×

19 सितंबर : क्या बाटला हाउस Encounter फर्जी था? जानिए उस एनकाउंटर की पूरी कहानी

19 सितंबर 2008 की सुबह देश की राजधानी दिल्ली में जामिया नगर इलाके के बाटला हाउस में एनकाउंटर हुआ। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि उस इलाके में होने वाली मुठभेड़ पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाएगी।

Aditya Mishra
Published on: 15 May 2023 6:38 PM GMT
19 सितंबर : क्या बाटला हाउस Encounter फर्जी था? जानिए उस एनकाउंटर की पूरी कहानी
X
जरा याद करें किस-किस ने किया था बटला हाउस कांड के हीरो का अपमान

नई दिल्ली: 19 सितंबर 2008 की सुबह देश की राजधानी दिल्ली में जामिया नगर इलाके के बाटला हाउस में एनकाउंटर हुआ।

किसी को अंदाजा भी नहीं था कि उस इलाके में होने वाली मुठभेड़ पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाएगी।

दिल्ली का एक जांबाज़ इंस्पेक्टर अचानक शहीद हो जाएगा।

एनकाउंटर को बीते आज 11 साल हो गए लेकिन इस पर सियासत आज भी गरमा जाती है।

कंट्रोवर्सी से लेकर राजनीति तक सब कुछ हुआ है इस एनकाउंटर पर।

आइये सिलसिलेवार तरीके से समझते हैं इस पूरे एनकाउंटर की कहानी को...

ये भी पढ़ें...बाटला हाउस के बहाने मोदी का कांग्रेस पर हमला, पूछा- वह शहीदों का अपमान नहीं था क्या?

13 सितंबर 2008

दिल्ली में पांच सिलसिलेवार बम धमाके हुए, जिनमें 26 लोग मारे गए और करीब 133 से लोग घायल हो गये थे।

19 सितंबर 2008

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के नेतृत्व में विशेष टीम और जामिया नगर के बटला हाउस के एल-18 मकान में छिपे इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकवादियों में मुठभेड़ हुई।

पुलिस ने दावा किया कि मुठभेड़ में दो कथित चरमपंथी मारे गए, दो गिरफ़्तार किए गए और एक फ़रार हो गया। इन्हें दिल्ली धमाकों के लिए ज़िम्मेदार बताया गया।

19 सितंबर 2008

मुठभेड़ में घायल इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को नजदीकी होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां आठ घंटे इलाज के बाद उनकी मौत हो गई।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़ उन्हें पेट, जांघ और दाहिने हाथ में गोली लगी थी। उनकी मौत अधिक खून बहने के कारण हुई। पुलिस ने मोहन चंद्र शर्मा की मौत के लिए शहज़ाद अहमद को ज़िम्मेदार ठहराया।

21 सितंबर 2008

पुलिस ने कहा कि उसने इंडियन मुजाहिदुदीन के तीन कथित चरमपंथियों और बटला हाउस के एल-18 मकान की देखभाल करने वाले व्यक्ति को गिरफ़्तार किया।

दिल्ली में हुए विस्फोटों के आरोप में पुलिस ने कुल 14 लोग गिरफ़्तार किए। ये गिरफ़्तारियां दिल्ली और उत्तर प्रदेश से की गईं। मानवाधिकार संगठनों ने बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की न्यायिक जांच की माँग की।

21 मई 2009

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से पुलिस के दावों की जांच कर दो महीने में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा।

22 जुलाई 2009

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की।

रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दी गई।

26 अगस्त 2009

दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएचआरसी की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए न्यायिक जांच से इनकार किया।

30 अक्टूबर 2009

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी न्यायिक जांच से इंकार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच से पुलिस का मनोबल प्रभावित होगा।

19 सितंबर 2010

बटला हाउस एनकाउंटर के दो साल पूरे होने पर दिल्ली की जामा मस्जिद के पास मोटर साइकिल सवारों ने विदेशी पर्यटकों पर गोलीबारी की।

इसमें दो ताइवानी नागरिक घायल हुए।

ये भी पढ़ें...‘बाटला हाउस’ के बाद इस एक्शन-थ्रिलर फिल्म में दिखेंगे John Abraham

6 फरवरी 2010

पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की मौत के सिलसिले में पुलिस ने शहज़ाद अहमद को गिरफ़्तार किया।

20 जुलाई 2013

अदालत ने शहज़ाद अहमद के मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद फ़ैसला सुरक्षित किया।

25 जुलाई 2013

अदालत ने शहजाद अहमद को दोषी क़रार दिया।

बाटला हाउस पर जमकर हुई सियासत

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने एनकाउंटर को फर्जी बताकर विवाद को जन्म दिया, हालांकि उनकी ही पार्टी ने उनके इस बयान से किनारा कर लिया।

समाजवादी पार्टी ने भी एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका पर शक जताते हुए न्यायिक जांच की मांग की। मगर तत्कालीन गृहमंत्री पी.

चिदंबरम ने एनकाउंटर को वास्तविक बताते हुए मामले को फिर खोलने से इनकार कर दिया।

एनकाउंटर के खिलाफ प्रदर्शन के लिए कई सामाजिक और गैरसरकारी संगठन सड़कों पर उतर आए।

पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर करने का आरोप लगा। एक एनजीओ की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को निर्देश दिया कि वह एनकाउंटर में पुलिस की भूमिका की जांच करे और 2 महीने के भीतर रिपोर्ट दे।

अपनी रिपोर्ट में एनएचआरसी ने पुलिस को क्लीन चिट दी, जिसे स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने मामले में न्यायिक जांच की मांग ठुकरा दी।

एनकाउंटर को फर्जी बताया गया

केस की सुनवाई के दौरान शहजाद के वकील ने अदालत में दलील दी थी की पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो ये साबित करता हो कि

एनकाउंटर के वक़्त शहजाद मौके पर मौजूद था।

शहजाद के वकील ने पुलिस की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि शहजाद का पासपोर्ट बटला हाउस के मकान नंबर एप-18 से मिला था।

वकील ने दावा किया कि पुलिस ने पासपोर्ट गलत तरीके से हासिल किया था और इसी वजह से बरामदगी के दौरान किसी गवाह के हस्ताक्षर नहीं हैं।

शहजाद के वकील ने ये सवाल भी उठाया है कि जब पुलिस ने एनकाउंटर के दौरान मकान नंबर एल 18 को चारों तरफ से घेर रखा था, तो शहजाद वहां से भाग कैसे गया।

ये भी पढ़ें...क्या है बटला हाउस, जिस पर फुट-फुट कर रोई सोनिया गांधी

Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story