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एम्स के डॉक्टरों का दावाः प्लाज्मा थेरेपी का कोई जादुई असर नहीं
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने एक परीक्षण में पायाहै कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मृत्यु के जोखिम को कमकरने में कारगर नहीं है।
नई दिल्ली: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टरों ने एक परीक्षण में पायाहै कि प्लाज्मा थेरेपी कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से मृत्यु के जोखिम को कमकरने में कारगर नहीं है। इन दिनों संक्रमण से ठीक हो जाने वाले लोगों के शरीर सेप्लाज्मा लेकर संक्रमित लोगों के उपचार पर काफी जोर दिया जा रहा है। लेकिन नईजानकारी से कोरोना के कारगर इलाज की उम्मीदों पर पानी फिर सकता है।
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एम्स ने कोविड-19 के 15-15 मरीजों के दो समूहों के साथ यहपरीक्षण किया। एक समूह को सामान्य उपचार दिया गया और दूसरे को सामान्य उपचार केअलावा प्लाज्मा भी दिया गया। एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने बताया कि दोनों समूहों में मरने वालों की संख्या बराबर रही। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों समूहों में मरीजों की हालत में सुधार में भी कोई विशेष अंतर नहीं पाया गया।
सोच समझ कर प्रयोग करना चाहिए
संस्थान के डॉक्टरों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी कोई जादुई तरीका नहीं है और जब तक ये पता नहीं चल जाता कि किस-किस तरह के मरीजों पर यह असर करती है, इसका इस्तेमाल बड़े विवेकपूर्ण ढंग से करना होगा। भारत में कोरोना प्रबंधन की नोडल संस्था आईसीएमआर भी प्लाज्मा थेरेपी की क्षमता परखने के लिए परीक्षण कर रही है, लेकिन उसके नतीजे अभी सामने नहीं आए हैं।
दिल्ली के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलियरी साइंसेज (आईएलबीएस) के निदेशक एस के सरीन ने बताया है कि आईएलबीएस में भी इस पर एक छोटा परीक्षण किया गया था और उसमें भी मृत्यु बचाने संबंधी कोई लाभ सामने नहीं आया। लेकिन उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी के दो लाभ जरूर नजर आए - मरीजों को सांस संबंधी परेशानियों से थोड़ी राहत मिली और उनके अस्पताल में भर्ती रहने की अवधि भी कम हो गई।
प्लाज्मा बैंक
आईएलबीएस के तहत ही दिल्ली में देश का पहला प्लाज्मा बैंक भी खुला है। इसके लिए कोरोना वायरस से संक्रमित हो कर ठीक होने वाले लोगों को रक्त-दान की तरह प्लाज्मा-दान करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। दिल्ली सरकार विशेष रूप से प्लाज्मा थेरेपी को ले कर उत्साहित रही है। विश्व के दूसरे देशों में कोविड-19 के उपचार में प्लाज्मा की उपयोगिता को ठीक से समझने की कोशिशें की जा रही हैं। दुनिया भर में 700 मरीजोंसे ली गई जानकारी के एक अध्ययन में पाया गया कि इसके उपयोग से कोविड-19 के मरीजों में मृत्यु दर को 50 प्रतिशत तक घटाने में सफलता मिली। लेकिन इस परीक्षण के नतीजों की अभी एक्सपर्ट्स द्वारा समीक्षा नहीं हुई है, इसलिए इसके नतीजों पर अभी पूरी तरह से विश्वास नहीं किया जासकता।
ठीक हुए कोरोना मरीजों के फेफड़े खराब
चीन के वुहान शहर में जितने भी मरीज कोरोना वायरस से ठीक हुए उनमें से ज्यादातर के फेफड़े बुरी हालत में हैं। यही नहीं रिकवर हुए मरीजोंमें से 5 फीसदी तो दोबारा कोरोना संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती हैं। हॉस्पिटल्स इंटेंटिव केयर यूनिट्स के निदेशक पेंग झियोंग केनेतृत्व में वुहान यूनिवर्सिटी की झॉन्गनैन अस्पताल में एक टीम एक सर्वे कर रही है। एक साल चलने वाले इस सर्वे का पहला फेज जुलाई में खत्म हुआ। इस सर्वे में जिन मरीजों पर काम किया गया उनकी औसत उम्र 59 साल है।
