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Assembly Election Result 2023: चुनाव नतीजे से निकला बड़ा संदेश, मोदी मैजिक बरकरार और नारी शक्ति बनी ब्रह्मास्त्र, अब कांग्रेस के लिए क्या है आगे का रास्ता

Assembly Election Result 2023: मध्य प्रदेश में भाजपा ने डेढ़ दशक की सत्ता विरोधी लहर की आशंका को दरकिनार करते हुए बड़ी जीत हासिल की है। राजस्थान में हर पांच साल में राज बदलने का रिवाज कायम रहा है और भाजपा ने अशोक गहलोत की जादूगरी को नाकाम कर दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman Tiwari
Published on: 4 Dec 2023 12:39 PM IST
Assembly Election Result 2023
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Assembly Election Result 2023  (फोटो: सोशल मीडिया )

Assembly Election Result 2023: चार राज्यों के रविवार को आए नतीजे ने देश में आगे की सियासत के लिए बड़ा संदेश दिया है। भाजपा ने तीन हिंदी भाषी राज्यों पर कब्जा करते हुए कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। कांग्रेस के लिए सुकून की बात सिर्फ इतनी है कि कर्नाटक के बाद एक और दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना में पार्टी को जीत हासिल हुई है। मध्य प्रदेश में भाजपा ने डेढ़ दशक की सत्ता विरोधी लहर की आशंका को दरकिनार करते हुए बड़ी जीत हासिल की है। राजस्थान में हर पांच साल में राज बदलने का रिवाज कायम रहा है और भाजपा ने अशोक गहलोत की जादूगरी को नाकाम कर दिया है।

बीजेपी को सबसे शानदार जीत तो छत्तीसगढ़ में हासिल हुई है जहां पार्टी ने तमाम अनुमानों को दरकिनार करते हुए 54 सीटों पर कब्जा कर लिया है। चार राज्यों के इस जनादेश से कई बड़े संदेश निकले हैं। सबसे बड़ा संदेश तो यही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभी भी मतदाताओं का पूरा भरोसा बरकरार है। भाजपा ने सभी राज्यों में पीएम मोदी के नाम और काम के दम पर चुनाव लड़ा था और पार्टी बड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही है। इससे 2024 की जंग में पार्टी की चुनावी संभावनाएं काफी मजबूत हुई हैं। इस चुनाव नतीजे से भाजपा और कांग्रेस के लिए अलग-अलग संदेश निकले हैं।

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ब्रांड मोदी की चमक बरकरार

विधानसभा चुनाव के नतीजे से साफ हो गया है की ब्रांड मोदी की चमक अभी भी बरकरार है। भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में बिना किसी सीएम फेस के चुनाव लड़ा था। यहां तक की मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता के बावजूद पार्टी की ओर से उन्हें सीएम चेहरा नहीं बनाया गया था। दूसरी ओर कांग्रेस ने भले ही आधिकारिक रूप से सीएम चेहरा न घोषित किया हो मगर इतना तय था कि पार्टी को जीत मिलने पर मध्य प्रदेश में कमलनाथ, राजस्थान में अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल ही मुख्यमंत्री होंगे।

भाजपा के पास भी तीनों राज्यों में शिवराज सिंह चौहान, वसुंधरा राजे और रमन सिंह के रूप में तीन मजबूत चेहरे थे मगर तीनों ही राज्यों में भाजपा पीएम मोदी के चेहरे पर चुनावी अखाड़े में उतरी थी।


विधानसभा चुनाव से पहले कहा जा रहा था कि अब पहले जैसी मोदी लहर नहीं रही और उनके नाम पर चुनाव लड़ना और जीतना भाजपा के लिए मुश्किल होगा मगर यह आकलन गलत निकला। जनता ने मोदी की गारंटी पर भरोसा करते हुए तीनों राज्यों में भाजपा को जीत का बड़ा तोहफा दे दिया।

यही कारण है कि तीनों राज्यों में भाजपा की इस जीत का श्रेय पीएम मोदी को ही दिया जा रहा है। सियासी जानकारों का भी मानना है कि चुनाव नतीजे से साफ हो गया है कि जनता का अभी भी पीएम मोदी में भरोसा बरकरार है। भाजपा की बड़ी जीत के बाद इसे पीएम मोदी की नीतियों की जीत माना जा रहा है।

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नारी शक्ति बनी ब्रह्मास्त्र

अब चुनावी जीत में महिलाओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तीनों राज्यों में भाजपा की प्रचंड जीत में महिलाएं ब्रह्मास्त्र साबित हुई हैं। तीनों राज्यों में आधी आबादी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी पर भरोसा करते हुए भाजपा की झोली वोटों से भर दी। मोदी सरकार ने महिला मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए ही पिछले दिनों संसद में नारी शक्ति अधिनियम बिल लाकर विधानसभा और लोकसभा में महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण का रास्ता साफ कर दिया था। पीएम मोदी ने 2014 में सत्ता संभालने के लिए के बाद से ही महिलाओं के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं और इसका असर विभिन्न चुनावों में दिखता रहा है।


मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह चौहान की लाडली बहना योजना को सबसे बड़ा गेमचेंजर माना जा रहा है। इस योजना ने भाजपा और शिवराज सिंह चौहान की सियासी जमीन को मजबूत बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। मध्य प्रदेश में लाडली बहना, लाडली लक्ष्मी, निकाय चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना को ठीक से लागू किया गया है। मतदान के दौरान इसका काफी असर दिखा और महिलाओं ने भाजपा के पक्ष में जमकर मतदान किया।

