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होली में आयुर्वेदिक महत्व: इस तरह से मनाएं त्योहार को खास, अपनाएं ये तरीके

इस त्योहार का न केवल धार्मिक महत्व बल्कि आयुर्वेदिक महत्व भी है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी होली खेलने का अपना महत्व है।

Shreya
Published on: 27 March 2021 2:47 PM GMT
होली में आयुर्वेदिक महत्व: इस तरह से मनाएं त्योहार को खास, अपनाएं ये तरीके
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होली में आयुर्वेदिक महत्व: इस तरह से मनाएं त्योहार को खास, अपनाएं ये तरीके

लखनऊ: हर किसी के लिए रंगों का त्योहार यानी होली (Holi) काफी खास रहता है। ये पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले होलिया दहन होता है और फिर एक दिन बाद लोग एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली विश करते हैं। अपनी पुरानी कड़वाहट को भूलकर लोग एक दूसरे को लगे लगाते हैं। तभी तो कहते हैं- बुरा न मानो होली है।

होली का है आयुर्वेदिक महत्व

इस त्योहार का न केवल धार्मिक महत्व बल्कि आयुर्वेदिक महत्व भी है। स्वास्थ्य के लिहाज से भी होली खेलने का अपना महत्व है। होली और आयुर्वेद के संबंध को लेकर आयुर्वेदाचार्य कहते हैं कि हमारा शरीर भूमि, आकाश, वायु, जल और अग्नि से मिल कर बना है। शरीर में इन तत्वों की गड़बड़ी होने से बीमारियां होती हैं और वात, पित्त और कफ में असंतुलन पैदा होता है।

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आयुर्वेदाचार्यों का कहना है कि हमारे शरीर में गड़बड़ी या फिर असुंतलन होने की प्रमुख वजहों में से एक बदलता मौसम भी है। इसीलिए आयुर्वेद में हर मौसम के मुताबिक, रहन-सहन और आहार को लेकर नियम हैं, जिसे ऋतुचर्या कहते हैं। होली का पर्व वसंत ऋतु के लिए रहन-सहन और आहार संबंधी नियमों का एक हिस्सा है।

इसलिए मनाया जाता है होली का पर्व

दरअसल, वसंत ऋतु की दस्तक के साथ गर्म दिनों की शुरुआत हो जाती है। सर्दियों के बाद तुरंत मौसम में बदलाव होने के चलते शरीर में जमा कफ पिघलना शुरू कर देता है और कफ से संबंधित कई बीमारियां होने लगती हैं। ऐसे में होली का त्योहार इसी कफ से निजात दिलाने के लिए मनाया जाता है।

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gujhia (फोटो- सोशल मीडिया)

वहीं, होली के पकवान को लेकर आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि होली के दिन भले ही कोई कितनी भी कोशिश क्यों न कर ले, लेकिन तली-भुनी चीजों, मिठाइयों और खासकर गुझिया से तो दूर नहीं रह सकता है। लेकिन इन सबमें अपने पेट का भी बहुत ख्याल रखना बेहद जरूरी है। आयुर्वेद संतुलन की बात करता है। संतुलन के लिए जरूरी है कि किसी चीज की अति न हो, किसी चीज से बिल्कुल विरक्ति न हो और कुछ अप्राकृतिक न हो।

रखें इस बात का ख्याल

ज्यादा मीठे, गुझिया से करिए परहेज।

मिलावट वाली चीजों से परहेज करिए।

दिन में ज्यादा खाने के बाद रात में हल्का भोजन करिए।

थोड़ा-थोड़ा खाएं और खाने के बाद कुछ डाइजेस्टिव खा लें।

पर्याप्त मात्रा में पीते रहे पानी।

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