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सशस्त्र बल झंडा दिवस: इस दिन हुई थी शुरुआत, होता है ये काम
झंडा दिवस का उद्देश्य देश की जनता द्वारा देश की सेना के प्रति सम्मान प्रकट करना है। उन जांबाज सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाने का दिन, जो दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए।
लखनऊ: आज सशस्त्र बल झंडा दिवस मनाया जा रहा है। देश के मान-सम्मान की रक्षा करने वाले शहीदों और सैनिकों के सम्मान में प्रतिवर्ष सात दिसम्बर को यह दिवस मनाया जा रहा है। ये दिन सीमाओं की रक्षा करने वाली सेना और उनके परिवारों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर उपलब्ध कराता है।
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झंडा दिवस का उद्देश्य देश की जनता द्वारा देश की सेना के प्रति सम्मान प्रकट करना है। उन जांबाज सैनिकों के प्रति एकजुटता दिखाने का दिन, जो दुश्मनों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए। सेना में रहकर जिन्होंने न केवल सीमाओं की रक्षा की, बल्कि आतंकवादी व उग्रवादी से मुकाबला कर शांति स्थापित करने में अपनी जान न्यौछावर कर दी।
जनता से धन संग्रह
झंडा दिवस पर भारतीय सेना के कर्मियों के कल्याण के लिए जनता से धन का संग्रह किया जाता है। इस राशि का उपयोग युद्धों में शहीद हुए सैनिकों के परिवार या हताहत हुए सैनिकों के कल्याण व पुनर्वास में खर्च की जाती है। यह राशि सैनिक कल्याण बोर्ड की माध्यम से खर्च की जाती है। देश के हर नागरिक को चाहिए कि वह झंडा दिवस कोश में अपना योगदान दें, ताकि हमारे देश का झंडा आसमान की ऊंचाइयों को छूता रहे। रक्षा मंत्रालय के अधीन केंद्रीय रक्षा बोर्ड की स्थानीय शाखाएं इस दिन धन राशि संग्रह के काम का प्रबंधन करती हैं। इसमें एक प्रबंधन समिति और स्वयंसेवी संगठन होते हैं।
तीन रंग के झंडे
देशभर में सैन्य बलों के लिए गए धन संग्रह के बदले लाल, गहरे नीले और हल्के नीले रंग के झंडे दिए जाते हैं। ये तीनों रंग तीनों भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना का प्रतीक हैं।
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1949 में हुई थी शुरुआत
सशस्त्र बल झंडा दिवस मनाने की शुरुआत 7 दिसंबर 1949 से हुई थी। 1949 से हर साल 7 दिसंबर को सशस्त्र बल झंडा दिवस मनाया जाता है। इसके बाद सरकार ने 1993 में संबंधित सभी फंड को एक सशस्त्र बल झंडा दिवस कोष में समाहित कर दिया था। केंद्रीय मंत्रिमंडल की रक्षा समिति ने युद्ध दिग्गजों और उनके परिजनों के कल्याण के लिए सात दिसंबर को सशस्त्र बल झंडा दिवस मनाने का फैसला लिया था।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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