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बहुत हुआ तारीख पर तारीख: अब आयेगा फैसला, आज 5 बजे सुनवाई होगी खत्म
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 16 अक्टूबर को इस मामले की 40वीं और अंतिम सुनवाई होगी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक- सुप्रीम कोर्ट 4-5 नवंबर को अयोध्या जमीन विवाद मामले में फैसला सुना सकता है
नई दिल्ली: देश के सर्वोच्च न्यायालय में अयोध्या जमीन विवाद मामले की सुनवाई का अंतिम दौर चल रहा है, 16 अक्टूबर को मामले की अंतिम सुनवाई होगी। वहीं अब खबर आ रही है कि नवंबर के पहले सप्ताह में देश के इस बड़े मुकदमे में फैसला आ सकता है।
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इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि 16 अक्टूबर को इस मामले की 40वीं और अंतिम सुनवाई होगी। न्यूज एजेंसी के मुताबिक- सुप्रीम कोर्ट 4-5 नवंबर को अयोध्या जमीन विवाद मामले में फैसला सुना सकता है
आज की सुनवाई में क्या हुआ
मंगलवार को सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील के पाराशरण ने कहा कि बाबर ने अयोध्या में मस्जिद बनाकर जो भूल की, उसे सुधारे जाने की जरूरत है। अयोध्या में करीब 50 से 60 मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम नमाज अदा कर सकते हैं, लेकिन हिंदू भगवान राम के जन्मस्थान यानी अयोध्या को नहीं बदल सकते।
पाराशरण सुप्रीम कोर्ट में महंत सुरेश दास की तरफ से पैरवी कर रहे हैं। सुरेश दास पर सुन्नी वक्फ बोर्ड और अन्य द्वारा केस दायर किया गया था। पाराशरण ने कहा, ‘‘सम्राट बाबर ने भारत को जीता और उसने अयोध्या यानी भगवान राम के जन्मस्थान में मस्जिद बनवाकर ऐतिहासिक भूल कर दी। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने पाराशरण के जवाब पर आपत्ति जताई।
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धवन ने उनसे पूछा- क्या आप बता सकते हैं कि अयोध्या में कितने मंदिर है? पाराशरण ने कहा कि मैंने अपना तर्क भगवान राम के जन्मस्थान को लेकर दिया था।
‘एक बार जो मंदिर था, वह मंदिर ही रहेगा’
5 जजों की बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर हैं। बेंच ने पाराशरण से कई कानूनी मुद्दों कानून की सीमाएं जैसे सवाल पूछे। बेंच ने कहा, ‘‘मुस्लिम पक्ष का कहना है कि एक बार मस्जिद हो गई, तो वह हमेशा मस्जिद ही रहेगी। क्या आप इससे सहमत हैं?’’
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इस पर पाराशरण ने कहा, ‘‘मैं इसका समर्थन नहीं करता। मैं कहूंगा- एक बार कोई मंदिर बन गया, तो वह हमेशा मंदिर ही जाना जाएगा।’’
6 अगस्त से नियमित चल रही है सुनवाई
बता दें कि इसी साल 6 अगस्त से चीफ जस्टिस की अगुआई वाली 5 जजों की बेंच में नियमित सुनवाई चल रही है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया था अपना फैसला
गौरतलब है कि 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। एक हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला विराजमान को मिले। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 याचिकाएं दाखिल की गई थीं।