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'छोटे सरकार' के आगे बड़े-बड़े क्यों बेबस?

seema
Published on: 24 Aug 2019 6:58 AM GMT
छोटे सरकार के आगे बड़े-बड़े क्यों बेबस?
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'छोटे सरकार' के आगे बड़े-बड़े क्यों बेबस?

पटना। बिहार में अनंत सिंह को बाहुबली आज से नहीं कहा जाता है। उनके बड़े भाई दिलीप सिंह 'बड़े सरकार' कहे जाते थे और अनंत 'छोटे सरकार'। बाढ़ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्यक्षेत्र रहा है। संसदीय क्षेत्र भी। लिहाजा, नीतीश कुमार से भी अनंत काफी करीब रहे। सत्ताधारी जदयू के विधायक रहे अनंत सिंह की ताकत उनके इलाके में तो निर्दलीय विधायक बनने पर भी रही लेकिन लोकसभा चुनाव में जदयू के कद्दावर नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ लल्लन सिंह से टकराना उनके लिए महंगा पड़ गया। एके-47 और हैंड ग्रेनेड बरामदगी के साथ अनंत पर यूएपीए एक्ट, आम्र्स एक्ट और विस्फोटक अधिनियम के तहत केस दर्ज होने के बाद उनकी गिरफ्तारी के लिए दबिश हुई तो वह विधायक आवास से ही फरार हो गए। भागे भी तो दूसरे बाहुबली की विधायक की गाड़ी से। पुलिस नेपाल और झारखंड भागने की बात कहती रही और वह पटना के ही एक मुहल्ले से पुलिसिया कार्रवाई के खिलाफ वीडियो बनाकर मीडिया को भेजते रहे। अनंत सिंह वीडियो में खुद सरेंडर की बात कह चुके हैं, इसलिए पुलिस दिन-रात कोर्ट से लेकर न्यायाधीशों के आवास तक निगाह लगाए बैठी है। इस बीच एक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ने अनंत सिंह से जान का खतरा बताकर पुलिस के लिए नई परेशानी खड़ी कर दी है।

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रिटायर्ड आईपीएस ने जान का खतरा बताया

1994 बैच के बिहार कैडर के रिटायर्ड आईपीएस अमिताभ कुमार दास ने डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय को 21 अगस्त को चिट्ठी लिखी कि उन्होंने विधायक अनंत सिंह के लदमा (बाढ़) स्थित आवास पर एके 47, एके 56 जैसे हथियारों का जखीरा होने की सूचना पुलिस मुख्यालय को दी थी। उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान इन हथियारों के जरिए आतंक मचाए जाने की आशंका जताई थी, लेकिन अब 16 अगस्त को पुलिस ने छापेमारी कर उसी घर से एके 47 बरामद किया है। दास ने लिखा है कि अनंत सिंह ने उनकी हत्या के लिए सुपारी भी दे दी है। जान बचाने की गुहार लगाते हुए रिटायर्ड आईपीएस ने बिहार सैन्य पुलिस के दो गोरखा अंगरक्षकों की सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। बिहार सैन्य पुलिस जमुई के कमांडेंट रहते हुए 2009 में लिखी चिट्ठी की प्रति संलग्न करते हुए अमिताभ कुमार दास ने ताजा पत्र के अंतिम वाक्य में यह भी लिख दिया है कि उनके साथ किसी अनहोनी के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय जिम्मेदार होगा।

मुसीबत रहीं महिला अफसर

अनंत सिंह को परेशान करना कभी भी आसान काम नहीं रहा, लेकिन आईएएस के रूप में पहली पोस्टिंग के साथ वंदना प्रेयसी ने बाढ़ में छोटे सरकार को परेशान किए रखा। जमीन पर कब्जा से लेकर सरकारी संगठनों में संविदा पर नौकरी तक में अनंत की मनमानी चलती थी। वंदना प्रेयसी के समय अनंत के ऐसे कई कारनामों पर बंदिश लग गई थी। वंदना प्रेयसी के पटना से निकलते ही अनंत एक बार फिर प्रभावी हुए और इतने ताकतवर कि एनटीपीसी बाढ़ के हर टेंडर में इनकी मनमानी चली। संविदा पर रखने के लिए जिसे कहा, उसे रखा गया। अभियंताओं की ट्रांसफर-पोस्टिंग तक अनंत के इशारों पर होती रही। अब एक बार फिर अनंत कथा पर रोक लगी है और लगाने वाली फिर महिला अधिकारी ही हैं। आईपीएस लिपि सिंह अनंत सिंह के लिए कितनी बड़ी मुसीबत हैं, इसका अंदाजा फरारी के बाद अनंत सिंह के आए वीडियो से ही लग जाता है। अनंत पूरे वीडियो में बार-बार लिपि सिंह के एक्शन पर ही बिफरे। जदयू के पावरफुल नेता आरसीपी सिंह की बेटी लिपि सिंह ने लोकसभा चुनाव के पहले ही अनंत सिंह को इतनी बुरी तरह घेर दिया कि वह परेशान हो उठे। अनंत ने अपनी पत्नी को लल्लन सिंह के खिलाफ मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव में उतार कर खुले रूप में जदयू यानी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चुनौती दी थी। नतीजन अनंत का आपराधिक इतिहास खुलता गया और फिर एक ऑडियो में अपने दुश्मन को मार डालने का आदेश देते हुए अनंत की आवाज ने रही-सही कसर निकाल दी। वह ऑडियो भी आया और हत्या की सुपारी लेने वालों का कबूलनामा भी वीडियो के रूप में वायरल हो गया। इसके बाद लिपि सिंह एक बार फिर एक्टिव हुईं और अनंत की मुश्किलें चरम पर आ गईं।

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सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

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