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Love Jihad: लव जिहाद या छल विवाह, निकाह की मजबूरी क्यों, इसे समझना बहुत जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि लव जिहाद होता है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खान्विल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का हादिया मामले में फैसला भी महत्वपूर्ण है। योगी सरकार का जोर छल विवाह पर है अंतर धार्मिक विवाह पर नहीं

Yogesh Mishra
Written By Yogesh MishraPublished By Praveen Singh
Published on: 1 Dec 2020 8:13 PM IST (Updated on: 27 July 2021 4:30 PM IST)
Love Jihad: लव जिहाद या छल विवाह, निकाह की मजबूरी क्यों, इसे समझना बहुत जरूरी
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Marriage takes place in love marriage, why change the religion in love jihad

उत्तर प्रदेश के बरेली के उवैश अहमद लव जिहाद के क़ानून की जद में आने वाले पहले व्यक्ति बने। हालाँकि योगी सरकार जो क़ानून लाई है उसमें कहीं भी लव जिहाद का ज़िक्र नहीं है। इसे 'विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम उत्तर प्रदेश-2020' नाम दिया गया है। एक ऐसे समय जब उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की इलाहाबाद पीठ ने अंतर धार्मिक विवाह के मामले में दो अलग अलग फ़ैसले दिये हों तब इस क़ानून की अहमियत और बढ़ जाती है। हालाँकि बहुत पहले केरल हाईकोर्ट यह कह चुका है कि सरकार लव जिहाद के ख़िलाफ़ क़ानून बनाये।

क्या कहती है अदालत

पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक न्यायाधीश की बेंच ने शादी के लिए धर्म बदलने को ग़लत बताया। दो न्यायाधीशों की बेंच ने कथित लव जिहाद से जुड़े एक फैसले में कहा कि दो वयस्क लोगों को जीवन साथी चुनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में मिले जीवन और आजादी के अधिकार में निहित है।

हाईकोर्ट ने इससे पहले शादी के लिए धर्म परिवर्तन को गलत ठहराने वाले पहले के फैसले को खराब कानून बताया। पर सवाल यह शेष रह जाता है कि विवाह दो व्यक्तियों का केवल रिश्ता कैसे हो सकता है? दो लोगोंकी निजी रस्म इसे कैसे माना जा सकता है? इसमें दो परिवारों का सरोकार भी होता है।

आख़िर अंतर धार्मिक विवाह के मामले में प्रायः लड़की को ही धर्म क्यों बदलना पड़ता है? जिस लव में विवाह के लिए धर्म परिवर्तन एक अनिवार्य सा तत्व हो उसे सिर्फ़ जीवन साथी चुनने के अधिकार के चश्मे से देखना ग़लत होगा।

भगवाकरण का चश्मा

वैसे भी जो लोग इस क़ानून को भगवाकरण के चश्मे से देखने के आदी हैं। जो लोग इसे धर्मनिरपेक्षता व सांप्रदायिकता की लड़ाई बनाना चाहते हैं। जो लोग केवल हिंदू मुसलमान की शक्ल देना चाहते हैं, उनके लिए यह जानना बहुत ज़रूरी है कि इस मुद्दे को पहली बार भाजपा या उसके समर्थक किसी संगठन ने नहीं छेड़ा। न ही किसी भाजपा शासित राज्य से इसकी शुरुआत हुई।

सितंबर, 2009 में केरल की कैथोलिक बिशप काउंसिल ने आरोप लगाया कि साढ़े चार हजार गैरमुस्लिम लड़कियों को टार्गेट कर उनका धर्मांतरण कराया गया। 10 दिसंबर, 2009 को केरल हाईकोर्ट ने कहा कि 1996 से यह सिलसिला जारी है। इसमें कुछ मुस्लिम संगठन शामिल हैं, जो अच्छे घरों की हिंदू और ईसाई लड़कियों को टार्गेट करते हैं। अदालत ने कहा कि सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाए।

सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि लव जिहाद होता है

मुस्लिम युवक हिंदू लड़कियों को अपने प्यार के जाल में फंसाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाकर लव जिहाद करते हैं। इसकी शुरुआत तब हुई जब केरल हाईकोर्ट ने हिंदू महिला अखिला अशोकन का मुस्लिम शफीन से निकाह को रद कर दिया।

निकाह से पहले अखिला ने धर्म परिवर्तन करके अपना नाम हादिया रखा। जिसके खिलाफ अखिला के माता-पिता केरल हाईकोर्ट गये। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी को आतंकवादी संगठन आईएसआईएस में फिदायीन बनाने के लिए लव जेहाद का सहारा लिया गया।

अखिला के पति शफीन ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की एनआईए जांच के आदेश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस सुनवाई के दौरान कहा, "जिस तरह इंटरनेट गेम ब्लू व्हेल में किसी लड़के या लड़की को टास्क दिए जाते हैं। जिसमें उसे आखिर में सुसाइड करना होता है, उसी तरह आजकल किसी को भी खास मकसद के लिए राजी करना आसान हो गया है।"

कोर्ट ने कहा कि जांच रिपोर्ट और केरल पुलिस से मिली जानकारी पर गौर करने और पीड़ित महिला से बात करने के बाद ही अपना फैसला सुनाएगी। हालांकि आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के पक्ष में फैसला सुनाया।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खान्विल्कर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़

न्पायाधीशों की पीठ ने कहा 'हादिया को अपने पति शफीन के साथ रहने की इज़ाजत है। NIA मामले से निकले दूसरे पहलुओं पर जांच जारी रख सकता है। हैवियस कॉर्पस को लेकर हाई कोर्ट का दखल और आदेश कानून के मुताबिक नहीं था।'

इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा था 'एनआईए किसी भी विषय में जांच कर सकती है लेकिन वह दो वयस्कों की शादी को लेकर कैसे जांच सकती हैं? अगर दो बालिग शादी करते हैं और सरकार को ऐसा लगता है कि दंपति में से कोई गलत इरादे से विदेश जा रहा है, तो सरकार उसे रोकने में सक्षम है।'

अच्युतानंदन का आरोप

उसके बाद जुलाई, 2010 में केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री और माकपा नेता वीएस अच्युतानंदन नेआरोप लगाया कि शादी के नाम पर गैर-मुस्लिम लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराकर केरल को मुस्लिम बहुल राज्य बनाने की कोशिश हो रही है।

दिसंबर 2011 में कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में 84 लापता लड़कियों का मुद्दा उठाया। बरामदगी के बाद 69 लड़कियों ने कहा कि उन्हें धर्मांतरण के लिए मजबूर किया गया।

लव जिहाद अंग्रेजी भाषा के शब्द लव यानी प्यार, मोहब्बत, इश्क और अरबी भाषा के शब्द जिहादसे बना है। जिसका मतलब होता है किसी मकसद को पूरा करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगादेना। जिहाद के साथ लव हो ही नहीं सकता।

प्रेम में धर्म कोई रोड़ा नहीं होना चाहिए।

प्रेम दोतरफ़ा होता है। फिर उत्सर्ग एक ही क्यों करें? लड़की ही कलमा पढने को मजबूर क्यों हो? महबूबा को मज़हब से बड़ी क्यों नहीं होने दिया जाता। जब मज़हब बड़ा रहे तब शादी के अवैध होने का फ़ैसला ही रास्ता है।

विवाह के लिए यदि धर्मांतरण अनिवार्य शर्त हो तो विवाह धोखा हो जाता है। इस धोखे के शिकार को असलियत तब पता चलती है जब सब कुछ उसके हाथ से निकल चुका होता है।

अंतर धार्मिक विवाह में यदि पति पक्ष मुस्लिम है तो लड़की को धर्म बदलना ही पड़ता है। पर यदि पति पक्ष हिंदू हो तो लड़की के लिए यह करना ज़रूरी नहीं होता।

