×

नई जीवन दृष्टि वाला साल, जिसने सिखाया नेगेटिव भी होता है पॉजिटिव

लगभग पूरा साल कोरोना वायरस और उससे उपजी चुनौतियों का वर्ष रहा। साल के चंद महीने गुजरने के बाद ही महामारी ने दस्तक दी। वायरस को फैलने से रोकने के लिए अभूतपूर्व लॉकडाउन लगाया गया। जिसके चलते आर्थिक गतिविधियों का चक्का जाम हो गया।

Newstrack
Published on: 29 Dec 2020 12:39 PM GMT
नई जीवन दृष्टि वाला साल, जिसने सिखाया नेगेटिव भी होता है पॉजिटिव
X
नई जीवन दृष्टि वाला साल, जिसने सिखाया नेगेटिव भी होता है पॉजिटिव

योगेश मिश्र (Yogesh Mishra)

यह साल क़यामत वाला था। यह साल उदासीनता वाला था। अब तक का सबसे ख़राब साल रहा। गुजर रहे साल के बारे में यह आम धारणा आज सबकी होगी। यह भी हर कोई मानता होगा कि दुनिया के क़िसी काल खंड में, किसी आदमी के जीवन में ऐसा साल न ही आये। इस साल ने समूची दुनिया को भय व दहशत में जीने को अभिशप्त किया। दुनिया में कोरोना से तक़रीबन आठ करोड़ लोग संक्रमित हुए ।सोलह लाख लोगों ने जान गँवाई।अमेरिकी टाइम पत्रिका ने 2020 को अब तक का सबसे ख़राब साल बताया है।

पूरा साल चुनौतियों का साल

लगभग पूरा साल कोरोना वायरस और उससे उपजी चुनौतियों का वर्ष रहा। साल के चंद महीने गुजरने के बाद ही महामारी ने दस्तक दी। वायरस को फैलने से रोकने के लिए अभूतपूर्व लॉकडाउन लगाया गया । जिसके चलते आर्थिक गतिविधियों का चक्का जाम हो गया। ऐसा किसी ने पहले कभी नहीं देखा था। काम धंधे बंद हो गए, प्रवासी मजदूर और कामगार सैकड़ों किलोमीटर चल कर घर पहुंचे। बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए। कोरोना के कहर के बीच तबलीगी जमात का भी जिक्र हुआ।

वर्क फ्रॉम होम, मास्किंग, सोशल डिस्टेंस्सिंग, टीवी पर पुराने शो, घर के काम खुद करना, ऑनलाइन पढ़ाई वगैरह कई चीजें लोगों की जिन्दगी में घर कर गयीं । ये लाइफ स्टाइल का स्थाई हिस्सा बन गयीं हैं। वर्क फ्रॉम होम से लोगों को रोजाना के ट्रैफिक, सुबह की भागमभाग, आदि से छुटकारा मिल गया। नियोक्ताओं को आफिस के बड़े खर्चे से मुक्ति मिली। आयोजन के हिसाब से ड्रेस से मैच करते मास्क और शादी-विवाह के लिए डिजाइनर मास्क आ गये हैं।

look back 2020-2

बदल गए मनोरंजन के माध्यम

मनोरंजन के माध्यम भी बदले। सिनेमाघर, बार, पार्क, मॉल बंद होने की वजह से लोग घरों पर ही टीवी के आगे बैठे। दूरदर्शन ने रामायण, महाभारत, श्रीकृष्णा आदि पुराने धारावाहिक शुरू किये। ये काफी हिट रहे। शूटिंग बंद होने से विभिन्न सीरियल के नये एपिसोड नहीं आये। लोग वेब सीरीज देखकर समय बिताने लगे।

फिल्में ओटीटी पर रिलीज होने लगीं

बड़े पर्दे की फिल्में भी ओटीटी पर रिलीज होने लगीं हैं। अपने हाथ से सब काम करने की मजबूरी हो गयी। डिश वॉशर, वैक्यूम क्लीनर आदि आवश्यक बन गए ऑनलाइन शॉपिंग मॉल या सामान्य दुकानों से खरीदारी की जगह ले चुकी है। छोटे छोटे दुकानदारों ने भी होम डिलिवरी की सुविधा दी।ऑनलाइन शॉपिंग के चलते डिजिटल पेमेंट ने भी बहुत ऊंची छलांग लगाई।

ये भी देखें: लव जिहाद या छल विवाहः निकाह की मजबूरी क्यों, इसे समझना बहुत जरूरी

चंद महीनों में लोग हाथ धोना सीख गये

लोगों ने साफ़ सफाई, ख़ास तौर पर हाथ धोना भी सीख लिया। बेसिक हाइजीन के तत्व सिखाने में जहाँ सरकारों को दशकों लग गए और बेशुमार फंड खर्च करना पड़ा । वहीं चंद महीनों में लोग हाथ धोना सीख गये। गुजर रहे साल में हमारी जिन्दगी में कई नए शब्द जुड़े। इनमें लॉकडाउन, क्वारंटाइन,आइसोलेशन, वायरल लोड,सोशल डिसटेंसिंग, मास्किंग, नाईट कर्फ्यू, फेस शील्ड,न्यू नार्मल है। पॉज़िटिव शब्द का अब तक का मतलब बदल गया।

