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भारत में कामकाजी महिलाओं की स्थिति, लिंगभेद के कारण मिलता है कम वेतन: रिपोर्ट

वैश्विक महामारी कोरोना से दुनियाभर के लोग जूझ रहे हैं, लेकिन एक सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत की कामकाजी महिलाएं कोरोना की वजह से अधिक दबाव महसूस कर रहीं हैं।

Ashiki
Published on: 3 March 2021 11:34 AM IST
भारत में कामकाजी महिलाओं की स्थिति, लिंगभेद के कारण मिलता है कम वेतन: रिपोर्ट
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लिंगभेद के कारण 85% महिलाओं को पुरुषों की तुलना में मिलता है कम वेतन: रिपोर्ट

लखनऊ: दुनियाभर में 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है, लेकिन इससे पहले भारत में कामकाजी महिलाओं की स्थिति को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। वैश्विक महामारी कोरोना से दुनियाभर के लोग जूझ रहे हैं, लेकिन एक सर्वे रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत की कामकाजी महिलाएं कोरोना की वजह से अधिक दबाव महसूस कर रहीं हैं।

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आज भी लैंगिक भेदभाव का सामना कर रहीं महिलाएं

भारत में महिलाओं के लिए समानता की राह बड़ी चुनौती बनी हुई है। आज भी कामकाजी महिलाएं लैंगिक भेदभाव का सामना कर रही हैं। ऑनलाइन पेशेवर नेटवर्क लिंक्डइन अपॉर्च्युनिटी इंडेक्स, 2021 की एक सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 10 में से 9 यानी 89 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं कोरोना महामारी की वजह से अधिक दबाव महसूस कर रहीं हैं।

लिंगभेद के कारण 85 % महिलाओं को नहीं मिली पदोन्नति

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूरे एशिया पेसिफिक देशों में महिलाओं को काम और सैलरी के लिए कड़ी लड़ाई लड़नी पड़ी है। साथ ही कई जगह पर पक्षपात का भी सामना करना पड़ा। 22 % महिलाओं का कहना है कि उन्हें पुरुषों की तुलना उतनी वरियता नहीं दी जाती। वहीं 85% महिलाओं ने कहा कि 60% क्षेत्रीय औसत की तुलना में ना तो उन्हें सही टाइम पर प्रमोशन, न ही सैलरी हाइक या वर्क ऑफर मिलता। इतना ही नहीं सर्वे रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में 85 प्रतिशत महिला कर्मचारियों ने महिला होने के कारण वेतन वृद्धि, पदोन्नति सहित अन्य लाभ के मौके गंवा दिए।

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कोरोना की वजह से आयी बड़ी चुनैती

सर्वे में कहा गया है कि कोरोना की वजह से बच्चों की देखभाल को लेकर भी चुनौतियां सामने आई हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि वर्क फ्रॉम होम की वजह से कामकाजी मांओं की दिक्कतें बढ़ी हैं। अभी 10 में से 7 महिला यानी 77 % पूरे समय बच्चों की देखभाल कर रही हैं। वहीं, सिर्फ पांच में से एक यानी 17 प्रतिशत पुरुष ही पूरे समय बच्चों की देखभाल रहे हैं। इसके अलावा करीब दो-तिहाई कामकाजी महिलाओं ने कहा कि उन्हें पारिवारिक और घरेलू जिम्मेदारियों के कारण काम में भेदभाव का सामना करना पड़ा।



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