TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

क्या है बटला हाउस, जिस पर फुट-फुट कर रोई सोनिया गांधी

बटला हाउस एनकाउंटर जिसे ऑपरेशन बाटला हाउस के रूप में जाना जाता है, 19 सितंबर , 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ की गयी मुठभेड़ थी। जिसमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए।

Roshni Khan
Published on: 10 Aug 2019 5:32 PM IST
क्या है बटला हाउस, जिस पर फुट-फुट कर रोई सोनिया गांधी
X

नई दिल्ली: बटला हाउस एनकाउंटर जिसे ऑपरेशन बाटला हाउस के रूप में जाना जाता है, 19 सितंबर , 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ की गयी मुठभेड़ थी। जिसमें दो संदिग्ध आतंकवादी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए। दो अन्य संदिग्ध सैफ मोहम्मद और आरिज़ खान भागने में कामयाब हो गए, जबकि एक आरोपी ज़ीशान को गिरफ्तार कर लिया गया।

इस मुठभेड़ का नेतृत्व कर रहे एनकाउंटर विशेषज्ञ और दिल्ली पुलिस निरीक्षक मोहन चंद शर्मा इस घटना में शहीद हो गए। मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी हुई।

जिसके खिलाफ अनेक राजनीतिक दलों, कार्यकर्ताओं और विशेष रूप से जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने व्यापक रूप से विरोध प्रदर्शन किया।

समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) जैसे कई राजनीतिक संगठनों ने संसद में मुठभेड़ की न्यायिक जांच करने की मांग उठाई।

ये भी देखें:15 अगस्त 2019 : 100 में दो ही जानते होंगे भारत की आजादी का ये राज

दिल्ली की एक अदालत में बटला हाउस मुठभेड़ मामले में इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध शहजाद अहमद को गुरुवार को एक पुलिस निरीक्षक की हत्या और अन्य अधिकारियों पर हमले के लिए दोषी ठहराया।

चीफ जस्टिस राजेंद्र कुमार शास्त्री ने कहा कि उसे (शहजाद) पुलिस निरीक्षक एमसी शर्मा की हत्या और हेड कांस्टेबल बलवंत सिंह तथा राजबीर सिंह की हत्या के प्रयास के जुर्म में दोषी ठहराया जाता है। उन्होंने कहा कि उसे पुलिस अधिकारियों पर हमला करने और उनकी ड्यूटी में बाधा पहुंचाने के जुर्म में भी दोषी ठहराया जाता है।

चीफ जस्टिस ने शहजाद को दोषी ठहराने के बाद कहा कि इस मामले में उसे 29 जुलाई को सजा सुनाई जाएगी। अदालत ने शहजाद को हत्या, हत्या के प्रयास, लोक सेवकों पर हमला करने, बाधा पहुंचाने तथा पुलिसकर्मियों को गंभीर रूप से घायल करके उन्हें उनकी ड्यूटी से रोकने का दोषी पाया।

ये भी देखें:7 जन्मों के 7 सात फेरे, इसके पीछे छिपे इतने गूढ़ रहस्य, हर परिस्थिति में करें याद

वैसे तो अदालत ने शहजाद को भारतीय दंड संहिता की धारा 174ए के तहत आरोप से बरी कर दिया। यह धारा अदालत द्वारा विशेष समय पर विशेष स्थान पर बुलाए जाने के बाद ऐसा करने में नाकाम रहने से जुड़ी है।

मुठभेड़ का यह मामला 19 सितंबर 2008 को दिल्ली के जामिया नगर इलाके के बटला हाउस के फ्लैट संख्या एल18 का है। इस मुठभेड़ से छह दिन पहले राजधानी में सीरियल ब्लास्ट हुए थे, जिसमें 26 लोग मारे गये थे और 133 घायल हुए थे।

13 सितंबर 2008 को दिल्ली के करोल बाग, कनाट प्लेस, इंडिया गेट व ग्रेटर कैलाश में सीरियल बम धमाके हुए थे। इन बम धमाकों में 26 लोग मारे गए थे, जबकि 133 घायल हो गए थे।

दिल्ली पुलिस ने जांच में पाया था कि बम ब्लास्ट को आतंकी गुट इंडियन मुजाहिद्दीन ने अंजाम दिया है। घटना के 6 दिन बाद 19 सितंबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली थी कि इंडियन मुजाहिद्दीन के पांच आतंकी बटला हाउस स्थित एक मकान में मौजूद हैं।

13 सितंबर 2008

दिल्ली में पांच सिलसिलेवार बम धमाके हुए, जिनमें 26 लोग मारे गए और सौ से अधिक घायल हुए।

19 सितंबर 2008

दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा के नेतृत्व में विशेष टीम और जामिया नगर के बटला हाउस के एल-18 मकान में छिपे इंडियन मुजाहिद्दीन के कथित आतंकवादियों में मुठभेड़ हुई। पुलिस ने दावा किया कि मुठभेड़ में दो कथित चरमपंथी मारे गए, दो गिरफ़्तार किए गए और एक फ़रार हो गया। इन्हें दिल्ली धमाकों के लिए ज़िम्मेदार बताया गया।

19 सितंबर 2008

मुठभेड़ में घायल इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को नजदीकी होली फैमिली अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां आठ घंटे इलाज के बाद उनकी मौत हो गई। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक़ उन्हें पेट, जांघ और दाहिने हाथ में गोली लगी थी। उनकी मौत अधिक खून बहने के कारण हुई। पुलिस ने मोहन चंद्र शर्मा की मौत के लिए शहज़ाद अहमद को ज़िम्मेदार ठहराया।

