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अटल के हनुमान जसवंत सिंह: ऐसे हैं दोस्ती के किस्से, निधन पर मोदी भी दुखी

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और उनकी सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह की दोस्ती के कई किस्से हुई राजनीति के गलियारों में मशहूर हैं।

Shivani
Published on: 27 Sep 2020 4:41 AM GMT
अटल के हनुमान जसवंत सिंह: ऐसे हैं दोस्ती के किस्से, निधन पर मोदी भी दुखी
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लखनऊ. अटल बिहारी वाजपेई उन्हें अपना हनुमान कहते थे। अटल के विश्वासपात्र पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह उनकी सरकार के दौरान हमेशा संकटमोचक की भूमिका में दिखाई दिए। यह अलग बात है कि अटल युग के बाद उनकी भाजपा से नहीं बनी। उनके अवसान पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके अटल सरकार में किए गए काम की सराहना की और शोक जताया।

अटल- जसवंत सिंह की दोस्ती के कई किस्से

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और उनकी सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह की दोस्ती के कई किस्से हुई राजनीति के गलियारों में मशहूर हैं। अटल सरकार के दौरान भारतीय जनता पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं को अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाने के लिए जसवंत सिंह का सहारा लेना पड़ता था।

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देश के वर्तमान उपराष्ट्रपति और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके वेंकैया नायडू के बारे में भी कहा जाता है कि जब उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया तो इसकी सूचना देने के लिए अटल जी के पास जसवंत सिंह और अरुण जेटली ही पहुंचे थे। अटल जी के मन की बात को संकेतों में समझने में माहिर जसवंत सिंह ने उस वक्त भी यह बता दिया था कि वेंकैया नायडू के चयन पर अटल जी खुश नहीं है।

Atal bihari vajpayee close aide jaswant-singh-passes away Modi condolence

भारतीय सेना की सेवा से करियर की शुरुआत

राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव जसोल में 3 जनवरी 1938 को जन्म लेने वाले जसवंत सिंह ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने अपने जीवन की शुरुआत भारतीय सेना की सेवा के साथ शुरू की। शौर्य और साहस का जीवन उन्होंने बेहद कम उम्र में चुन लिया था। उन्होंने भारतीय सेना ज्वाइन की तब उनकी उम्र महज 15 साल की थी वह जोधपुर के पूर्व महाराजा गज सिंह के भी करीबी माने जाते हैं।

जसवंत सिंह का शुरुआती जीवन

जसवंत सिंह मेयो कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़कवासला में रह कर ज्ञानार्जन किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने उन्हें अपनी सरकार के दोनों कार्यकाल में अपनी कैबिनेट में महत्वपूर्ण जगह दी। 1996 में बनी वाजपेई सरकार में भी वह वित्त मंत्री रहे । अटल जी ने दोबारा उन्हें 5 दिसंबर 1998 को अपनी सरकार में शामिल किया और 1 जुलाई 2002 तक विदेश मंत्री बनाए रखा । 2002 यशवंत सिन्हा के स्थान पर वित्त मंत्रालय जैसा अहम महकमा सौंपा।

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2000 से 2001 तक अटल जी ने उन्हें अपनी सरकार ने रक्षा मंत्री का महत्वपूर्ण कार्यभार भी सौंपा। इस दौरान वह विदेश मंत्री का भी कार्यभार भी संभालते रहे। वित्त मंत्री के तौर पर उन्होंने बाजार को लाभ पहुंचाने वाले कई सुधार लागू की वह स्वयं को एक उदारवादी नेता मानते थे इसलिए भी वाजपेई के बेहद खास थे।

अटल के बने हनुमान

अटल सरकार ने 1998 में जब पोखरण परमाणु परीक्षण किया तब भारत को आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा। उस वक्त भारत के विदेश मंत्री की भूमिका में दुनिया के कई देशों की यात्रा कर जसवंत सिंह ने अटल सरकार के पक्ष में माहौल तैयार किया। उनकी मेहनत का बाद में असर भी दिखाई दिया। दुनिया के देशों ने भारत के परमाणु परीक्षण को मान्यता दी और आर्थिक प्रतिबंध भी हट गए। यही वजह है कि अटल बिहारी वाजपेई उनको संकट मोचन हनुमान कहते रहे।

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उदारवादी चेहरे ने मोदी युग वाली भाजपा से किया दूर

पूर्व विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री रहे जसवंत सिंह ने पाकिस्तान के कायदे आजम जिन्ना को लेकर एक किताब लिखी जिसमें उन्होंने सरदार पटेल और पंडित नेहरू को देश विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया लेकिन जिन्ना की तारीफ़ की।

जिन्ना: इंडिया- पार्टीशन, इंडिपेंडेंस में उनकी लिखी बातें भाजपा और आरसीएस को बर्दाश्त नहीं हुई है ऐसे में उन्हें 2009 में भारतीय जनता पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इसके बाद उन्हें पार्टी में वापसी तो मिली लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें राजस्थान के बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा सीट से पार्टी का टिकट नहीं दिया गया।

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भाजपा के नेताओं का कहना है कि तब पार्टी हिंदुत्व के रथ पर सवार हो चुके थे ऐसे में उदारवादी चेहरे वाले जसवंत सिंह को जगह मिलना संभव नहीं था। भाजपा के इस कठोर फैसले को वह बर्दाश्त नहीं कर सके और लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में कूद पड़े। इसके बाद पार्टी ने उन्हें 6 साल के लिए दोबारा निष्कासित कर दिया।

Former Union Minister Jaswant Singh passes away PM Modi Rajnath Singh condolences

अपने प्रिय मित्र अटल बिहारी वाजपेई के निधन के अवसर पर ब्रेन हेमरेज की वजह से अस्पताल में भर्ती रहे। अटल के निधन की भी सूचना नहीं दी गई। राजनीति में वनवास झेल रहे जसवंत सिंह ने भी शायद महसूस कर लिया कि अब उनके राम नहीं रहे इसलिए उन्होंने भी लंबी बीमारी के बाद महाप्रयाण का वरण कर लिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जताया दुख

पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शोक जताया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में कहा कि जसवंत सिंह जी ने एक सैनिक के रूप में और बाद में राजनीति के साथ अपने लंबे जुड़ाव के दौरान देश की बड़ी सेवा की है। अटल जी की सरकार के दौरान उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा व विदेश राजनीति के क्षेत्र में पूरी दुनिया के समक्ष भारत की मजबूत साख बनाई। उनके निधन से दुखी हूं।



अखिलेश तिवारी

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