाई को यात्री किराए में हुए घाटे में लगाकर भरपाई करना। सरकार यात्री किराए में बढ़ोतरी को लेकर नए फार्मूला अपना सकती है। इस नए फॉर्मूले से जिस रूट पर सबसे ज्यादा डिमांड है, वहां के किराए में ज्यादा बढ़ोतरी हो सकती है। वहीं, जिन रूट्स पर डिमांड कम है वहां आंशिक बढ़ोतरी की जा सकती है या फिर किराए को स्थिर रखा जा सकता है।

आखिर क्यों बढ़ाया जा सकता है रेल का किराया?

रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो लगातार बिगड़ता जा रहा है। पिछले 7 महीने में यानी अप्रैल-अक्टूबर तक भारतीय रेलवे का ऑपरेटिंग रेश्यो 108% रहा है। ऑपरेटिंग रेश्यो का मतलब होता है कि रेलवे 1 रुपए कमाने के लिए कितने पैसे खर्च करती है। अगर ये आंकड़ा 100 के पार है इसका मतलब है कि रेलवे का खर्च, रेलवे की कुल आय से कहीं ज्यादा है। और ये अच्छा संकेत नहीं है।

सूत्रों के मुताबिक, पिछले 7 महीनों में रेलवे अपने अर्निंग्स के टारगेट भी जबरदस्त तरीके से मिस कर गया है। यात्री और मालभाड़े में 19,000 करोड़ रुपए का शॉर्टफल है। जबकि एक्सपेंडिचर साइड में 5000 करोड़ रुपए तय टारगेट से ज्यादा खर्च हुए हैं।

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हालांकि रेल किराए बढ़ाने को लेकर पहले भी कोशिश की जा चुकी है। पूर्व रेलवे बोर्ड चेयरमैन बोर्ड अश्विनि लोहानी ने तीन बार सभी प्रीमियम ट्रेन से फ्लेक्सी फेयर किराए प्रणाली को हटाकर सब ट्रेनो के फ्लैट फेयर हाइक (fare hike) का प्रस्ताव रेल मंत्री पीयूष गोयल को भेजा था। लेकिन, तब रेल मंत्री ने राजनितिक कारणों से खासकर राज्यों में चुनाव को देखते हुए रेल किराए बढ़ाने के प्रस्ताव को लटका दिया था। तब से लेकर अब तक रेलवे की वित्तीय स्थिति में सुधार के बजाए गिरावट ही ज्यादा रही है।

रेलवे की अपनी कमाई भी 3 फ़ीसदी कम हो गई

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे का नेट रेवेन्यू सरप्लस 66 फ़ीसदी तक कम हो गया है। यह साल 2016-17 में 4913 करोड़ रुपये जबकि साल 2017-18 में घटकर 1665.61 करोड़ रुपये के करीब हो गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रेलवे की अपनी कमाई भी 3 फ़ीसदी कम हो गई जिसकी वजह से ग्रॉस बजटरी सपोर्ट पर इसकी निर्भरता बढ़ गई. सीएजी के मुताबिक रेलवे का ऑपरेटिंग रेशियो 98.44 हो गया. यानी 100 रुपये कमाने के लिए उसे 98 रुपये से ज़्यादा रकम खर्च करनी पड़ती है। यानी सीएजी रिपोर्ट भी रेलवे के किराये में बढ़ोतरी की ज़रूरत पर जोर दे रहा है।

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Shivakant Shukla

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