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अयोध्या मामला मध्यस्थता को सौंपा जाए या नहीं, कल फैसला सुना सकता है SC
अयोध्या में राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस बात का फैसले करेगी कि इस मामले को कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता को सौंपा जाए या नहीं।
नई दिल्ली: अयोध्या में राम मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस बात का फैसले करेगी कि इस मामले को कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थता को सौंपा जाए या नहीं। इससे पहले अदालत ने अयोध्या मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता का सुझाव देते हुए कहा था कि वह रिश्तों को सुधारने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है।
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पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर 1 फीसदी भी समझौता और मध्यस्थता का चांस है तो प्रयास होना चाहिए। जस्टिस बोबडे ने कहा था कि मध्यस्ता की प्रकिया गोपनीय रहेगी और ये भूमि विवाद की सुनवाई के साथ साथ चलेगी।
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हिंदू और मुस्लिम पक्षकारो का कहना था कि पहले भी अदालत की पहल पर इस तरह से विवाद को सुलझाने की कोशिश नाकामयाब हो चुकी है। मुस्लिम पक्षकारो की ओर से वकील राजीव धवन ने कहा था कि मध्यस्ता को एक चांस दिया जा सकता है, पर हिन्दू पक्ष को ये क्लियर होना चाहिए कि कैसे आगे बढ़ा जाएगा।
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जस्टिस बोबड़े ने कहा था कि हम एक प्रोपर्टी विवाद को निश्चित तौर पर सुलझा सकते हैं, पर हम रिश्तों को बेहतर करने पर विचार कर रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दस्तावेजों का अनुवाद देखने के लिए 6 हफ्ते दिया था और कहा था कि हमारे विचार में 8 हफ्ते के वक्त का इस्तेमाल पक्ष मध्यस्थता के ज़रिए मसला सुलझाने के लिए भी कर सकते हैं।