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No Confidence Motion: आंध्र प्रदेश के CM जगनमोहन ने दिया INDIA को बड़ा झटका, YSRCP करेगी अविश्वास प्रस्ताव का विरोध
No Confidence Motion: विपक्षी गठबंधन INDIA की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया गया है जिस पर जल्द बहस शुरू होने की उम्मीद है।
No Confidence Motion: मणिपुर के मुद्दे को लेकर विपक्षी दल मोदी सरकार को लगातार घेरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। मानसून सत्र की शुरुआत के बाद से ही इस मुद्दे को लेकर संसद के दोनों सदनों में लगातार हंगामा हो रहा है। विपक्षी गठबंधन INDIA की ओर से मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी पेश किया गया है जिस पर जल्द बहस शुरू होने की उम्मीद है। अविश्वास प्रस्ताव पर बहस शुरू होने से पहले ही विपक्षी गठबंधन INDIA को विपक्ष से ही करारा झटका लगा है।
दरअसल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी की अगुवाई वाली पार्टी YSRCP ने मोदी सरकार के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने का फैसला किया है। YSRCP आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी है और राज्य की सियासत पर जगन मोहन रेड्डी की मजबूत पकड़ मानी जाती है। लोकसभा में इस पार्टी के पास 22 सांसदों की ताकत है। अभी तक इस पार्टी ने एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन से दूरी बना रखी है। वैसे अविश्वास प्रस्ताव के विरोध के पार्टी के फैसले को भविष्य की सियासत के लिए बड़ा संकेत माना जा रहा है।
YSRCP ने कई बार किया मोदी सरकार का समर्थन
देश में अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन अपनी सियासी स्थिति मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। पिछले दिनों विपक्षी दलों के गठबंधन की बैठक बेंगलुरु में हुई थी जबकि एनडीए ने राजधानी दिल्ली में बैठक के जरिए शक्ति प्रदर्शन किया था। वैसे जगन मोहन रेड्डी की पार्टी YSRCP ने इन दोनों बैठकों से दूरी बनाकर रखी थी। जगन मोहन रेड्डी और उनकी पार्टी के अन्य नेता किसी भी खेमे की बैठक में हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे थे।
वैसे यह भी सच्चाई है कि भाजपा और YSRCP के साथ आने की अटकलें जरूर लगाई जाती रही हैं क्योंकि पार्टी ने कई मुद्दों पर संसद के भीतर और बाहर मोदी सरकार का साथ दिया है। हाल ही में नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था जबकि जगन मोहन रेड्डी की पार्टी इस समारोह में शामिल हुई थी।
अविश्वास प्रस्ताव का गिरना पहले से ही तय
वैसे लोकसभा में विपक्ष की ओर से अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद बावजूद मोदी सरकार पूरी तरह निश्चिंत नजर आ रही है। मौजूदा समय में लोकसभा में भाजपा के पास 301 सांसदों की ताकत है और यदि एनडीए की ताकत देखा जाए तो एनडीए के पास 333 सांसदों का संख्या बल है।
दूसरी ओर विपक्ष के पास कुल मिलाकर 142 सांसदों की ताकत है। ऐसे में मोदी सरकार के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव का पहले से ही गिरना तय माना जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि लोकसभा में एनडीए के मजबूत स्थिति में होने के बावजूद जगन मोहन रेड्डी की पार्टी के समर्थन से एनडीए को और ताकत मिल जाएगी।
भाजपा को राज्यसभा में मिलेगी बड़ी मदद
दूसरी ओर यदि राज्यसभा का समीकरण देखा जाए तो मौजूदा समय में राज्यसभा में 238 सांसद हैं। राज्यसभा में एनडीए गठबंधन के पास 105 सांसदों की ताकत है जबकि इंडिया गठबंधन के पास 93 सांसदों का संख्या बल है। मोदी सरकार की ओर से गत मई महीने में दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के संबंध में अध्यादेश लाया गया था।
इस अध्यादेश से जुड़ा बिल जल्द ही संसद में पेश किया जाने वाला है। इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दल पूरी तरह एकजुट हो गए हैं। राज्यसभा में इस बिल को पारित कराने के लिए भाजपा को 15 और सांसदों के समर्थन की जरूरत है। ऐसी स्थिति में YSRCP के नौ सांसद भाजपा के लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं।
भविष्य की राजनीति का बड़ा संकेत
आंध्र प्रदेश की सियासत पर जगन मोहन रेड्डी की मजबूत पकड़ मानी जाती है। उनके पिता राजशेखर रेड्डी भी आंध्र प्रदेश के काफी ताकतवर नेता थे। कांग्रेस की सरकार के समय राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने मजबूत पकड़ बना रखी थी। 2009 में उनके निधन के बाद कांग्रेस ने जगनमोहन रेड्डी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी से इनकार कर दिया था। इसी के बाद जगन मोहन रेड्डी ने नई पार्टी का गठन करके कांग्रेस को अपनी सियासी ताकत दिखाई थी। वे आंध्र प्रदेश के विधानसभा चुनाव में विजयी होने के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 25 में से 22 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे।
जगनमोहन रेड्डी कई मौकों पर संसद के भीतर और बाहर मोदी सरकार का खुलकर साथ देते रहे हैं। अब अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करने का उनका फैसला भी बड़ा संकेत माना जा रहा है। सियासी जानकारों का मानना है कि 2024 के चुनाव से पूर्व जगनमोहन रेड्डी ने बड़ा सियासी संकेत दिया है। उनके कदम से साफ हो गया है कि वे आने वाले दिनों में भी इंडिया गठबंधन से दूरी बनाकर ही चलेंगे। इसके साथ ही उनके देर-सबेर एनडीए में शामिल होने की अटकलें भी लगाई जा रही हैं।