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कोविड अलर्टिंग ट्रैकिंग सिस्टम: कमाल की तकनीक, ये राज्य कर रहा इस्तेमाल

कोरोना से के खिलाफ जंग में राज्य सरकार अन्य एजेंसियों की मदद से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बनाई गई दो अनूठी तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। इस तकनीक की मदद से राज्य सरकार उन लोगों के बारे में जानकारी हासिल कर सकती है, जिन्हें होम क्वारंटीन किया गया है।

SK Gautam
Published on: 31 March 2020 6:12 AM GMT
कोविड अलर्टिंग ट्रैकिंग सिस्टम: कमाल की तकनीक, ये राज्य कर रहा इस्तेमाल
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नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए और इससे लड़ने के लिए राज्य अपने-अपने तरीकों से काम कर रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत और लोगों को जागरूक करने के साथ ही सरकारें तकनीक का इस्तेमाल कर राज्य के लोगों को कोरोना वायरस से बचाने की भरपूर कोशिश कर रही हैं। आंध्र प्रदेश भी राज्य के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल कर रही है जो काबिले तारीफ़ है।

ऐसे पता चलता है कोरोना पॉजिटिव मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री

कोरोना से के खिलाफ जंग में राज्य सरकार अन्य एजेंसियों की मदद से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा बनाई गई दो अनूठी तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। इस तकनीक की मदद से राज्य सरकार उन लोगों के बारे में जानकारी हासिल कर सकती है, जिन्हें होम क्वारंटीन किया गया है। साथ ही वह इसके जरिये कोरोना पॉजिटिव मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री भी जान सकती है।

हम आपको बताते हैं कि यह काम कैसे करता है-

टूल का नाम है कोविड अलर्टिंग ट्रैकिंग सिस्टम

इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले पहले टूल का नाम है कोविड अलर्टिंग ट्रैकिंग सिस्टम (Covid alerting tracking system)। इसका इस्तेमाल अधिकारी उन 25,000 लोगों पर निगरानी रखने के लिए करते हैं जो होम क्वारंटीन किये गये हैं। इसके लिए उनके फोन नंबर्स की लोकेशन का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर और मोबाइल टॉवर सिग्नल का सहारा लिया जाता है।

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अलर्ट मिलने पर प्रशासन के लोग होम क्वारंटीन का उल्लंघन करने वाले के पास पहुंचते हैं और उससे वापस जाने के लिए कहते हैं। साथ ही जो भी उसकी जरूरत होती है उसे पूरा करता है।

अगर होम क्वारंटीन का उल्लंघन करने वाला ऐसा करने से मना करता है तो मामला राज्य के अधिकारियों तक पहुंचाया जाता है, जिसके बाद वह एक्शन में आते हैं। इस तरीके से प्रशासन यह सुनिश्चित करता है होम क्वारंटीन रह रहे लोग नियमों के मुताबिक ही रहें।

मरीज ने 15 दिन पहले कहां गया था उसकी भी जानकारी मिलती है

आंध्र की ओर से इस्तेमाल किये जाने वाले दूसरे टूल के जरिये प्रशासन कोरोना के पॉजिटिव मरीजों की ट्रैवल हिस्ट्री के बारे में जानकारी हासिल करते हैं। इसके लिये वह कुछ डाटा और टॉवर्स का सिग्नल इस्तेमाल करते हैं। इसके तहत रोगी के फोन नंबर और सर्विस प्रोवाइडर्स की मदद से जिन जगहों पर मरीज ने 15 दिन पहले यात्रा की थी उसके बारे में जानकारी हासिल की जाती है।

रेड जोन सेटअप कर इलाके को सैनेटाइज करता है

इस दौरान वे उन जगहों पर ज्यादा ध्यान देते हैं, जहां मरीज ने 15 मिनट से ज्यादा का वक्त बिताया हो। इसके बाद प्रशासन उस इलाके में लोकल ट्रांसमिशन को ट्रैक कर पाता है और 2-3 किलोमीट के दायरे में रेड जोन सेटअप कर इलाके को सैनेटाइज करता है।

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प्रशासन की ओर से राज्य में 20 पॉजिटिव मामलों की ट्रैवेल हिस्ट्री की जांच कर ली गई है। सूत्र ने बताया कि तेलंगाना, बिहार और ओडिशा भी आंध्र के इस तकनीक को फॉलो कर रहे हैं और कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए उन्हीं उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।

SK Gautam

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