2020 भारत के लिए सीमाई तनाव भी ले कर आया। लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनातनी बढ़ी। जून में लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों में हिंसक झड़प हुई, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए। चीन को भी खासा नुकसान हुआ। उसके बाद से दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिए कई दौर की बातचीत के बावजूद कोई ठोस हल नहीं निकल सका है।

निर्भया को इन्साफ भी मिला

दिल्ली के निर्भया रेप काण्ड के चार गुनाहगारों मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह को आखिरकार सात साल बाद फांसी पर लटकाया जा सका। एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।

पहली बार कृषि क्षेत्र में व्यापक और दूरगामी बदलाव लाने वाले बनाये गये कानून से क्षुब्ध पंजाब से किसान आन्दोलन की लहर उठी। किसानों ने दिल्ली की सीमा पर डेरा डाल दिया। कानून वापस लेने की मांग पर अड़ गए।बहरहाल ये मसला साल के आखिरी दिनों तक जारी रहा।

ये भी देखें: किसानों को नहीं मंजूर खेत छोड़नाः वक्त रहते, भरोसा जीत ले सरकार

बिहार विधानसभा चुनाव भी सुर्ख़ियों में रहा

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर खासी गहमागहमी रही। कोरोना के बीच रैलियां हुईं, चुनाव हुए। सफलतापूर्वक निपट भी गए। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को सीटों का नुकसान जरूर हुआ, लेकिन बीजेपी के सहयोग से वह सीएम की कुर्सी पाने में कामयाब रहे।

चुनाव के अलावा राजनीतिक हलचल मध्य प्रदेश में भी हुई। ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा खेमे में जा मिले। इसके बाद कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे का सिलसिला शुरू हुआ। अंततः कमलनाथ सरकार गिर गई। शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर मध्य प्रदेश की कमान संभाली। कुछ महीने बाद भाजपा ने 28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में 19 सीटें जीतकर सत्ता बचा ली।

look back 2020-3

2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक

2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक संसद की मंजूरी के बाद कानून तो बन गया, लेकिन इसका विरोध 2020 में भी नहीं थमा। दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए के खिलाफ लंबे समय तक प्रदर्शन चला। फरवरी में सीएए के विरोध में हिंसा भड़की और दंगों में तब्दील हो गई। दिल्ली में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई। सैकड़ों लोग घायल हुए। कोरोना फैलने के साथ साथ शाहीनबाग का मसला शांत पड़ गया।

अर्थव्यवस्था के लिहाज से साल काफी खराब रहा। अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध, अन्य वैश्विक एवं घरेलू कारकों के चलते सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी की गहरी मार पड़ी। रही सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी।

इस साल की शुरुआत में ही चीन से निकला कोरोना वायरस दुनिया भर में पसर गया। नवंबर 2019 में चीन के वुहान शहर में इसका पहला मामला सामने आया था। 30 जनवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को लेकर पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी की घोषणा की।

ये भी देखें: गांधी जी को भारत की आज़ादी का नहीं था पता !

look back 2020-4

‪अमेरिका में रंगभेद को लेकर ‘ब्लैक लाइव मैटर’

‪अमेरिका में रंगभेद को लेकर ‘ब्लैक लाइव मैटर’ का आन्दोलन पूरे पश्चिमी जगत में छा गया । लेकिन अमेरिकी चुनाव के साथ खत्म हो गया।‬

जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने‪ स्‍वास्‍थ्‍य कारणों से इस्‍तीफा दिया। मंत्रिमंडल के प्रमुख सचिव योशिहिदे सुगा को जापान की सत्तारूढ़ लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी का नया नेता चुना गया‬।

फ्रांस को इस्लामी कट्टरपंथ से जूझना पड़ा। एक सितंबर को फ्रेंच साप्ताहिक मैगजीन ‘शार्ली हेब्दो’ ने ऐलान किया कि वो पैगंबर मोहम्मद के बेहद विवादास्पद कार्टून को फिर से प्रकाशित कर रहा है ताकि हमले के कथित अपराधियों के मुकदमे की शुरुआत हो सके। इसी पत्रिका में 2015 में हुए आतंकी हमले में 12 लोग मारे गए थे। उस कार्टून के फिर से प्रकाशित किए जाने के बाद फ्रांस में कई जगहों पर कट्टरपंथियों ने हिंसा फैलाई। एक टीचर का सर कलम कर दिया गया, तीन और लोगों की ह्त्या कर दी गयी। इसके बाद फ्रेंच राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने इस्लामी आतंकवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ अभियान छेड़ दिया, जो जारी है।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव- डोनाल्ड ट्रंप और बाइडेन की टक्कर

