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खूंखार शासक औरंगजेबः तुड़वा दिए थे मंदिर, जानें क्यों माना जाता था इतना कट्टर

लोगों के बीच औरंगज़ेब की छवि हिंदुओं से नफ़रत करने वाले धार्मिक उन्माद से भरे कट्टरपंथी बादशाह की है, जिसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपने बड़े भाई दारा शिकोह को भी नहीं बख्शा।

Ashiki
Published on: 3 March 2021 6:58 AM GMT
खूंखार शासक औरंगजेबः तुड़वा दिए थे मंदिर, जानें क्यों माना जाता था इतना कट्टर
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खूंखार शासक औरंगजेबः तुड़वा दिए थे मंदिर, जानें क्यों माना जाता था इतना कट्टर

लखनऊ: एक मुगल बादशाह जो भारतीय जनमानस के बीच जगह बनाने में नाकामयाब रहा, वो था कट्टरपंथी शासक औरंगजेब। लोगों के बीच औरंगज़ेब की छवि हिंदुओं से नफ़रत करने वाले धार्मिक उन्माद से भरे कट्टरपंथी बादशाह की है, जिसने अपने राजनीतिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अपने बड़े भाई दारा शिकोह को भी नहीं बख्शा।

पिता को जेल में डलवा दिया

औरंगजेब ने क्रूरता की सारी हदें तोड़ दी थी। सत्ता के लिए अपने पिता को जेल में डलवा दिया। यहां तक कि औरंगजेब हिंदुस्तान के तख्त पर अपने सगे संबंधियों के खून को बहाकर बैठा था। उसने अपने बूढ़े पिता शाहजहां तक को उनके जीवन के आखिरी साढ़े सात सालों तक आगरा के किले में कैदी बना कर रखा था। औरंगजेब के शासन में मुगल साम्राज्य की सीमाएं खूब लंबी हुईं। खूब उपलब्धि हासिल होने के बावजूद भी औरंगजेब को कट्टर शासक के रूप में ही जाना जाता है।

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औरंगज़ेब ने भारतीय उपमहाद्वीप पर आधी सदी से भी ज्यादा समय तक राज्य किया। औरंगजेब मुगल साम्राज्य का छठा शासक और शाहजहां का तीसरा पुत्र था। उसका जन्म 3 नवंबर, 1618 को दोहाद में अपने दादा जहांगीर के शासनकाल में हुआ था। औरंगजेब ने इस्लामी धार्मिक साहित्य पढ़ने के अलावा तुर्की साहित्य भी पढ़ा और हस्तलिपि विद्या में महारत हासिल की।

मंदिरों को तुड़वाया

कहा जाता है कि औरंगजेब ने हिंदू धर्म के मंदिरों को तुड़वाया और लोगों पर तमाम तरह की पाबंदियां लगाई थी। उसने अपने शासन में बनारस के विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के केशव राय मंदिर को तुड़वाने का प्रयास किया था। उसने कई हिंदू विरोधी फैसले किए थे। यहां तक कि उसने गैर-मुस्लिमों पर जजिया कर लगाया और लाखों हिंदुओं को जबरदस्ती मुसलमान बनने पर मजबूर किया था। हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि औरंगजेब ने जितने मंदिर तुड़वाए थे, उससे कहीं अधिक मंदिर बनवाएं भी थे।

अत्याचारी शासक

कहा जाता है कि मुगल सम्राट अकबर ने जिस जजिया कर को समाप्त कर दिया था, औरंगजेब ने अपने शासन के दौरान उसे दोबारा लागू कर दिया। जजिया सामान्य करों से अलग था जो गैर मुस्लिमों को चुकाना पड़ता था। बता दें कि जजिया धर्म के आधार पर एक पक्षपाती कर था। यहां तक कि हिन्दुओं के दिल को दुखाने के लिए उसने गो−वध करने की खुली छूट दे दी थी।

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औरंगज़ेब की मृत्यु

50 वर्ष तक शासन करने के बाद उसकी मृत्यु दक्षिण के अहमदनगर में 3 मार्च सन् 1707 में हो गई। दौलताबाद में स्थित फ़कीर बुरुहानुद्दीन की क़ब्र के अहाते में उसे दफना दिया गया। उसकी नीति ने इतने विरोधी पैदा कर दिये, जिस कारण मुग़ल साम्राज्य का अंत ही हो गया।

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