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मुंबई अमेजन दफ्तर में तोड़फोड़, मराठी अस्मिता को बचाने निकले राज ठाकरे

अखिल चित्रे के नाम पत्र लिख कर बताया कि वो जल्द से जल्द मराठी भाषा को अपने ऐप में जोड़ने जा रहे हैं, लेकिन उसके लिए प्रोग्रामिंग और दूसरे इंतजामों के लिए उनको वक्त चाहिये होगा।

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Published on: 27 Dec 2020 10:06 AM GMT
मुंबई अमेजन दफ्तर में तोड़फोड़, मराठी अस्मिता को बचाने निकले राज ठाकरे
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मुंबई अमेजन दफ्तर में तोड़फोड़, मराठी अस्मिता को बचाने निकले राज ठाकरे

मुंबई: ऑनलाइन मार्केटिंग कंपनी अमेजन अधिकारीयों और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) नेता के बीच शनिवार को मुंबई में एक बैठक हुई। अमेजन की तरफ से उनकी लीगल टीम ने इस बैठक में हिस्सा लिया। इसमें एमएनएस नेताओं ने उनके सामने तीन प्रस्ताव रखा हैं। इस मांग में मराठी भाषा को अमेजन ऐप में शामिल करने की डिमांड सबसे बड़ी है। बीतें दिन महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) कार्यकर्ताओ ने अमेजन के मुंबई और पुणे के कार्यालय में में तोड़फोड़ और हंगामा किया था। एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाने को लेकर ठाकरे से माफी मांगने को भी कहा गया है।

मराठी अस्मिता को बचाया

आपको बता दें एमएन एस मैं यह इल्जाम लगाया है कि अमेजॉन कंपनी मराठी अस्मिता की बेइज्जती कर रही है। राज ठाकरे सब को सबक सिखाया है। मराठी पीरियड की राजनीति में कुछ ही समय में ऐसा देखने को मिला यकीन करना थोड़ा मुश्किल हो रहा है। राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण यानी एमएनएस ने अमेजॉन के दफ्तरों में प्रदर्शन किया तो वही कंगना रनौत के तीखे बोल पर बड़े ही धैर्य के साथ जवाब दिया। पर कुछ सवाल अभी भी वहीं के वहीं हैं जिनमें से एक सवाल यह है कि क्या वास्तव में एमएनएस ने अमेजॉन ऑफिस में तोड़फोड़ और हंगामा किया इससे क्या मराठी अस्मिता को बचा लिया है या सीधे इसका उलटा हुआ है।

मराठी भाषा का ऐप में करें यूज़

अमेजॉन कंपनी का ही फायदा करा दिया गया है। राज ठाकरे के कार्यकर्ताओं ने जो भी किया वह सब मराठी अस्मिता के नाम पर किया अस्मिता मराठी अस्मिता को बचाने के लिए किया अगर कोई यह कहे कि राज ठाकरे को इतना गुस्सा क्यों आता है तो पहले यह समझ ले कि अमेजॉन को कोई हक नहीं है कि वह भारतीय भाषाओं में मराठी भाषा को नजरअंदाज करें। अमेजन को लेकर मराठी अस्मिता वाले विवाद की शुरुआत इस तरह हुई ।

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अमेजॉन ने अदालत का लिया सहारा

खबरों तो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना की तरफ से अमेजॉन को एक मेल में लिख कर कहा गया था कि वो अपने ऐप में मराठी भाषा में भी खरीदारी का विकल्प देने का इंतजाम करे। एमएनएस की तरफ से ''नो मराठी, नो अमेजन' मुहिम चलायी जाने लगी। जेफ बेजोस की कंपनी अमेजन को राज ठाकरे के बारे में लगता है ठीक से जानकारी नहीं थी और उसने अदालत से मदद लेनी चाही। अदालत में मामला जातें ही आदेश जारी हो हुआ।

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फायदा किसे हुआ कंपनी या पार्टी को

ठाकरे 5 जनवरी को हाजिर होने के लिए नोटिस मिला जैसे ही राज ठाकरे और एमएनएस के नेताओं को नोटिस मिला गुस्से से लाल हो गए। फिर क्या धमकी दे डाली की अमेजन को इसकी भरी कीमत चुकानी पड़ेगी। बाद में अमेजन को भी राज ठाकरे और उनके पार्टी के आगे खुद को कमजोर पाया और धमकी देने वाले अखिल चित्रे के नाम पत्र लिख कर बताया कि वो जल्द से जल्द मराठी भाषा को अपने ऐप में जोड़ने जा रहे हैं, लेकिन उसके लिए प्रोग्रामिंग और दूसरे इंतजामों के लिए उनको वक्त चाहिये होगा। देखा जाये तो एक तरीके से राज ठाकरे ने मराठी अस्मिता के नाम पर अमेजन का बाजार और कारोबार बढ़ाने में सहायता ही हुई है।

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