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बंगाल में स्वामी विवेकानंद के नाम पर सियासी जंग, टीएमसी ने भाजपा पर कसा तंज

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले महान विचारक स्वामी विवेकानंद को लेकर भी सियासी जंग छिड़ी हुई है। तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच स्वामी विवेकानंद को अपना बताने की होड़ सी मची हुई है।

Ashiki
Published on: 13 Jan 2021 4:10 AM GMT
बंगाल में स्वामी विवेकानंद के नाम पर सियासी जंग, टीएमसी ने भाजपा पर कसा तंज
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बंगाल में स्वामी विवेकानंद के नाम पर सियासी जंग, टीएमसी ने भाजपा पर कसा तंज

कोलकाता: पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले महान विचारक स्वामी विवेकानंद को लेकर भी सियासी जंग छिड़ी हुई है। तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच स्वामी विवेकानंद को अपना बताने की होड़ सी मची हुई है। स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मंगलवार को बंगाल में इसकी साफ झलक दिखी। चुनावी वर्ष होने का कारण इन दिनों बंगाल की सियासत में स्वामी विवेकानंद की गूंज जमकर दिखाई दे रही है। भाजपा और टीएमसी दोनों दल खुद को स्वामी विवेकानंद के आदर्शों के वाहक के तौर पर पेश करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। भाजपा नेताओं की ओर से स्वामी विवेकानंद को याद किए जाने पर तृणमूल कांग्रेस की ओर से तंज भी कसा गया।

सियासी दलों ने दिखाई दिलचस्पी

पश्चिम बंगाल में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं और ऐसे में पश्चिम बंगाल की धरती पर पैदा हुए महान विचारक स्वामी विवेकानंद को लेकर सियासी दलों में खासी दिलचस्पी दिख रही है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने स्वामी विवेकानंद को याद करने पर भाजपा पर कटाक्ष किया है। पार्टी ने कहा है कि भाजपा श्री रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद जैसी बंगाल की विभूतियों के नाम पर सियासी लाभ पाने की कोशिश में जुटी हुई है जबकि सच्चाई यह है इन दोनों महापुरुषों के विचार इस पार्टी की दृष्टि और उद्देश्यों से कहीं भी मेल नहीं खाते। तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ब्रत्य बसु ने कहा कि श्री रामकृष्ण ने एक बार कहा था- जातो मत ततो पतः। उन्होंने कहा कि संक्षिप्त में इसका मतलब बहुलवाद से है और भारतीय जनता पार्टी बहुलवाद में यकीन ही नहीं करती।

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ममता का भाजपा पर कटाक्ष

स्वामी विवेकानंद की जयंती पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए विश्व बंधुत्व के उनके सिद्धांतों को याद किया। ममता ने इशारों में भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि स्वामी जी के विश्व बंधुत्व के सिद्धांत की देश में आज और भी ज्यादा जरूरत है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी के सिद्धांत हमें इस बात की प्रेरणा देते हैं कि हम अपने प्यारे देश के आदर्शों की रक्षा करने के लिए और भी डटकर काम करें।

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बंगाल की माटी का सपूत बताया

हाल ही में टीएमसी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले सुवेंदु अधिकारी ने भी स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए उन्हें अदभुत शख्सियत बताया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी अद्भुत व्यक्तित्व थे और उन्होंने अपनी जिंदगी में ही भारत को सैकड़ों साल आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा कि हम देश को महज कुछ साल आगे ले जाने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद बंगाल की माटी के सच्चे सपूत थे और हमें ऐसा बंगाल बनाना चाहिए जिस पर स्वामी विवेकानंद भी गर्व कर सकें।

भाजपा ने किया स्वामी जी को याद

भारतीय जनता पार्टी के बंगाल प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने भी स्वामी विवेकानंद को याद करते हुए कोलकाता में उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरु, अमेरिका में 1893 में आयोजित विश्व धर्म महासभा में भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाली महान विभूति को जन्मदिन पर कोटि-कोटि नमन। विधानसभा चुनाव के सिलसिले में कोलकाता पहुंचे उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी स्वामी विवेकानंद को पुष्पांजलि अर्पित की।

Kailash Vijayvargiya

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प्रतीकों को अपना बताने की होड़

दरअसल पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव नजदीक होने के कारण बंगाली अस्मिता के प्रतीकों को याद करने की होड़ मची हुई है। स्वामी विवेकानंद की जयंती पर इसका साफ नजारा दिखा। भारतीय जनता पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के बीच गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद सहित बंगाली अस्मिता के सभी प्रतीकों को अपना बताने की होड़ मची हुई है। सच्चाई यह है कि दोनों दल इसके जरिए अपनी सियासत चमकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।

-अंशुमान तिवारी

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