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असम में मदरसे और संस्कृत स्कूल होंगे बंद, विज्ञान की पढ़ाई करेंगे बच्चे

असम में सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत पाठशालाओं को बंद किया जाएगा। असम सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में एक बिल पेश किया है जिसमें सभी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद कर इन्हें आम शिक्षा का संस्थान बनाए जाने का प्रस्ताव है।

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Published on: 30 Dec 2020 4:57 AM GMT
असम में मदरसे और संस्कृत स्कूल होंगे बंद, विज्ञान की पढ़ाई करेंगे बच्चे
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असम में मदरसे और संस्कृत स्कूल होंगे बंद

गुवाहाटी: असम में सभी सरकारी मदरसों और संस्कृत पाठशालाओं को बंद किया जाएगा। असम सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में एक बिल पेश किया है जिसमें सभी मदरसों और संस्कृत स्कूलों को बंद कर इन्हें आम शिक्षा का संस्थान बनाए जाने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही इस बिल में भविष्य में सरकार द्वारा कभी मदरसा या स्कूल न खोले जा सकने का भी प्रस्ताव है। 1934 में जब असम में सर सैय्यद सादुल्लाह के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग की सरकार थी तब असम में मदरसा शिक्षा की शुरुआत हुई थी।

अब कोई सरकारी मदरसा नहीं

असम के सभी मदरसों को सामान्य शिक्षा के संस्थानों में बदल दिया जाएगा और भविष्य में सरकार द्वारा कोई मदरसा स्थापित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा मदरसा संचालित करने से पहले सरकार से अनुमति हासिल करनी होगी। सरकार के इस फैसले से राज्य के सभी सरकारी मदरसों और अरबी कॉलेजों को मिलने वाली सरकारी मदद बंद कर दी जाएगी। अगले शैक्षणिक सत्र से राज्य मदरसा बोर्ड को भंग कर दिया जाएगा और उसकी सभी शैक्षणिक गतिविधियों को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय को हस्तांतरित कर दिया जाएगा। मदरसों में धार्मिक पाठ्यक्रम पढ़ाने वाले शिक्षकों को सामान्य विषयों को पढ़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसे लेकर राज्य के शिक्षा मंत्री सरमा ने कहा था कि यह राज्य की शिक्षा प्रणाली को धर्मनिरपेक्ष बनाएगा। ‘हम स्वतंत्रता पूर्व भारत के दिनों से इस्लामी धार्मिक अध्ययनों के लिए सरकारी धन का उपयोग करने की प्रथा को समाप्त कर रहे हैं।‘

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अब होंगे सिर्फ सामान्य स्कूल

मदरसों को सामान्य स्कूलों में परिवर्तित कर दिया जाएगा। इस तरह के 189 सरकारी स्कूलों से मदरसा शब्द को हटा दिया जाएगा। 1 अप्रैल 2021 से सभी धार्मिक पाठ्यक्रमों को रोक दिया जाएगा। एसईबीए 2021 में अंतिम मदरसा परीक्षा आयोजित करेगा। अरबी कॉलेजों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में परिवर्तित किया जाएगा और अरबी परिषद के सभी अधिकारियों को असम उच्चतर माध्यमिक शिक्षा परिषद (एएचएसईसी) में स्थानांतरित किया जाएगा और उन संस्थानों में सामान्य परिषद शिक्षा शुरू की जाएगी। दूसरी ओर प्री-सीनियर और सीनियर मदरसों को राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के पाठ्यक्रम का पालन करना होगा।

राज्य में कितने सरकारी मदरसे

असम में दो तरह के मदरसे हैं - एक प्रोविंसलाइज़्ड जो पूरी तरह सरकारी अनुदान से चलते हैं और दूसरा खेराजी जिसे निजी संगठन चलाते हैं। राज्य के मदरसा एजुकेशन बोर्ड के मुताबिक, असम में 614 सरकारी मान्यता प्राप्त मदरसे हैं। बोर्ड की वेबसाइट कहती है कि इनमें से 400 उच्च मदरसे, 112 जूनियर मदरसे और 102 सीनियर मदरसे हैं। इनमें 57 लड़कियों के लिए हैं, तीन लड़कों के लिए और 554 को-एजुकेशनल मतलब लड़के-लड़कियों दोनों के लिए हैं। इसके अलावा राज्य में करीब 900 प्राइवेट मदरसे हैं, जिन्हें जमीयत उलेमा की तरफ से चलाया जाता है। असम में राज्य द्वारा संचालित करीब 100 संस्कृत स्कूल हैं, जिन्हें टोल कहा जाता है। इसके अलावा 500 निजी संस्कृत संस्थान हैं।

असम में अगले साल चुनाव भी प्रस्तावित हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि जानबूझकर मदरसों को टारगेट किया जा रहा है, क्योंकि इससे मुसलमान समुदाय जुड़ा है। वहीं, दूसरा पक्ष कहता है कि संस्कृत स्कूल भी तो बंद हो रहे हैं तो हिंदू-मुसलमान का सवाल ही नहीं उठता।

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सरकार प्रतिवर्ष मदरसों पर लगभग तीन से चार करोड़ रुपए ख़र्च करती है जबकि लगभग एक करोड़ रुपए संस्कृत केंद्रों पर ख़र्च होता है। असम में मदरसों को सरकार ने 1995 में प्रोविंसलाइज़्ड किया था. मदरसों में होने वाली पढ़ाई को लेकर कुछ विवाद पहले भी सामने आए हैं। ऐसे आरोप भी लगे है कि जिन दूरदराज़ के इलाकों में नियमित स्कूल नहीं है वहां के कुछ मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी इस्लाम की पढ़ाई करवाई जाती है।

नीलमणि लाल

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