सबसे बड़ी घटना अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव रहे। डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेट पार्टी के उम्मीदवार जो बाइडेन के बीच बेहद तीखा मुकाबला हुआ। ट्रंप ने चुनाव को फ्रॉड और धांधली भरा करार दिया है। मुकदमों की बाढ़ ला दी है।जो बाइडेन को विजई घोषित किया गया। वर्ष 1992 में जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश के बाद ट्रंप ऐसे पहले राष्ट्रपति हैं जो पुन:निर्वाचन के प्रयास में विफल रहे।

Donald Trump and Biden

ये भी देखें: बंगाल में हालात तो राष्ट्रपति शासन वाले ही हैं, जानें यहां के सत्ता विरोधी रुझान

महान अभिनेताओं और कलाकारों के जाने का दुःख

नवाब बानों उर्फ़ निम्मी जिन्हें राजकपूर फ़िल्मों में लाये थे व सलाम बाम्बे वाले इरफ़ान खान न्यूरोएंडोक्रियेन ट्यूमर के नाते चल बसे। ल्यूकेमिया के नाते ऋषि कपूर का निधन हो गया। साजिद वाजिद की जोड़ी टूट गयी। संगीतकारों की इस जोड़ी में से वाजिद खान नहीं रहे। निर्देशक वासु चटर्जी का भी 93 साल की उम्र में निधन हो गया। सुशांत सिंह राजपूत की मौत हत्या व आत्महत्या में झूलती रही।

अपने इशारे पर बड़े बड़े हीरो हिरोइन को नचाने वाली कोरियोग्राफ़र सरोज खान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ। भोपाली का किरदार निभाने वाले हास्य कलाकार जगदीप भी नहीं रहे। 50 व 60 के दशक की अभिनेत्री व गुरूदत्त की खोज कुमकुम भी हमारे बीच नहीं रहीं। थियेटर कलाकार इब्राहीम अल्का का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

look back 2020-5

पंडित जसराज का अमेरिका में निधन

संगीत के मेवात घराने से ताल्लुक़ रखने वाले गायक पंडित जसराज का अमेरिका में 90 साल की उम्र में निधन हो गया। गायक एस पी बालासुब्रमण्यम का कोराना के चलते निधन हुआ। मराठी फ़िल्मों के रवि पटवर्धन,बंगाली सिनेमा के अभिनेता सौमित्र चटर्जी,कलाकार आसिफ़ बसरा ,फ़राज़ खान, मराठी फ़िल्मों की पहचान आशालता वबगाओंकार, मराठी निर्देशक निशिकांत कामत को भी इस साल ने हमसे छीन लिया।

तमाम दिक़्क़तों के बाद भी गुजरे साल में जीने के लिए हमें कुछ सिल्वर लाइन तलाशना ही होगा। इस लिहाज़ से देखें तो कह सकते हैं कि 1346 में महामारी ब्लैक डेथ आई थी। पूरी दुनिया में बीस करोड़ लोग मरे थे। यह चार साल तक चली थी। स्पैनिश व पुर्तगाली यात्रियों की वजह से 1520 में अमेरिकी चेचक की वजह से महाद्वीप के 60 फ़ीसदी से अधिक लोग मरे। 1918 में सेना के जवानों से फैले स्पैनिश फ़्लू ने पाँच करोड़ लोगों की जान ले ली थी। जो दुनिया की कुल आबादी का तीन फ़ीसदी थी।एडस ने अब तक 3.2 करोड़ लोगों की जान ले ली है।

ये भी देखें: भारत की विशालता का प्रतिबिंब होगा नया संसद भवन, बढ़ेगी सांसदों की संख्या

look back 2020-6

कोरोना काल में बेरोज़गारी वाले राक्षस का कद और बढ़ गया

1929 से 1933 तक चली मंदी में बेरोज़गारी कोरोना काल से अधिक रही। 536 ईस्वी में दुनिया के ज़्यादातर लोग 18 महीने तक छाया रहस्यमयी धुँध के चलते खुला आसमान नहीं देख पाये थे। फसल बर्बाद होने के चलते लोग भूखों मरे। कहा जाता है कि यह विपदा आइसलैंड या उत्तरी अमेरिका में हुए ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से आई थी।

राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा। बीस देशों में महिलाएँ देश का नेतृत्व कर रही है। संरा की रिपोर्ट बताती है कि 2020 में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दो गुना हो गया है। कुल सीटों की पच्चीस फ़ीसदी तक पहुँच गया है।

चाँद पर उम्मीद से ज़्यादा पानी है

कमला हैरिस अमेरिका में उप राष्ट्रपति बन सकीं। कार्बन उत्सर्जन कम हुआ। चाँद पर उम्मीद से ज़्यादा पानी है यह नासा ने खुलासा किया। सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता खुला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगस्त 2020 में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया। मंदिर की आधारशिला रखी।

दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Newstrack

Newstrack

Next Story