21 सितंबर 2008

पुलिस ने कहा कि उसने इंडियन मुजाहिदुदीन के तीन कथित चरमपंथियों और बटला हाउस के एल-18 मकान की देखभाल करने वाले व्यक्ति को गिरफ़्तार किया। दिल्ली में हुए विस्फोटों के आरोप में पुलिस ने कुल 14 लोग गिरफ़्तार किए। ये गिरफ़्तारियां दिल्ली और उत्तर प्रदेश से की गईं। मानवाधिकार संगठनों ने बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले की न्यायिक जांच की माँग की।

21 मई 2009

दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से पुलिस के दावों की जांच कर दो महीने में रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा।

22 जुलाई 2009

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस को क्लीन चिट दी गई।

26 अगस्त 2009

दिल्ली हाईकोर्ट ने एनएचआरसी की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए न्यायिक जांच से इनकार किया।

30 अक्टूबर 2009

हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने भी न्यायिक जांच से इंकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच से पुलिस का मनोबल प्रभावित होगा।

19 सितंबर 2010

बटला हाउस एनकाउंटर के दो साल पूरे होने पर दिल्ली की जामा मस्जिद के पास मोटर साइकिल सवारों ने विदेशी पर्यटकों पर गोलीबारी की। इसमें दो ताइवानी नागरिक घायल हुए।

6 फरवरी 2010

पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा की मौत के सिलसिले में पुलिस ने शहज़ाद अहमद को गिरफ़्तार किया।

20 जुलाई 2013

अदालत ने शहज़ाद अहमद के मामले में सुनवाई पूरी करने के बाद फ़ैसला सुरक्षित किया।

25 जुलाई 2013

अदालत ने शहजाद अहमद को दोषी क़रार दिया।

ये भी देखें:कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोनिया-राहुल ने उठाया ये बड़ा कदम, ये 3 नाम आए सामने

बटला हाउस एनकाउंटर पर हमारे नेताओं के विवादित बयानों

ममता बनर्जी (17 अक्टूबर 2008)

जामिया नगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने कहा था, 'यह एक फर्जी एनकाउंटर था। अगर मैं गलत साबित हुई तो राजनीति छोड़ दूंगी। मैं इस एनकाउंटर पर न्यायिक जांच की मांग करती हूं।'

अमर सिंह (17 अक्टूबर 2008)

जामिया नगर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए सपा के तत्कालिक महासचिव अमर सिंह ने कहा था, 'आडवाणीजी मेरी निंदा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मैंने आपकी मांग का समर्थन किया है और मुझे माफी मांगने को कह रहे हैं। BBC और CNN जैसी विदेशी मीडिया ने भी इस एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं। मैं आडवाणीजी से मांग करूंगा कि वे न्यायिक जांच की मांग में मदद करें।'

ये भी देखें:BJP सांसद बने गोलमाल 3 के जॉनी लीवर, फिर क्या भूल गए सुषमा स्वराज को

दिग्विजय सिंह (10 फरवरी 2010)

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह शुरू से ही बटला हाउस एनकाउंटर में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। इस मुद्दे की राजनीतिकरण की शुरुआत उन्होंने ने ही की थी।

दिग्विजय सिंह ने कहा था, 'एनकाउंटर में मारे गए बच्चों को गुनहगार या निर्दोष साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं। मेरी मांग है कि इस मामले की जल्द सुनवाई हो।'

एनकाउंटर की तस्वीरों को दिखाकर उन्होंने दावा किया था, 'एक बच्चे के सिर पर पांच गोलियां लगी थीं। अगर यह एनकाउंटर था तो सिर पर पांच गोलियां कैसे मारी गई'।

हालांकि दिग्विजय सिंह ने इन दावों को तत्काटलीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि दिल्ली पुलिस का यह ऑपरेशन फर्जी नहीं था।

दिग्विजय सिंह (12 जनवरी 2012)

पी चिदंबरम के दावों के बाद भी दिग्विजय सिंह अपने बयान पर कायम रहे। उन्होंने कहा, 'घटना के दो-तीन दिन बाद जिस तरह के तथ्य सामने आए उसे लेकर जो धारणा बनी। मैं अपने उस स्टैंड पर आज भी कायम हूं।'

सलमान खुर्शीद (10 फरवरी 2012)

आजमगढ़ में एक रैली को संबोधित करते वक्त तत्का लीन कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र करते हुए कहा था, 'जब उन्होंने इसकी तस्वीरें सोनिया गांधी को दिखाई तब उनकी आंखों में आंसू आ गए और उन्होंने पीएम से बात करने की सलाह दी थी।'

ये भी देखें:कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सोनिया-राहुल ने उठाया ये बड़ा कदम, ये 3 नाम आए सामने

शहजाद के वकील की दलील

केस की सुनवाई के दौरान शहजाद के वकील ने अदालत में दलील दी थी की पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है जो ये साबित करता हो कि एनकाउंटर के वक़्त शहजाद मौके पर मौजूद था। शहजाद के वकील ने पुलिस की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि शहजाद का पासपोर्ट बटला हाउस के मकान नंबर एप-18 से मिला था।

वकील ने दावा किया कि पुलिस ने पासपोर्ट गलत तरीके से हासिल किया था और इसी वजह से बरामदगी के दौरान किसी गवाह के हस्ताक्षर नहीं हैं। शहजाद के वकील ने ये सवाल भी उठाया है कि जब पुलिस ने एनकाउंटर के दौरान मकान नंबर एल 18 को चारों तरफ से घेर रखा था, तो शहजाद वहां से भाग कैसे गया।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story