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अजान से अंजान क्यों, कोर्ट ने कहा, अजान करिए लेकिन लाउडस्पीकर से नहीं

लाउडस्पीकर से अजान के मामले मे कोर्ट ने पिछले साल मई महीने में एक आदेश में कहा था कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं।

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Published on: 17 March 2021 7:51 AM GMT
अजान से अंजान क्यों, कोर्ट ने कहा, अजान करिए लेकिन लाउडस्पीकर से नहीं
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लाउडस्पीकर से अजान के मामले मे कोर्ट ने पिछले साल मई महीने में एक आदेश में कहा था कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है।

नीलमणि लाल

नई दिल्ली। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की वीसी ने जिलाधिकारी से शिकायत की है कि अल सुबह अजान के कारण उनकी नींद बाधित होती है ऐसे में प्रशासन लाउडस्पीकर से अजान करने पर रोक लगाये। मामला गरमा गया है और मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु नाराज हैं।

बता दें कि हाईकोर्ट पहले ही कह चुका है कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है।

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लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं

कोर्ट ने पिछले साल मई महीने में एक आदेश में कहा था कि अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग है लेकिन लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का धार्मिक भाग नहीं है। मस्जिदों से मोइज्जिन बिना लाउडस्पीकर अजान दे सकते हैं।

हाई कोर्ट ने कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार व्यक्ति के जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है। किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को आदेश दिया था कि वे जिलाधिकारियों से इसका अनुपालन कराएं।

क्या था मामला

कोरोना महामारी के चलते देश भर में लॉकडाउन था। उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार के आयोजनों व एक स्थान पर भीड़ एकत्र होने पर रोक लगायी गई थी और इसी के तहत लाउडस्पीकर बजाने पर भी रोक थी। इसी क्रम में गाजीपुर के जिलाधिकारी ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर से अजान करने पर रोक लगाने का मौखिक निर्देश दिया था।

Ajan loudspeaker फोटो-सोशल मीडिया

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इस आदेश का गाजीपुर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने विरोध किया और इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की थी। फर्रुखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल ने भी कोर्ट में याचिका दी थी। मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करके सरकार का पक्ष पूछा था।

सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने याचिकाओं को निस्तारित करते हुए फैसले में साफ कर दिया कि लाउडस्पीकर से अजान पर रोक सही है। कोर्ट ने कहा कि जब लाउडस्पीकर नहीं था तब भी अजान होती थी।

उस समय भी लोग मस्जिदों में नमाज पढ़ने के लिए एकत्र होते थे। ऐसे में यह नहीं कह सकते कि लाउडस्पीकर से अजान रोकना अनुच्छेद 25 के धार्मिक स्वतंत्रता के मूल अधिकारों का उल्लंघन है।

दूसरे को जबरन सुनाने का अधिकार नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 स्वस्थ जीवन का अधिकार देता है। बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब ये नहीं कि किसी को भी दूसरे व्यक्ति को जबरन सुनाने का अधिकार है।

निश्चित ध्वनि से अधिक तेज आवाज बिना अनुमति बजाने की छूट नहीं है। रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक स्पीकर की आवाज पर रोक का कानून है। कोर्ट के फैसले पर नियंत्रण का सरकार को अधिकार है।

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