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अकाली दल-भाजपा गठबंधन में बनी दरार

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Published on: 28 Feb 2020 8:07 AM GMT
अकाली दल-भाजपा गठबंधन में बनी दरार
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दुर्गेश पार्थसारथी

अमृतसर: शिरोमणि अकाली दल और भाजपा में दोस्ती तो है लेकिन इन दिनों दोनों दलों की ओर से जिस तरह के बयान आ रहे हैं उससे लगता है मामला कुछ गड़बड़ है। पंजाब में विधान सभा का चुनाव या लोकसभा चुनाव, दोनों में ही शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भारतीय जनता पार्टी मिल कर लड़ते आ रहे हैं। अब ऐसा लग रहा है कि 2022 में पंजाब में होने वाले विधानसभा चुनाओं के दौरान यह गठबंधन टूट सकता है।

भाजपा कार्यकर्ता पंजाब में शिअद से अलग हो चुनाव लडऩे की मांग करते आ रहे हैं। यह मांग पूर्व प्रदेश अध्यक्ष स्व. कमल शर्मा, विजय सांपला और श्वेत मलिक के समय में भी होती रही है। अब अश्वनी शर्मा के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनते ही यह मांग फिर से जोर पकडऩे लगी है। इसी साल फरवरी में कमल शर्मा के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अपने गृह नगर पठानकोट पहुंचने पर उनके स्वागत समारोह में पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल ने खुले मंच से कह दिया था कि भाजपा कब तक शिअद की पिछलग्गू बनी रहेगी। इस दौरान मंच पर प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के तमाम पदाधिकारी भी मौजूद थे। उस दौरान कमल शर्मा ने कहा कि कोई भी फैसला पार्टी का शीर्ष नेतृत्व लेता है। शिअद से अलग हो कर चुनाव लडऩे की बात को भी उन्होंने खारिज कर दिया।

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बादल ने केंद्र को घेरा

अमृतसर के राजासांसी में एक सभा को संबोधित करते हुए पांच बार मुख्यमंत्री रहे और शिअद के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने बिना नाम लिए जिस तरह से केंद्र सरकार को निशाने पर लिया वह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बादल ने अपने संबोधन में कहा था कि देश की मजबूती और विकास के लिए धर्मनिरपेक्ष सरकारें समय की जरूरत हैं। कोई भी राष्ट्र सिर्फ धर्मनिरपेक्ष सरकारों से ही सुरक्षित है। इन सिद्धांतों की जरा सी अनदेखी भी देश को कमजोर कर सकती है।

राजनीति के पुरोधा समझे जाने वाले प्रकाश बादल ने यह बयान यूं ही नहीं दिया। दरअसल, सीएए का पंजाब में मुस्लिम संगठनों, वामपंथी दलों और कुछ गर्म ख्याली सिख जत्थे बंदियों की तरफ से विरोध किया जा रहा है। कांग्रेस भी इसी पाले में है। सीएए के विरोध में पिछले कुछ दिनों में मुस्लिम संगठन विभिन्न जत्थे बंदियों के साथ धरने पर बैठे हुए हैं। लोकसभा और राज्यसभा में केंद्र सरकार के सहयोगी दल के रूप में शिअद ने सीएए का समर्थन किया था। ऐसे में प्रकाश सिंह बादल यह नहीं चाहते कि पंजाब में टकसालियों और मुस्लिमों का वोट शिअद से दूर हो। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रकाश सिंह बादल ने अल्पसंख्यकों को साथ लेकर चलने का मुद्दा भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत उठाया है।

