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Artificial Intelligence Ecosystem: केंद्र लायेगा स्वदेशी चैट–GPT, आयेगा 1625 करोड़ का खर्च ,जाने क्या होगा लाभ...
Artificial Intelligence Ecosystem: देश में अपना खुद का चैट –GPT बनाने का आश्वशासन केंद्र सरकार ने दिया है। हालांकि, अपने ई गवर्नेंस मॉडल में नई क्रांति लाने की उम्मीद से यह योजना बनाई गई है।
Artificial Intelligence Ecosystem: केंद्र सरकार द्वारा अपनी ई गवर्नेंस सर्विस मॉडल को नया स्वरूप देकर नई क्रांति का प्रसार करने के लिए यह योजना बनाई है। इस योजना के आधार पर सरकारी डिजिटल प्लेटफार्म उपलब्ध डेटा का एक स्मार्ट सुपर मॉडल तैयार हो जाएगा, जिसमें टूल्स के माध्यम से कभी भी विश्लेषण किया जा सकता है।
तकनीकी विशेषज्ञों का कहना है कि 1625 करोड़ रु. आइए प्रोजेक्ट में लग सकते है। इस प्रोजेक्ट को सरल भाषा में स्वदेशी, भारत का चैट –GPT कह सकते है। इसमें केंद्र व राज्य सरकार के हर एक विभागों में उपस्थित डेटा को लेकर बनाया जायेगा। जिसका प्रयोग सभी लोग बेहतर से बेहतर रूप में कर सकेंगे।
रिपोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार, स्वदेशी चैट GPT mein गूगल के चैट GPT जैसी खामियां आपको नहीं मिल सकेंगी। इस मॉडल को सटिक और तथ्यात्मक जानकारी के साथ फैक्ट के आधार पर बनाया जायेगा। इसमें ओपेन सोर्सेज का किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं रहेगा। सरकारी विभागों में मौजूद पूरे डेटा इस प्रमाणिक प्लेटफॉर्म पर शुद्धता, स्पष्टता के साथ बिना किसी संदेह के साथ मिलेंगे।
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3 सेंटर ऑफ एक्सिलेंस इस प्रोजेक्ट के लिए बनेंगे
केंद्र सरकार ने स्वदेशी चैट gpt के बनाने के सफर के ऑपरेशन ‘इंडिया-AI’ नाम दिया है। इससे जुड़े सभी प्लान को बनाने के लिए देश की तीन अलग-अलग यूनिवर्सिटी में ‘सेंटर ऑफ एक्सिलेंस’ बनाए गए है। ये सभी सेंटर्स को एकेडमिक, उद्योगों, स्टार्टअप्स आदि के सभी मंचों से जोड़ा जा रहा है।
फेस रिकॉग्निशन के लिए सीसीटीवी कैमरे भी होंगे,
इस प्रोजेक्ट से देश के सभी सीसीटीवी कैमरे लाइव जोड़े जाएंगे। इससे ‘फेशियल रिकग्निशन’ आसानी से की जा सकेगी। सरकारी डिजिटल डेटाबेस में यह चैटबाॅट डेटाग्रिड की तरह काम करेगी। इस प्लेटफाॅर्म से केंद्र सरकार के एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस जैसे- आधार डेटा, यूपीआई, ई-साइन और डिजिलाॅकर को भी जोड़ा जायेगा। दूसरे देशों में हाल फिलहाल में आया है कि, फेशियल रिकॉग्निशन मनुष्य के दहरमा जाति वर्ग में भेद करता है। भारत जाति, वर्ग और सामुदायिक विविधता के आधार पर एक विस्तृत क्षेत्र है, इसलिए विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इसमें भारत की जरूरतों के हिसाब से एआई फिल्टर लगाने पड़ेंगे।