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सावधान: अब यहां अगर थूका तो देना होगा भारी जुर्माना, हाई कोर्ट ने दिया आदेश
हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि राज्य के शहरी निकायों में सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फैंकते या थूकते पकड़े जाने पर 500 से 5 हजार तक जुर्माना लगाया जा सकता है
पीएम मोदी ने जबसे देश की कमान संभाली है तबसे सबसे ज्यादा ध्यान उन्होंने स्वच्छता पर ही दिया है। स्वच्छता को लेकर पीएम मोदी हमेशा सचेत रहते हैं। पीएम मोदी ने हर किसी को सफाई और स्वच्छता को लेकर जागरूक किया है। अब इसी स्वच्छता अभियान को ध्यान में रखते हुए उत्तराखंड हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि राज्य के शहरी निकायों में सार्वजनिक स्थानों पर कूड़ा फैंकते या थूकते हुए पकड़े जाने पर 500 से 5 हजार तक जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि कूड़ा फैंकने व थूकना प्रतिषेद एक्ट 2016 को कठोरता से लागू किया जाए। साथ ही सरकार को कहा है कि सभी शहरी निकायों में इसका पालन कराना अनिवार्य करें।
स्वच्छता को लेकर अधिवक्ता ने दायर की याचिका
साथ ही कोर्ट ने माना है कि इस कदम से कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सकता है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छूट दी है कि अगर सरकार एक्ट को लागू नहीं करवाती है तो वो कोर्ट में तथ्यों के साथ याचिका दाखिल कर सकते हैं। असल में अधिवक्ता अभिजय नेगी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी। जिसमें अधिवक्ता की ओर से कहा गया था कि कोरोना के चलते सार्वजनिक स्थानों पर थूकने पर कार्रवाई की जानी चाहिए।
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अधिवक्ता ने कहा कि सरकार द्वारा 2016 में विधानसभा में पास कूड़ा फैंकना व थूकना प्रतिषेद अधिनियम का पालन नहीं कराया जा रहा है। याचिकाकर्ता अधिवक्ता की ओर से कोर्ट में कहा गया कि इस एक्ट में 500 से 5 हजार तक का जुर्माना रखा गया है। लेकिन ये ठीक से लागू ना होने के चलते कई निकायों ने 2016 से 2019 तक एक भी रुपये का जुर्माना नहीं वसूला।
सख्ती से लागू हो अधिनियम, कोरोना से हो सकता है बचाव- HC
याचिकाकर्ता अभिजय नेगी का कहना है कि सूचना के अधिकार में जब सूचना मांगी गई तो चौंकाने वाली बात ये मिली की 39 निकायों ने इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई। वहीं जिन निकायों में कार्रवाई की भी वो भी सिर्फ नाम की। अधिवक्ता नेगी नेकोरोना वायरस का जिक्र करते हुए कहा कि जब कोरना बिमारी वाटर ड्रापलेट से फैल रही है तो ऐसे में एक्ट को लागू करना अनिवार्य है।
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याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन व जस्टिस आर सी खुल्बे की पीठ ने सुनवाई के बाद आदेश जारी करते हुए कहा कि सरकार केवल पत्राचार कर अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकती। लिहाजा इस अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को लागू करने के लिये ध्यान आकृर्षित करना होगा। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर इस अधिनियम को सख्ती से लागू करें तो कोरोना जैसी बिमारी से भी बचाव संभव है।