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राम मंदिर विवाद: जानिए क्या है 'मोल्डिंग ऑफ रिलीफ', कोर्ट ने दिए सुनवाई के संकेत
सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर विवाद पर आज यानी बुधवार को सुनवाई पूरी हो सकती है। देश की सर्वोच्च अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी-अपनी आखिरी दलील रखेंगे। अगर आज सुनवाई पूरी हो जाती है, तो यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा से एक दिन पहले पूरी होगी।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर विवाद पर आज यानी बुधवार को सुनवाई पूरी हो सकती है। देश की सर्वोच्च अदालत में हिंदू और मुस्लिम पक्ष अपनी-अपनी आखिरी दलील रखेंगे। अगर आज सुनवाई पूरी हो जाती है, तो यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई समयसीमा से एक दिन पहले पूरी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए 17 अक्टूबर तक समयसीमा तय कर रखी है। आज दोनों पक्षकारों की दलील के बाद मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर दलील पेश होगी और इसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया जाएगा। कोर्ट ने संकेत दिया है कि सभी पक्षकारों को सुनने के बाद वह मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर भी चर्चा करेगा। आज हम आपको बताते हैं कि आखिर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ क्या है।
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क्या है मोल्डिंग ऑफ रिलीफ
यानी विवाद वाली भूमि का मालिकाना हक किसी एक पक्ष को दिए जाने पर दूसरे पक्ष को क्या मिलेगा? कानून के जानकारों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 और सिविल प्रोसिजर कोड यानी सीपीसी की धारा 151 के तहत इस अधिकार का इस्तेमाल करता है।
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जानकारों का कहना है कि अयोध्या मामला पूरे अदालती और न्यायिक इतिहास में रेयर मामलों में से एक है। इसमें विवाद का असली यानी मूल ट्रायल हाईकोर्ट में हुआ और पहली अपील सुप्रीम कोर्ट सुन रहा है। मोल्डिंग ऑफ रिलीफ का मतलब ये है कि याचिकाकर्ता ने जो मांग कोर्ट से की है अगर वो नहीं मिलती है तो क्या विकल्प हो जो उसे दिया जा सके।
मतलब साफ है कि दो दावेदारों के विवाद वाली जमीन का मालिकाना हक किसी एक पक्ष को दिया जाता है तो दूसरा पक्ष इसके बदले क्या ले सकता है। जानकार कहते हैं कि हो सकता है कि अदालत दूसरे पक्ष को अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन का एक हिस्सा दे या फिर कुछ और।
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दोनों पक्ष अपनी मांगों पर अड़े
मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने कहा था कि हमें 6 दिसंबर 1992 के पहले वाली हालत में मस्जिद की इमारत चाहिए। तो वहीं हिंदू पक्ष ने कहा है कि राम जन्मस्थान पर उनका हक है।