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पावर ग्रिड किसे कहते हैं, ये कब फेल होता है, इससे कैसे बचा जा सकता है, यहां जानें

दरअसल बिजली लाइनों के नेटवर्क को ही ग्रिड कहा जाता है। इस ग्रिड के माध्यम से ही उपभोक्ता तक बिजली की सप्लाई होती है। कहने का मतलब साफ़ है कि बिजली उत्पादन से लेकर बिजली आपके घर या दफ्तर पहुंचाने तक जिस नेटवर्क का उपयोग होता है उसे ही पावर ग्रिड कहा जाता है।

Newstrack
Published on: 12 Oct 2020 8:32 AM GMT
पावर ग्रिड किसे कहते हैं, ये कब फेल होता है, इससे कैसे बचा जा सकता है, यहां जानें
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स्टेशनों को 48.5 से 50.2 हर्ट्ज के बीच फ्रीक्वेंसी रखी जाती है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि राज्य जरूरत से ज्यादा पावर की सप्लाई कर देते हैं।

वर्ली: मुंबई में पावर ग्रिड फेल होने से लोगों के सामने बिजली का संकट पैदा हो गया है। यहां के कई इलाकों में बिजली गुल है। जिसकी वजह से ऑफिस और कारखानों में काम -काज पूरी तरह से ठप हो गया है।

इसका असर रेल सेवा पर भी साफ़-साफ दिखाई दे रहा है। जगह-जगह ट्रेनें रुकी हुई हैं। जो लोग जहां पर हैं वहीं पर फंसे हुए हैं। आज ट्रेन सेवा वाधित होने से बहुत से कर्मचारी समय पर अपने दफ्तर नहीं पहुंच सके।

कई लोगों को तो दफ्तर पहुंचने के लिए निजी वाहन किराए पर लेना पड़ गया। इसके लिए उन्हें भारी-भरकम रकम भी चुकानी पड़ी।

लेकिन आज सड़कों पर भीषण जाम होने से वे निजी वाहन करने के बावजूद भी समय पर नहीं पहुंच सके। बिजली न आने की वजह से बहुत से लोगों को आज पीने के पानी के लिए भी तरसना पड़ गया।

गर्मी से लोगों को बुरा हाल है। बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनी बेस्ट ने कहा है कि सप्लाई फिर से शुरू करने पर काम किया जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर ग्रिड क्या है और कैसे ग्रिड फेल हो जाती है, जिससे मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी अंधेरा छा जाता है।

Hospital अस्पताल में लाइट न होने की वजह से हाथ से पंखा करते मरीज के तीमारदार(फोटो:सोशल मीडिया)

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क्या होता है ग्रिड

दरअसल बिजली लाइनों के नेटवर्क को ही ग्रिड कहा जाता है। इस ग्रिड के माध्यम से ही उपभोक्ता तक बिजली की सप्लाई होती है।

कहने का मतलब साफ़ है कि बिजली उत्पादन से लेकर बिजली आपके घर या दफ्तर पहुंचाने तक जिस नेटवर्क का उपयोग होता है उसे ही पावर ग्रिड कहा जाता है। इसके के तीन स्टेप होते हैं-

फर्स्ट स्टेप में बिजली पैदा की जाती है। यहां इसका मतलब सीधे तौर पर उत्पादन से है। ये काम किसी ऐसे स्थान पर किया जाता है जहां पर खूब सारा पानी हो।

ये काम नदियों पर बांध बनाकर भी किया जाता है। भारत में कई स्थानों पर बिजली पैदा की जाती है। जब बिजली बनकर तैयार हो जाती है तो फिर उसके बाद उन राज्यों या इलाकों में इसकी आपूर्ति की जाती है, जिनसे इसके लिए अनुबंध(करार)होता है।

इस विद्युत सप्लाई को ही हम पॉवर ट्रांसमिशन के नाम से जानते हैं। इसके बाद यही से संबंधित पॉवर स्टेशनों के माध्यम से बिजली ग्राहकों तक पहुंचाई जाती है, जिसे पावर डिस्ट्रीब्यूशन यानी की विद्युत वितरण कहते हैं।

Power Grid पावर ग्रिड की फोटो(सोशल मीडिया)

देश भर में कुल पांच पॉवर ग्रिड हैं

साउथर्न ग्रिड- तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पुड्डुचेरी

नॉर्थर्न ग्रिड- पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली, यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, चंडीगढ़

ईस्टर्न ग्रिड- पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड, ओडिशा, सिक्किम

नॉर्थ-ईस्टर्न ग्रिड- अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा

वेस्टर्न ग्रिड- महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, गोवा

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कब और कैसे फेल होता है पावर ग्रिड

प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में बिजली का ट्रांसमिशन 49-50 हर्ट्ज की फ्रीक्वेंसी पर किया जाता है। ऐसा पाया गया है कि जब कभी भी फ्रीक्वेंसी हाई या लो लेबल पर पहुंच जाती है तो पावर ग्रिड फेल हो जाता है। या इसकी प्रबल संभावना होती है।

ऐसी दशा में स्वत: ट्रांसमिशन लाइन पर ब्रेकडाउन हो जाता है। उसे ही ग्रिड फेल होना कहा जाता हैं। इससे बिजली सेवा ठप हो जाती है।

इसलिए हमेशा ही इस बात का ध्यान रखा जाता है कि जिन भी स्टेशनों से बिजली की आपूर्ति की जाती है वहां से फ्रीक्वेंसी कम या ज्यादा न होने पाए।

एहतियातन इन स्टेशनों को 48.5 से 50.2 हर्ट्ज के बीच फ्रीक्वेंसी रखी जाती है। कई बार ऐसा भी देखा गया है कि राज्य जरूरत से ज्यादा पावर की सप्लाई कर देते हैं जिससे ग्रिड फेल हो जाता है। या इस तरह की समस्या खड़ी हो जाती है।

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