छत्तीसगढ़ में विवाहिता को 1200 रुपये सालाना देने का वादा, राजस्थान में 450 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा और तेलंगाना में कांग्रेस की ओर से महिलाओं को ढाई हजार रुपये दिए जाने का वादा महिला मतदाताओं का पार्टियों के प्रति रूझान बढ़ाने का बड़ा संकेत है। 2024 की सियासी जंग में भी महिलाएं किसी भी दल की हार-जीत में सबसे बड़ा फैक्टर साबित होंगी।

हिंदी बेल्ट में कांग्रेस की कमजोरी उजागर

विधानसभा चुनाव के नतीजे से एक बात यह भी साफ हो गई है कि हिंदी बेल्ट में कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती जा रही है। अब पार्टी के पास हिमाचल प्रदेश को छोड़कर कोई भी हिंदी भाषी राज्य नहीं रह गया है।

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दिल्ली की सत्ता का फैसला करने में हिंदी भाषी राज्यों की प्रमुख भूमिका रही है और ऐसे में कांग्रेस की हार 2024 की सियासी जंग के लिए पार्टी की चिंता बढ़ने वाली है। हिंदी भाषी राज्यों में अब क्षेत्रीय दलों के सामने कांग्रेस काफी कमजोर स्थिति में नजर आ रही है और उसे क्षेत्रीय दलों की शर्तों के हिसाब से समझौते करने होंगे।

दक्षिण भारत में कांग्रेस के लिए संभावनाएं

चुनाव के नतीजे से एक बात यह भी साफ हो गई है कि हिंदी भाषा राज्यों में भले ही कांग्रेस अपनी स्थिति मजबूत बनाने में विफल साबित हुई हो मगर दक्षिण भारत में अभी भी पार्टी के लिए अच्छी संभावनाएं बनी हुई हैं। कर्नाटक के बाद पार्टी ने दक्षिण भारत के एक और राज्य तेलंगाना पर कब्जा कर लिया है। तेलंगाना को केसीआर का मजबूत गढ़ माना जाता है मगर कांग्रेस यहां सत्ता छीनने में कामयाब हुई है। तेलंगाना में पहली बार कांग्रेस की सरकार बनी है। तेलंगाना में मिली इस जीत से पार्टी के लिए आंध्र प्रदेश में भी अच्छी संभावनाएं बन सकती हैं।

तेलंगाना में पूरी ताकत लगाने के बाद भाजपा भी अपनी स्थिति सुधारने में कामयाब हुई है। पिछले विधानसभा में चुनाव में भाजपा ने सिर्फ एक सीट जीती थी मगर इस बार भाजपा आठ सीटें जीतने में कामयाब रही है और उसका वोट प्रतिशत भी बढ़कर 14 फ़ीसदी के करीब पहुंच गया है।

जातिगत जनगणना का दांव फेल

इस बार के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने जातिगत जनगणना करने का बड़ा सियासी दांव खेला था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं ने अपनी चुनावी सभाओं के दौरान इस मुद्दे को खूब उछाला। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी जीत मिलने पर जातिगत जनगणना करने का वादा किया था मगर कांग्रेस का यह सियासी दांव फेल साबित हुआ। कांग्रेस ओबीसी और आदिवासी मतदाताओं को आकर्षित करने में पूरी तरह विफल साबित हुई।


ओबीसी और आदिवासी मतदाताओं के साथ ही सवर्ण मतदाताओं का समर्थन भी भाजपा के पक्ष में दिखा है। मध्य प्रदेश की लगभग 60 ओबीसी बहुल सीटों में से बीजेपी ने 40 से अधिक सीटों पर जीत हासिल की है।

इसी तरह छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल कांग्रेस के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे थे मगर यहां भी कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। राज्य में करीब 41 फ़ीसदी ओबीसी मतदाता हैं। इसके बावजूद भाजपा छत्तीसगढ़ में 46 फ़ीसदी मतों के साथ 54 सीटें जीतने में कामयाब रही है। छत्तीसगढ़ में 21आदिवासी बहुल सीटें कांग्रेस से छिन गई हैं जबकि ओबीसी बहुल 30 सीटों पर भी कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।

कांग्रेस को उभारना होगा नया नेतृत्व

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं कमलनाथ और दिग्विजय को शायद अगले विधानसभा चुनाव तक पार्टी की अगुवाई करने का मौका नहीं मिलेगा। इसी तरह राजस्थान में भी अशोक गहलोत के लिए यह विधानसभा चुनाव आखिरी मौका माना जा रहा था। ऐसे में इन दोनों राज्यों में कांग्रेस को नए स्थानीय मजबूत नेतृत्व को पैदा करना होगा। ऐसे में माना जा रहा है कि इन राज्यों में दूसरी पंक्ति के नेताओं की किस्मत खुल सकती है।

भाजपा की ओर से भी नए नेतृत्व को उभारने का प्रयास किया जा सकता है। चुनाव से पहले भी पार्टी की ओर से यह संकेत दिया गया था कि अगर वह चुनाव जीतने में कामयाब रही तो नए नेतृत्व को बढ़ावा दिया जा सकता है। अब मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के अलावा केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया और वीडी शर्मा जैसे नामों की चर्चा है। राजस्थान में वसुंधरा राजे के अलावा गजेंद्र सिंह शेखावत, बालकनाथ और अर्जुन राम मेघवाल और दीया कुमारी के नाम चर्चाओं में लिए जा रहे हैं।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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