TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

तबाही का जलजला: ये झीलें बनी लाखों की मौत की वजह, महाप्रलय के संकेत

तबाही की मार झेल रहे देश की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। ऐसे में अब अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की बाढ़ की वजह से भयानक तबाही मच गई। इस तबाही का कारण तिब्बत की ग्लेशियर झीलें हैं।

Newstrack
Published on: 2 Oct 2020 2:24 PM IST
तबाही का जलजला: ये झीलें बनी लाखों की मौत की वजह, महाप्रलय के संकेत
X
तबाही का जलजला: ये झीलें बनी लाखों की मौत की वजह, महाप्रलय के संकेत

नई दिल्ली: तबाही की मार झेल रहे देश की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। ऐसे में अब अरुणाचल प्रदेश में ब्रह्मपुत्र नदी की बाढ़ की वजह से भयानक तबाही मच गई। इस तबाही का कारण तिब्बत की ग्लेशियर झीलें हैं। ये झीलें जब यह फटती हैं तो अरुणाचल प्रदेश तक बाढ़ का रूप रौद्र हो जाता है। इस बात का खुलासा वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान की ताजा रिपोर्ट में सामने आया। इस अध्ययन के अनुसार, ब्रह्मपुत्र नदी में सामान्य से अधिक क्षमता की बाढ़ के अलावा करीब 1000 साल में एक बार महाप्रलय के समान बाढ़ आती है।

ये भी पढ़ें... LAC पर टैंक-मिसाइल: अब दफन होगा दुश्मन देश, सीमा पर नहीं चल पाएगा कोई चाल

शायद यह चीन की हरकत

जिस समय यानी 1000 साल में जब महाप्रलय आती है, उस समय पानी की मात्रा करीब एक करोड़ लीटर प्रति सेकेंड रहती है। लेकिन, अध्ययन से पहले बाढ़ की वजह सिर्फ अतिवृष्टि को ही माना जाता रहा है। जिससे भीषण तबाही मची।

ऐसे में वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के अनसुार, बीते साल अरुणाचल प्रदेश में बाढ़ का पानी बेहद काला हो गया था। यह भी कहा जा रहा था कि शायद यह चीन की हरकत है।

ये भी पढ़ें...50 रूपये और हैवानियत: पड़ोसी लड़के की घिनौनी हरकत, लड़की की हुई मौत

Arunachal floods (courtesy- social media)

ब्रह्मपुत्र नदी कैलास मानसरोवर से निकलती

इस बारे में वाडिया संस्थान के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. प्रदीप श्रीवास्तव के नेतृत्व में संदीप पांडा, अनिल कुमार, सौरभ सिंघल आदि की टीम ने अरुणाचल प्रदेश से लेकर तिब्बत की सीमा तक नदी क्षेत्र का अध्ययन शुरू कर दिया था।

सिलसिलेवार तौर पर डॉ. श्रीवास्तव के मुताबिक ब्रह्मपुत्र नदी कैलास मानसरोवर से निकलती है और तिब्बत में इसे त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। भारत की सीमा में यह नामचे बरवा के पास गेलिंग से आगे बढ़ती है।

ये भी पढ़ें...धमाके में उड़ेगा चीन-पाक: अब भारत मारेगा नापाक के लाखों सैनिक, कांपे दुश्मन देश

बाढ़ का संबंध तिब्बत की ग्लेशियर झीलों से

इस हिसाब से वाडिया के विज्ञानियों ने गेलिंग से लेकर पासीघाट (अरुणाचल प्रदेश) के बीच सात स्थानों पर नदी में बाढ़ के पांच से 15 फीट तक के मलबे का अध्ययन किया। साथ ही ये भी पता चला कि अरुणाचल प्रदेश की बाढ़ का संबंध तिब्बत की ग्लेशियर झीलों से है।

वहीं, आई बाढ़ के अवशेष (रेत, मिट्टी आदि) की ल्यूमिनेसेंस डेटिंग कराई गई। इससे इस बात का खुलासा हुआ कि पिछले सात हजार साल से लेकर एक हजार साल तक ब्रह्मपुत्र नदी में सात बार भीषण बाढ़ (मेगा फ्लड) आ चुकी हैं। एक तरह से यह भीषण बाढ़ का क्रम भी है। जिसकी वजह से लाखों लोगों को तबाही झेलनी पड़ रही है।

ये भी पढ़ें...विश्वयुद्ध का अलर्ट: चल रही तोप-मिसाइलें, भयानक जंग की शुरुआत



\
Newstrack

Newstrack

Next Story