TRENDING TAGS :
AGR मामला: सुप्रीम कोर्ट में टेलीकॉम कंपनियों ने दायर की अर्जी, भुगतान के लिए...
टेलीकॉम कंपनियां वोडाफोन, आइडिया, टाटा टेलीसर्विसेज और भारती एयरटेल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दूरसंचार विभाग के साथ राशि भुगतान पर बातचीत करने की अनुमति देने के लिए अपने पहले के आदेश में संशोधन की मांग की है।
नई दिल्ली: टेलीकॉम कंपनियां वोडाफोन, आइडिया, टाटा टेलीसर्विसेज और भारती एयरटेल ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दूरसंचार विभाग के साथ राशि भुगतान पर बातचीत करने की अनुमति देने के लिए अपने पहले के आदेश में संशोधन की मांग की है।
टेलीकॉम कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि उन्हें दूरसंचार विभाग के साथ चर्चा करने और भुगतान करने के लिए समय दी जाए। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया समेत अन्य कंपनियों की पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि उसे याचिकाओं पर विचार करने के लिए कोई वाजिब वजह नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों को 23 जनवरी तक 1.47 लाख करोड़ रुपये सरकार को चुकाने के आदेश दिए थे।
यह पढ़ें...योगेंद्र यादव की सरकार को चेतावनी, कहा- हर बड़े आंदोलन के बाद होता है तख्तापलट
दूरसंचार विभाग (डॉट) सरकारी गैर दूरसंचार कंपनियों (पीएसयू) के मामले में 2.4 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के बकाये के भुगतान की 23 जनवरी की समय सीमा की कानूनी वैधता की जांच कर रहा है। सूत्रों ने ये जानकारी देते हुए कहा कि ये कंपनियां एजीआर मामले में सुप्रीम कोर्ट में मूल रूप से पार्टी नहीं थी।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2019 को अपने फैसले में कहा था कि दूरसंचार कंपनियों के एजीआर में उनके दूरसंचार सेवाओं से इतर राजस्व को शामिल किया जाना कानून के अनुसार ही है। 22 नवंबर को एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। इसमें फैसले पर पुनर्विचार करने और ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को माफ करने की अपील की गई थी।
इन कंपनियों पर करोड़ों का इतना बकाया
भारतीएयरटेल- 21,682.13, वोडाफोन-आइडिया-19,823.71,रिलायंस कम्युनिकेशंस-16,456.47 ,बीएसएनएल-2,098.72 ,एमटीएनएल-2,537.48
यह पढ़ें...सेना भर्ती में फर्जीवाड़े का एसटीएफ ने किया पर्दाफाश, चार गिरफ्तार
एजीआर
दूरसंचार कंपनियों को एजीआर का तीन फीसदी स्पेक्ट्रूम फीस और 8 प्रतिशत लाइसेंस फीस के तौर पर सरकार को देना होता है। कंपनियां एजीआर की गणना दूरसंचार ट्रिब्यूनल के 2015 के फैसले के आधार पर करती थीं। ट्रिब्यूनल ने उस वक्त कहा था कि किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ, डिविडेंड और ब्याज जैसे गैर प्रमुख स्रोतों से हासिल राजस्व को छोड़कर बाकी प्राप्तियां एजीआर में शामिल होंगी। जबकि दूरसंचार विभाग किराये, स्थायी संपत्ति की बिक्री से लाभ और कबाड़ की बिक्री से प्राप्त रकम को भी एजीआर में मानता है। इसी आधार पर वह कंपनियों से बकाया शुल्क की मांग कर रहा है।