कमालरुख खान की पीड़ा

बॉलीवुड में म्यूजिक डायरेक्ट साजिद-वाजिद की जोड़ी में से वाजिद खान का निधन 1 जून, 2020 को हो गया। उनकी पत्नी कमालरुख खान ने इंस्टा पर अंतर धार्मिक विवाह पर लम्बा चौड़ा पोस्ट शेयर किया है। जिसमे उनका दर्द बयां है। कमालरुख खान ने लिखा है कि वाजिद खान के परिजन उन पर धर्म परिवर्तन के लिए दवाब डाल रहे हैं। उनकी मौत के सदमे से बाहर नहीं आ पाई हूँ । उनके परिवार वालें परेशान किये जा रहे हैं। वह मूलत: पारसी हैं।

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जिन्ना ने अपने दोस्त की बेटी से प्रेम विवाह किया था। जिन्ना की पत्नी का नाम रती बाई पेंतित था। वह पारसी थीं। जिन्ना से चौबीस साल छोटी थीं। रती की आख़िरी इच्छा यह थी कि उनका अंतिम संस्कार पारसी रीति से किया जाये। पर जिन्ना ने इसे पूरा नहीं किया। जवाहर लाल नेहरू की बहन पंडित विजया लक्ष्मी सैय्यद हुसैन नाम के नौजवान से प्रेम संबंधों के बाद विवाह करना चाहती थीं। पर शर्त यह थी सैयद हुसैन वेद मंत्र पढ़ें। हिंदू बनें। पर हुसैन ने यह करने से मना कर दिया।

पैरोकार खुद नहीं उतार पाते गले से नीचे

वैसे तो अंतर धार्मिक व अंतर जातीय विवाह की पैरोकारी बड़े बड़े नेता समय समय पर करते रहे हैं। पर उन्होंने अपने बच्चों का स्वेच्छा से न तो अंतर धार्मिक विवाह किया, न अंतर जातीय। यही नहीं, यदि उनके बच्चों ने ऐसा किया तो गले के नीचे उतारने में उन्हें लंबा समय लगा।

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हाँ, यह ज़रूर है कि अपने से बड़ी जातियों में विवाह का चलन मिलता है। हालाँकि हमारे यहां स्पेशल मैरिज एक्ट 1955 का प्रावधान है। फिर इस रास्ते को क्यों नहीं चुना जाता है। क्योंकि इसमें धर्मबदलने की अनिवार्यता पर अंकुश लगता है। मजिस्ट्रेट को विवाह संपन्न कराने के लिए तीस दिन कासमय मिलता है।

सरकार का जोर छल विवाह पर अंतर धार्मिक पर नहीं

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने जो क़ानून बनाया है। उसमें विवाह के लिए छल, कपट, प्रलोभन या बलपूर्वक धर्मांतरण कराए जाने पर अधिकतम 10 साल के कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।

धर्म परिवर्तन के लिए जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी। बताना होगा कि धर्म परिवर्तन जबरन, दबाव डालकर, लालच देकर या किसी तरह के छल कपट से नहीं किया जा रहा है। अनुमति के लिए2 महीने का नोटिस देना होगा। अगर कोई सिर्फ लड़की के धर्म परिवर्तन के लिए उससे शादी करेगा तो शादी अवैध मानी जाएगी।

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सामूहिक धर्म परिवर्तन करवाने वाले की सजा 10 साल तक कर दी गयी है। इसके अलावा कम सेकम 50,000 रुपये का जुर्माना भी देना होगा। धर्म परिवर्तन में शामिल संगठनों का रजिस्ट्रेशन निरस्तकर कार्रवाई की जाएगी। नाम छिपाकर शादी करने वाले के लिए भी दस साल तक की सजा का भी प्रावधान है। यह संज्ञेय अपराध की श्रेणी में गैर जमानती होगा। सुनवाई प्रथम श्रेणी मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में होगी ।

इस तरह भाजपा सरकारों लव जिहाद के सवाल पर जिस तरह आगे बढ़ रही है, उसमें अंतर धार्मिक शादियों से ज़्यादा ज़ोर छल पूर्वक विवाह पर है। यह अगर नहीं दिख रहा है तो सरकार व क़ानून का नहीं, नज़र व नज़रिये का दोष है।

( लेखक वरिष्ठ पत्रकार व न्यूजट्रैक के संपादक हैं।)



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