भारत से हारा चीन: सेना के आगे टेकने पड़े घुटने, सभी भारतीयों को लौटाया

अरुणाचल प्रदेश से राहत देने वाली बड़ी खबर आ रही है। राज्य के सुवानसिरी जिले में रास्ता भटक गए 5 भारतीय नागरिक वापस अपने वतन में आ गए हैं। ये पांचों नागरिक भटकते हुए चीन की सीमा के पार चले गए थे।

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Published on: 12 Sep 2020 8:45 AM GMT
भारत से हारा चीन: सेना के आगे टेकने पड़े घुटने, सभी भारतीयों को लौटाया
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ऐसे में देश को बड़ी कामयाबी मिली है। क्योंकि इन दिनों से चीन से भारत की झड़प के चलते भारतीय का वापस आना काफी मुश्किल नजर आ रहा था। लेकिन चीन की तरफ से भारतीय नागिरकों को वापस वतन के हवाले कर दिया गया है।

सुवानसिरी। अरुणाचल प्रदेश से राहत देने वाली बड़ी खबर आ रही है। राज्य के सुवानसिरी जिले में रास्ता भटक गए 5 भारतीय नागरिक वापस अपने वतन में आ गए हैं। ये पांचों नागरिक भटकते हुए चीन की सीमा के पार चले गए थे। ऐसे में चीनी सैनिकों ने वाचा के नजदीक उन्हें भारतीय सैनिकों को सौंप दिया। बता दें, चीनी सीमा के समीप रहने वाले इन भारतीयों की जिंदगी बहुत जोखिमभरी होती है। लेकिन चीनी सीमा के करीब रहने वाले ये लोेग भारतीय सेना के लिए काफी मददगार साबित हुए हैं।

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ऐसे में देश को बड़ी कामयाबी मिली है। क्योंकि इन दिनों से चीन से भारत की झड़प के चलते भारतीय का वापस आना काफी मुश्किल नजर आ रहा था। लेकिन चीन की तरफ से भारतीय नागिरकों को वापस वतन के हवाले कर दिया गया है।

5 Indian Suvansiri district returned फोटो- सोशल मीडिया

चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा कार्य

ऐसे में इस जंगली और बिहड़ इलाके के हर भूभाग की जानकारी और कमाल की शारीरिक क्षमता के चलते ये लोग लगातार 15 दिनों तक पैदल यात्रा तय करके भारतीय सेना का रसद फॉर्वर्ड पोस्ट पर पहुंचाते हैं। इस सभी दुर्गम इलाकों में मौजूद इन फॉर्वर्ड पोस्ट पर नीचे से पहुंचना चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा कार्य है।

इस दौरान ये लोग कई बार भटकते हुए चीन की सीमा में चले जाते हैं। जिसके चलते फायदा उठाते हुए चीनी सैनिक इन्हें अपने कब्जे में ले लेते हैं। भारतीय सेना के लिए काम करने वाले ये स्थानीय भारतीय नागरिक ‘पोर्टर’ के नाम से जाने जाते हैं।

भारतीय सेना के सामान को उसकी मंजिल तक पहुंचाने के लिए इन्हें बीहड़ जंगलों, नदियों, पहाड़ों, विषैले सांपों से होकर जाना पड़ता है। राज्य के सुवानसिरी जिले के रहने वाले तालेन मुसुर जोकि पोर्टर है। वे भारतीय सेना के साथ काम कर चुके हैं और सेना का साजो सामान पहाड़ों की तलहटियों से ऊपर की चोटियों तक पहुंचा चुके हैं।

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arunachal pradesh फोटो- सोशल मीडिया

मॉनसून में समस्या और भी घातक

आगे तालेन कहते हैं, “हम 15 दिनों के खाने-पीने का सामान लेकर आगे बढ़ते हैं, लेकिन जंगल में खाना और सूखी लकड़ी पाना बहुत मुश्किल है, मॉनसून में समस्या और भी विकट है। काई जमें पत्थरों और लकड़ियों पर मामूली फिसलन भी हमें सैकड़ों फीट गहरी खाई में ले जा सकती है, जहां हमारी बॉडी भी नहीं मिलेगी।

ऐसे में मुसीबतों का सामना करने वाले तालेम जैसे कई लोगों का जोखिमभरी जिंदगी जीनी पड़ रही है। तालेम का कहना है हम भारतीय सेना के लिए काम करते हैं और हमें उनपर अटटू भरोसा है। इन पोर्टरों की मांग है कि सरकार इनके इलाके में मेडिकल, रोड, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराए, जिससे इनका जीवन थोड़ा आसान हो।

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