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Rajasthan Election 2023: राजस्थान चुनाव से केजरीवाल ने बना रखी है दूरी, सभी सीटों पर उतारे प्रत्याशी मगर नहीं कर रहे प्रचार
Rajasthan Election 2023: राजस्थान में आप ने लगभग सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं मगर केजरीवाल समेत सभी नेताओं की प्रचार से दूरी के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
Rajasthan Election 2023: दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने राजस्थान के विधानसभा चुनाव में प्रचार से दूरी बना रखी है। राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होने वाला है मगर केजरीवाल अभी तक प्रचार करने के लिए नहीं पहुंचे हैं। हैरानी वाली बात तो यह है कि केजरीवाल ही नहीं बल्कि आप के अन्य बड़े नेता भी अभी तक राजस्थान में सक्रिय नहीं दिख रहे हैं।
राजस्थान में आप ने लगभग सभी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे हैं मगर केजरीवाल समेत सभी नेताओं की प्रचार से दूरी के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। केजरीवाल सितंबर महीने के दौरान जयपुर में कार्यकर्ताओं की बैठक को संबोधित करने के लिए पहुंचे थे मगर उसके बाद से उनका राजस्थान का एक भी दौरा नहीं हुआ है। पार्टी के प्रदेश नेता भी इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं।
चुनाव से पहले पार्टी ने किए थे बड़े-बड़े दावे
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले आप की ओर से बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। पार्टी नेताओं का कहना था कि आप पूरी मजबूती के साथ राजस्थान के सियासी रण में उतरेगी और भाजपा व कांग्रेस को कड़ी चुनौती देगी। चुनाव से पहले नवीन पालीवाल को आप का राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था और उन्होंने पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ने की बात कही थी। पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा की ओर से भी बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे मगर चुनाव प्रचार चरम पर पहुंचने के बावजूद आप नेताओं का रुख ठंडा पड़ा हुआ है। केजरीवाल के अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी जून के बाद राजस्थान के दौरे पर नहीं पहुंचे हैं।
चुनाव की घोषणा से पहले पार्टी के प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा ने गहलोत सरकार पर जमकर निशाना साधा था और कानून व्यवस्था के मुद्दे पर प्रदेश सरकार को फेल बताया था। अब मतदान की तारीख नजदीक आने के बाद विनय मिश्रा भी चुप्पी साधे हुए हैं। मतदान में सिर्फ एक सप्ताह का समय बाकी रह गया है मगर आप नेताओं का तेवर बिल्कुल ठंडा नजर आ रहा है।
गुजरात में आप ने दिया था कांग्रेस को झटका
गुजरात के विधानसभा चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को करारा झटका दिया था। आप ने कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगा दी थी। पार्टी तेरह फेसदी वोटो के साथ पांच सीटें जीतने में कामयाब हुई थी जबकि कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत मिली थी। आप के मजबूती से चुनाव लड़ने की स्थिति में राजस्थान में भाजपा को सियासी फायदा होने की उम्मीद जताई जा रही थी मगर राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का जादू असर दिखा रहा है और आप के तेवर बिल्कुल ठंडे पड़े हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध लगने की संभावना भी खत्म हो गई है।
शराब घोटाले की मुश्किलों में फंसे हैं केजरीवाल
राजस्थान के विधानसभा चुनाव से केजरीवाल की दूरी को उनके कानूनी पचड़ों में फंसने से जोड़कर भी देखा जा रहा है। दिल्ली के शराब घोटाले में ईडी की ओर से पिछले दिनों केजरीवाल को समन जारी किया गया था। हालांकि केजरीवाल पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे थे।
समन जारी किए जाने के बाद आप के नेता केजरीवाल की गिरफ्तारी की आशंका जता रहे हैं। खुद केजरीवाल भी अपनी गिरफ्तारी की आशंका जता चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि कानूनी मुश्किलों की वजह से भी केजरीवाल का दिल्ली से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। हालांकि इस मुद्दे पर आप का कोई भी नेता खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
मुख्यमंत्री गहलोत भी नहीं कर रहे हमला
गुजरात चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पर्यवेक्षक बनाया गया था। गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान गहलोत और केजरीवाल के बीच तीखी बयानबाजी हुई थी। दोनों ने एक-दूसरे पर जमकर हमले किए थे। मजे की बात यह है कि राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान गहलोत ने अभी तक केजरीवाल पर कोई हमला नहीं बोला है। आप के सभी सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद गहलोत की यह चुप्पी भी काफी कुछ बयां कर रही है। इंडिया गठबंधन में दोनों दल सहयोगी हैं और माना जा रहा है कि केजरीवाल की पार्टी राजस्थान में कांग्रेस का खेल बिगड़ने की स्थिति में नहीं दिख रही है। कमजोर चुनावी संभावनाओं को भी केजरीवाल के चुनाव से दूरी बनाने का प्रमुख कारण माना जा रहा है।