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करोड़ों डॉलर का नुकसान, दुनिया की सबसे बड़ी ऑनलाइन कंपनी का बुरा हाल
दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी अमेजन ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले एक महीने से जारी देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कंपनी को सबसे ज्यादा नुकसान भारत में हुआ है।
नई दिल्ली: पूरा देश इस समय कोरोना वायरस से जूझ रहा है। जिसके चलते पूरे देश में पिछले एक महीने से ज्यादा समय से पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। जिसके कारण पूरे देश में बंदी की स्थिति है। सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की बिक्री चालू है। बाकी सारे सेवायें और सुविधाएं बाधित हैं। ऐसे में पूरे देश की सभी कंपनियों को आर्थिक घाटा हो रहा है। लेकिन इसमें सबसे ज्यादा नुक्सान उठाना पड़ रहा है ई-कॉमर्स कंपनियों को। इसी बीच दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी अमेजन को इन दिनों में सबसे ज्यादा घाटा हुआ है। इसकी जानकारी खुद कंपनी की ओर से दी गई है।
लॉकडाउन के दौरान कंपनी को हुआ अरबों डालर का नुकसान
दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी अमेजन ने जानकारी देते हुए बताया कि पिछले एक महीने से जारी देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से कंपनी को सबसे ज्यादा नुकसान भारत में हुआ है। बीते 25 मार्च से लागू लॉकडाउन में ई-कॉमर्स कंपनियों को सिर्फ कुछ आवश्यक वस्तुओं की बिक्री की छूट दी गई है। जिस कारण कंपनी को अरबों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा। अमेजन के सीएफओ ब्रायन ओल्सावस्की ने बताया कि हमारा मानना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिस देश में हमें सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।
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वह देश भारत है, जहां अन्य कंपनियों की ही तरह हम भी बस जरूरी वस्तुओं की ही बिक्री कर पा रहे हैं। गौरतलब है कि अमेजन इंडिया के हेड अमित अग्रवाल ने पीएमओ तथा वाणिज्य मंत्रालय को मार्क करते हुए ट्वीट में अनुरोध किया था कि सरकार ई-कॉमर्स कंपनियों को अपना कामकाज पूरी तरह शुरू करने की मंजूरी प्रदान करे।
फ्रांस में भी कंपनी का येही हाल
एक प्रमुख मीडिया संस्थान की रिपोर्ट के अनुसार सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि फ्रांस में भी कंपनी का कुछ ये ही हाल है। कंपनी को वहां भी ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी की ओर से कहा गया कि कोरोना वायरस इस संकट के दौर में ग्राहकों तक उत्पाद पहुंचाने तथा कर्मचारियों को सुरक्षित रखने में हमें पूरा 4 अरब डॉलर का खर्च करना पड़ सकता है।
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इसमें पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, फैसिलिटीज की साफ-सफाई, सोशल डेस्टिंसिंग तय करने के लिए कम क्षमता वाली प्रक्रियाओं को अपनाना, ज्यादा समय तक काम करने वाले कर्मियों को अधिक वेतन और कोविड-19 की जांच करने के लिए अपने टेस्ट किट को विकसित करने में होने वाला खर्च शामिल है।