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कोरोना की दवा लांच
भारत की प्रमुख दवा निर्माता कंपनी ल्यूपिन ने भारत में हल्के से मध्यम लक्षण वाले कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार के लिए एंटीवायरल दवा फेविपिराविर लॉन्च करने की घोषणा की है। कोविहॉल्ट नाम से जारी इस दवा की एकटैबलेट की कीमत भारत में 49 रुपये रखी गई है। ल्यूपिन ने एक रेग्युलेटरी फाइलिंग में कहा कि उसे फेविपिराविर के आपातकालीन उपयोग के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मंजूरी मिल गई है। कंपनी के अनुसार, फेविपिराविर को 200 मिलीग्राम प्रति टैबलेट लांच किया जाएगा। 10 गोलियों की पट्टी के रूप में यह उपलब्ध होगा और इसकी कीमत 49 रुपये प्रति टैबलेट होगी।
एंटी-वायरल दवा : फेविपिराविर एकमात्र मौखिक एंटी-वायरल दवा है, जिसे हल्के से मध्यम कोरोना वायरस के मरीजों के उपचार के लिए लाभप्रद माना जाता है। कंपनी ने कहा है कि प्रशासन की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इसकी कोविहॉल्ट डोज़ की पोटेंसी विकसित की गयी है। इससे पहले 4अगस्त को सन फामास्युटिकल इंडस्ट्रीज ने फेविपिराविर को फ्लूगार्ड के नाम से बाजार में उतारा है।
भारत में फेविपिराविर का यह अब तक का सबसे सस्ता वर्जन है। सनफार्मा ने अपनी एक टैबलेट की कीमत 35 रुपये रखी है। सन फार्मा की तरफ से कहा गया कि भारत में प्रतिदिन 50,000 से अधिक कोविड-19 के मामले सामने आ रहे हैं। उनके उपचार के लिए चिकित्सकों को अधिक विकल्प उपलब्ध कराने की तत्काल आवश्यकता है। सन फार्मा दुनिया की चौथी सबसे बड़ी जेनेरिक और भारत की शीर्ष दवा कंपनी है।
वैक्सीन सप्लाई के लिए करार
पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया ने अमेरिकी वैक्सीन डेवेलपर नोवावैक्स के साथ कोरोना की वैक्सीन की सप्लाई के लिए एक करार किया है। इस वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल जारी है और अभी तक के परिणाम उत्साहजनक रहे हैं। सीरम इंस्टिट्यूट को भारत में इस वैक्सीन की सप्लाई का एक्सक्लूसिव अधिकार मिल गया है। इसके अतिरिक्त, सीरम इंस्टिट्यूट ऑक्सफ़ोर्ड की वैक्सीन कोवशील्ड का भारत में मानव ट्रायल कराने जा रहा है।
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया यानी भारतीय औषधि महानियंत्रक ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को इसके एडवांस ट्रायल की मंजूरी दे दी है। विश्व की बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनियों में शामिल सीरमइंस्टिट्यूट इसी महीने देश में दूसरे और तीसरे चरण का वैक्सीन ट्रायल शुरू कर पाएगी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्रा जेनेका कंपनी सीरम के साथ मिलकर वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाली है।
रूस का दावा : इस बीच रूस ने कहा है कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन क्लिनिकल ट्रायल में 100 फीसदी सफल रही है। इस वैक्सीन को रूस रक्षा मंत्रालय और गमलेया नैशनल सेंटर फॉर रिसर्च ने तैयारकिया है। रूस ने कहा कि क्लिनिकल ट्रायल में जिन लोगों को यह कोरोना वैक्सीन लगाई गई,उन सभी में कोरोना के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता पाई गई। रूस का कहना है कि सितम्बर से इस वैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। हालाँकि रूस की वैक्सीन पर यूनाइटेड किंगडम ने कहा है कि उसे इस पर भरोसानहीं है और रूसी वैक्सीन का इस्तेमाल यूके में नहीं किया जाएगा।
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फैक्ट
विश्व में कुल केस : 1,90,26,633
मौतें : 7,12,183
ठीक हुए : 1,22,07,505
भारत में केस : 19,77,972
मौतें : 40,888
ठीक हुए : 13,35,309
कुल टेस्ट : 2,21,49,351
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