शिअद ने बनाई केंद्र को घेरने की रणनीति

राज्य विधानसभा के बजट सत्र शुरू होने से पहले ही केंद्र सरकार में सहयोगी पार्टी शिअद ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। शिअद के महासचिव और राज्य सभा सदस्य बलविंदर सिंह बूंदड़ ने चंडीगढ़ में कहा था कि सभी पार्टियों को दो मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र के दौरान धरना देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि असंगठित होने के कारण किसान अपने को लुटवा रहे हैं जबकि अडानी और अंबानी जैसे लोगों ने सरकारें खरीद ली हैं। किसान भवन चंडीगढ़ में जिस समय भंदड़ ने यह बयान दिया उस समय उनके साथ भाजपा किसान प्रकोष्ठ के हरजीत सिंह भी मौजूद थे।

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भाजपा का शिअद को जवाब

शिअद-भाजपा में चल रहे राजनीतिक दांवपेच के बीच पूर्व मंत्री मास्टर मोहन लाल के बाद अब भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मदनमोहन मित्तल ने भी शिअद को करार जवाब दिया है। पंजाब की कुल 117 विधानसभा सीटों में से भाजपा मात्र 23 सीटों पर ही चुनाव लड़ती है। अब मित्तल ने अब 59 सीटों पर चुनाव लडऩे का दावा ठोक दिया है। इस दावे को राजनीतिक मामलों के जानकार इसे भाजपा की शिअद पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत देख रहे हैं। यही नहीं मित्तल के दावे को प्रकाश सिंह बादल के उस बयान का जिसमें उन्होंने भाजपा को सहयोगी दलों को साथ लेकर चलने की नसीहत दी थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि कि हम गठबंधन तोडऩा नहीं चाहते।

हम तो केवल अपना हक मांग रहे हैं। इसलिए तो ऐसा प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है जो 59 सीटों पर चुनाव लड़ सके। मित्तल ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि भाजपा पंजाब में केवल शहरी सीटों पर चुनाव लड़ती है, लेकिन ऐसा नहीं है। भाजपा ग्रामीण सीटों पर भी चुनाव लड़ेगी। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अश्वनी शर्मा पंजाब के सीमावर्ती जिला पठानकोट के रहने वाले हैं। वे पंजाब भाजपा के 13वें प्रदेश अध्यक्ष हैं। अश्वनी शर्मा की गिनती भाजपा के सफल प्रदेश अध्यक्षों में की जाती है।

अकाली दल शुरू कर सकता है धार्मिक आंदोलन

शिरोमणि अकाली दल राज्य की कांग्रेस सरकार के विरुद्ध धार्मिक आंदोलन छेडऩे की तैयारी में है। मामला हरियाणा के लिए अलग गुरुद्वारा कमेटी के गठन को लेकर कैप्टन सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए शपथ पत्र का है। चंद रोज पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने शपथ पत्र देकर कहा था कि हरियाणा विधानसभा को अपनी अलग गुरुद्वारा कमेटी स्थापित करने का अधिकार है। इस पर अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि यह कितनी अजीब बात है कि मुख्यमंत्री महज राजनीतिक कारणों के लिए इस मुद्दे पर राज्य का स्टैंड बदलकर पंजाब के हितों से खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एक अंतरराज्यीय कारपोरेट संस्था तथा अकेली संसद है, जो इसके वर्तमान ढांचे में परिवर्तन करने संबधी निर्णय ले सकती है। बादल ने कहा कि हरियाणा से चुनी शिरोमणि कमेटी का एक मेंबर हरियाणा सरकार के राज्य में अलग गुरुद्वारा कमेटी बनाने के अधिकार को चुनौती दे रहा है, इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति करने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि सिखों में फूट डालने के लिए उनके धार्मिक मामलों में दखल देने की ऐसी तुच्छ हरकतें निंदनीय हैं। यह गांधी परिवार की बांटों तथा राज करो की नीति से मेल खाती है, लेकिन सिख संगत इस साजिश को कभी सफल नहीं होने देगी। अकाली दल ने संगरूर में बड़ी रैली की थी और राज्य की कांग्रेस और अकाली दल के बागी ढींडसा और अन्य नेताओं को चेतावनी दी थी।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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