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क्यों मनाते हैं बैसाखी, पंजाब में अलग अंदाज, जानिए मान्यताएं
हमारे देश में पर्व- त्योहारों की कमी नहीं है। यहां कई धर्म है और इन सभी धर्मों के अपने-अपने त्योहार हैं। बैसाखी का पर्व 13-14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस समय खेतों में रबी की फसल की कटाई होती है। यह त्योहार पूरे देश में खासकर पंजाब के साथ-साथ उत्तर भारत में मनाया जाता है।
लखनऊ : हमारे देश में पर्व- त्योहारों की कमी नहीं है। यहां कई धर्म है और इन सभी धर्मों के अपने-अपने त्योहार हैं। बैसाखी का पर्व 13-14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस समय खेतों में रबी की फसल की कटाई होती है। यह त्योहार पूरे देश में खासकर पंजाब के साथ-साथ उत्तर भारत में मनाया जाता है। केरल में यह त्योहार 'विशु' कहलाता है। बंगाल में इसे नववर्ष, असम में इसे रोंगाली बिहू, तमिलनाडु में पुथंडू और बिहार में इसे बैसाख के नाम से जाना जाता है।
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पंजाब में बैसाखी का अलग अंदाज
पंजाब में तो बैसाखी पर आवत पौनी नाम से एक रिवाज है, इस दिन सभी लोग इकट्ठा होकर फसल काटते हैं और ढोल बजाया जाता है, शाम होने के बाद लोग दोहाज गाते हैं और ढोल की धुन पर नाचते गाते हैं। बैसाखी को पंजाब में नए साल के तौर पर मनाया जाता हैं।
बैसाखी के सभी रिवाज गुरुद्वारे से जुड़े होते हैं। सिख समुदाय के लिए ये पवित्र स्थान होता है। इस दिन गुरु ग्रंथ साहिब को दूध और पानी से नहलाया जाता है। बैसाखी के सभी रीति रिवाज पूर्ण हो जाने पर करहा (हलवा) प्रसाद का वितरण किया जाता है। बैसाखी रीति रिवाज, नृत्य, उत्सव और शोभायात्रा के अलावा अपने सगे-संबंधियों से मिलने और उनके साथ वक्त बिताया जाता है। इस दिन बहुत खास व्यंजन बनाये जाते हैं, एक दूसरे को तोहफे दिए जाते हैं।
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कुछ इस तरह इसके पीछे की मान्यता
यह दिन किसानों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिन रबी फसल के पकने की खुशी का प्रतीक है। इसी दिन गेहूं की पक्की फसल को काटने की शुरूआत होती है। इस दिन किसान सुबह उठकर नहा धोकर मंदिरों और गुरुद्वारे में जाकर भगवान से खुशियों के पालन के लिए प्रार्थना करते हैं।
कहा जाता है कि इस दिन 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी। सिख इस त्योहार को सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं। इसे मौसम के बदलाव का पर्व भी कहा जाता है। इस समय सर्दियों की समाप्ति और गर्मियों का आरंभ होता है।
वहीं व्यापारियों के लिए भी यह अहम दिन है। इस दिन देवी दुर्गा और भगवान शंकर की पूजा होती है। इस दिन व्यापारी नये कपड़े धारण कर अपने नए कामों का आरम्भ करते हैं।