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Phoolan Devi: फूलन एक नाम नहीं बल्कि एक खौफ का था पर्याय, जानें 21 ठाकुरों को गोली से भूनने वाली कहानी

Phoolan Devi: 80 दशक का था। देश में बहुत कुछ बदलाव हो रहा था। लेकिन उस दशक में एक हुई घटना ने फूलन देवी को दस्यु बनने पर मजबूर कर दिया, जिसके बाद उस लड़की जो काम किया, उसकी चर्चा भारत ही क्या विदेश तक भी हुई। फूलन देवी डाकू के बारे में लोग तब जाने, जब उन्होंने 14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई गांव के 21 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया।

Viren Singh
Published on: 10 Aug 2023 2:58 PM IST
Phoolan Devi: फूलन एक नाम नहीं बल्कि एक खौफ का था पर्याय, जानें 21 ठाकुरों को गोली से भूनने वाली कहानी
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phoolan devi (सोशल मीडिया)

Phoolan Devi birth Anniversary: फूलन देवी के नाम से कौन ही वाकिफ होगा। चंबल में एक ही रानी थी। वह कोई और नहीं बल्कि दस्यु व पूर्व सांसद फूलन देवी थीं। फूलन देवी तब ज्यादा चर्चा में आईं, जब उन्होंने एक साथ कई कई ठाकुरों को खड़ा करके गोलियों से भून दिया था। इस घटना से फूलन देवी का नामदेश क्या विदेशों में भी लोग जानने लगे थे। चंबल की परिधि 100 किमी तक फैली हुई है। यह 100 किमी तीन राज्यों यूपी-राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई जिलों को टच करती है। इसको बीहड़ की भूमि बोला गया, क्योंकि चंबल क्षेत्र में एक सयम ऐसा था कि यहां पर खेती किसानी व अन्य काम कम बल्कि दस्यु मतलब खूंखार डाकू खूब पैदा हुए। इसमें फूलन देवी का भी शामिल था। इन खूंखार डाकू की सूची की काफी लंबी है, उसकी चर्चा कभी और होगी। आज फूलन देवी की चर्चा होगी,जो कभी चंबल की गालियों के एक साधारण लड़की हुआ करती थी, लेकिन उसके ऊपर हुए अत्याचारों खूंखाक डाकू बनाने पर मजबूर कर दिया। आज दिवंगत पूर्व सांसद फूलन देवी का जन्मदिन है। फूलन का जन्म आज के ही दिन यानी 10 अगस्त 1963 को हुआ था। आइये जानते हैं फूलन देवी के कुछ सुन-अनसुने किस्सों के बारे में…।

कहां हुआ था फूलन का जन्म ?

फूलन देवी का जन्म 10 अगस्त, 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गांव गोरहा का पुरवा में एक दलित परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम डेवी दीन और माता का नाम मूली देवी था। फूलन देवी के बचपन का जीवन गांवी वातांसी और संघर्षभरा रहा, जिससे उन्हें देश की लोकप्रिय जननायिका में परिवर्तित किया गया। उन्होंने बाद में विभिन्न अपराधों के लिए दंड भुगतने के बाद राजनीतिक करियर शुरू किया और भारतीय संसद के सदस्य के रूप में सेवा की।

एक बुज़ुर्ग से हुई फूलन देवी की शादी

11 वर्ष की उम्र में फूलन देवी की शादी उनके चचेरे भाई ने एक बुज़ुर्ग पट्टी लाल से करवा दी थी। उनका पति उन्हें प्रताणित कर उनका रेप करता था। इसके बाद फूलन देवी अपने पति को छोड़ माता-पिता के साथ रहने लगी थी, लेकिन फूलन देखी की किस्मत में कुछ और ही दर्द लिखे थे। मानो नीयत उससे रूठी हुई थी। 80 दशक का था। देश में बहुत कुछ बदलाव हो रहा था। लेकिन उस दशक में एक हुई घटना ने फूलन देवी को दस्यु बनने पर मजबूर कर दिया, जिसके बाद उस लड़की जो काम किया, उसकी चर्चा भारत ही क्या विदेश तक भी हुई। फूलन देवी डाकू के बारे में लोग तब जाने, जब उन्होंने 14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई गांव के 21 ठाकुरों को एक लाइन में खड़ा करके गोलियों से भून दिया। इसके पीछे उन्होंने यह तर्क दिया कि इस गांव के कुछ ठाकुरों ने उन्हें बंधक बनाकर उनके साथ तीन हफ्तों तक सामूहिक बलात्कार किया था। उस समय जिसने भी यह घटना सुनी, सबके होश उड़ गए थे। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं व समाचारों में केवल फूलन देखी की ही चर्चा हो रही थी। गैंग रेप होने के बाद फूलन देवी नें अपना एक अलग गैंग बनाया, जिसके बाद उन्होंने इस घटना को अंजाम दिया।

PM गांधी के कहने पर किया था आत्म समर्पण

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कहने पर फूलन देवी ने वर्ष 1983 में दस हजार लोग के साथ तीन सौ पुलिसवालों के सामने आत्म समर्पण किया था। आत्म समर्पण के बाद उन्हें 8 वर्ष तक सजा कटी। 1994 में जब वह जेल से बाहर आईं तो उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में एंट्री ली। वह यूपी के तत्कालानी सीएम व समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव के संपर्क में आईं। साल 1994 में मुलायम से उन पर लगे सारे मामले वापस ले लिए। 1996 में वह सपा की टिकट से मिर्जापुर से चुनाव जीतकर सांसद बनीं और सीधे डाकू से माननीय बनकर चंबल से सीधे देश के सर्वोच्च सदन जा पहुंची। वह दो बार सांसद बनीं।

38 वर्ष की आयु चिर निंद्रा में सो गईं फूलन देवी

सांसद बनाने के बाद फूलन देवी देश में दलितों व पिछड़ों के सामाजिक न्याय की आवाज को उठा रही थीं। लेकिन यह आवाज ज्यादा दिन तक नहीं उठा सकी। 25 जुलाई, 2001 को शेर सिंह राणा ने दिल्ली के अशोका रोड स्थित घर पर फूलन की गोली मारकर हत्या कर दी थी। राणा ने इस हत्या को 21 ठाकुरों की हत्या का बदला करार दिया था। 38 वर्ष की आयु में हमेशा के लिए चिर निंद्रा में सो गईं।



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