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अब स्कूली बच्चे पढ़ेंगे इस गांव की कहानी, जानिए क्या है इसकी खासियत

बीबीपुर गांव में 2012 में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बड़ा अभियान चलाया गया था। बाद में केंद्र सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

Newstrack
Published on: 16 July 2020 11:17 AM IST
अब स्कूली बच्चे पढ़ेंगे इस गांव की कहानी, जानिए क्या है इसकी खासियत
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अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान का आइडिया देने वाला हरियाणा के जींद जिले का बीबीपुर गांव एक बार फिर चर्चा में है। इस गांव ने कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ पूरे देश को एक मजबूत संदेश दिया है। अब स्कूली बच्चे भी बीबीपुर गांव से बही सामाजिक बदलाव की बयार और गांव के सर्वांगीण विकास की कहानी पढ़ेंगे। कक्षा 10 में पढ़ाई जाने वाली एक वर्कबुक में बीबीपुर मॉडल को भी अध्याय के रूप में जोड़ा गया है। अध्याय का नाम है ए विलेज नेम्ड बीबीपुर। शुरुआत में दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे इस गांव की कहानी पढ़ेंगे। बाद में इसे अन्य राज्यों की किताबों में भी जोड़ा जाएगा।

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सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ छेड़ा अभियान

करीब साढ़े पांच हजार की आबादी वाले इस गांव के लोगों को अब इस बात का गर्व है कि सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ छेड़े गए उनके अभियान को देशभर में महत्व मिल रहा है। बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान ने गांव के लोगों की सोच बदलने में प्रमुख भूमिका निभाई है और इसी कारण अब उन्हें अभियान पुरुष कहा जाता है।

सुनील जागलान के प्रयासों के कारण ही गांव का माहौल पूरी तरह बदल चुका है। जागलान के कार्यकाल में ही महिला सशक्तिकरण, पंचायत को और अधिक दायित्वपूर्ण बनाने, पर्यावरण संरक्षण, कचरा प्रबंधन और पंचायत को और अधिक सुविधा संपन्न बनाने संबंधी अनेक काम पूरे किए गए। बीबीपुर से जुड़े अध्याय में इन सभी बातों को समाहित किया गया है।

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यहीं से मिला इस बड़े अभियान का आइडिया

बीबीपुर गांव में 2012 में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए बड़ा अभियान चलाया गया था। बाद में केंद्र सरकार की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम में इसी अभियान का विस्तार दिखा था। बीबीपुर गांव की पंचायत ने 2015 में अपनी वेबसाइट भी शुरू की थी। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से पंचायतों के डिजिटलीकरण पर जोर दिया गया।

घरों पर बेटियों के नाम की पट्टिका

बीबीपुर गांव में एक और बड़ी पहल की गई थी। 2015 में घरों के आगे बेटियों के नाम की पट्टिका लगाने का अभियान शुरू किया गया। बाद में प्रदेश सरकार ने भी इसे अपनाया था। कचरा प्रबंधन के लिए इस गांव में जितने ठोस प्रयास किए गए, वैसा शहर में भी नहीं दिखता। हर घर के बाहर डस्टबिन लगाकर बीबीपुर पंचायत में कचरा प्रबंधन का पुख्ता प्रबंध किया। इसके साथ ही हर गांव में पुस्तकालय की शुरुआत भी यहीं से हुई।

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जागलान के प्रयासों ने दिखाया रंग

बीबीपुर पंचायत में जून 2010 से जनवरी 2016 तक सुनील जागलान सरपंच रहे। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने बीबीपुर पंचायत की आबोहवा को पूरी तरह बदल दिया। मौजूदा समय में जागलान सेल्फी विद डॉटर कैंपेन की अगुवाई कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस कैंपेनन के मुरीद रहे हैं। जागलान अपने इस अभियान को दुनिया के 70 देशों तक पहुंचा चुके हैं। वर्क बुक में सुनील जागलान की ओर से किए गए सामाजिक कार्यों का पूरा ब्योरा पेश किया गया है।

दिल्ली के बाद पढ़ेंगे अन्य राज्यों के बच्चे

स्काईपाथ नामक वर्कबुक में बीबीपुर पंचायत के अध्याय को जोड़ा गया है। इस वर्कबुक की एडिटर दिल्ली के संस्कृति स्कूल के पूर्व प्रिंसिपल आभा सहगल हैं। इस अध्याय को अमृता विद्यालयम, दुर्गापुर की सह प्रिंसिपल सुतापा मुखर्जी ने लिखा है। जानकार सूत्रों का कहना है कि शुरुआत में दिल्ली के निजी स्कूलों में इसे पढ़ाया जाएगा मगर बाद में इसे देश के अन्य राज्यों के बच्चों को भी पढ़ाया जाएगा। सूत्रों के मुताबिक इस अध्याय से बच्चों को बीबीपुर मॉडल को समझने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को मजबूती भी मिलेगी।

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