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किसानों के साथ विपक्ष भी डटा, भारत बंद को सभी प्रमुख सियासी दलों का समर्थन
किसान संगठनों के इस भारत बंद को कांग्रेस, सपा, राजद, शिवसेना, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, टीआरएस, आम आदमी पार्टी और वामदलों समय 28 विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है। किसान संगठनों के समर्थन में समूचे विपक्ष के उतर आने से देश में कई स्थानों पर हंगामे की आशंका जताई जा रही है।
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ कई दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों ने मंगलवार को भारत बंद का आह्वान किया है। इस आह्वान के मद्देनजर गृह मंत्रालय की ओर से सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सुरक्षा के कड़े इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्यों से यह सुनिश्चित करने को भी कहा गया है कि बंद के दौरान पूरी तरह शांति बनी रहे। इसके साथ ही कोविड-19 के संबंध में जारी दिशा निर्देशों का भी सख्ती से पालन किया जाए।
किसान संगठनों के इस भारत बंद को कांग्रेस, सपा, राजद, शिवसेना, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, टीआरएस, आम आदमी पार्टी और वामदलों समय 28 विपक्षी दलों ने समर्थन दिया है। किसान संगठनों के समर्थन में समूचे विपक्ष के उतर आने से देश में कई स्थानों पर हंगामे की आशंका जताई जा रही है। उधर किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि उन्हें कृषि कानून वापस लेने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
सियासी दल के नेताओं को मंच पर स्थान नहीं
वैसे किसान संगठनों की ओर से साफ कर दिया गया है कि वे किसी भी सियासी दल से जुड़े नेता को मंच पर नहीं आने देंगे। किसानों ने सियासी दलों की ओर से दिए जा रहे समर्थन का स्वागत किया मगर यह भी साफ कर दिया कि वे इस आंदोलन को सियासी रूप नहीं देना चाहते। दूसरी ओर किसानों से जुड़ा मुद्दा होने के कारण सियासी दलों में आंदोलन को समर्थन देने की होड़ मच गई है। देश के लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों ने किसानों की ओर से किए गए भारत बंद के आह्वान का समर्थन किया है।
कांग्रेस भी करेगी विरोध प्रदर्शन
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने किसानों के भारत बंद के आह्वान का समर्थन करते हुए कहा कि कांग्रेस की ओर से भी ब्लॉक, जिला और राज्य मुख्यालयों पर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि केंद्र सरकार को अंबानी और अडानी कृषि कानून रद्द करना होगा और इससे कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
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कांग्रेस की महासचिव और यूपी के प्रभारी प्रियंका गांधी ने भी किसानों की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने यूपी के गन्ना किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा सरकार के पास नई संसद बनाने के लिए 20000 करोड़ और पीएम के लिए स्पेशल जहाज खरीदने को 16000 करोड़ रुपए हैं मगर यूपी के गन्ना किसानों का 14 हजार करोड़ का भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सिर्फ रईसों के बारे में ही सोचती है।
किसानों के समर्थन में सपा भी मैदान में
समाजवादी पार्टी पहले ही किसानों की मांगों के समर्थन में मैदान में उतर चुकी है। सोमवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों में सपा कार्यकर्ता किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरे। लखनऊ में सपा मुखिया अखिलेश यादव को हिरासत में ले लिया गया जिसके बाद सपा कार्यकर्ताओं का तेवर और उग्र हो गया। अखिलेश यादव ने किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए कहा कि भाजपा पूरी तरह हताश हो गई है क्योंकि किसानों के संग जनता भी जुड़ गई है। उन्होंने कहा कि जब भी सत्ता की ओर से दमनकारी रुख अपनाया जाता है तो आंदोलन को क्रांति बनने में देर नहीं लगती। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर प्रदेश सरकार के दमनकारी रवैये को अलोकतांत्रिक बताया है।
आप ने भी किया मांगों का समर्थन
दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी किसानों की मांगों का समर्थन किया है। उन्होंने सोमवार को सिंधु बॉर्डर पर पहुंचकर किसानों के साथ एकजुटता दिखाई। उन्होंने किसानों से मुलाकात कर सिंधु बॉर्डर पर दिल्ली सरकार की ओर से मुहैया कराई जा रही सेवाओं का जायजा भी लिया।
उन्होंने आप कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे भारत बंद में शांतिपूर्ण तरीके से शामिल होकर किसानों के हक में आवाज बुलंद करें। उन्होंने कहा कि वे मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि एक सेवादार के रूप में किसानों के बीच आए हैं। किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन, राजेंद्र पाल गौतम और इमरान हुसैन भी थे।
बंद के दौरान शांति की अपील
इस बीच किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि भारत बंद के दौरान आपात सेवाएं जारी रहेंगी। भारतीय किसान एकता संगठन के अध्यक्ष जगजीत सिंह ने किसानों से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की और किसी भी तरह की झड़प से बचने को कहा। किसान नेताओं ने कहा कि हमारा जोर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने पर है क्योंकि पूरी दुनिया हमारी ओर देख रही है।
आपात सेवाओं पर नहीं रहेगी रोक
उन्होंने कहा कि भारत बंद में किसानों के साथ सभी वर्ग के लोग शामिल होंगे। किसान नेताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि भारत बंद के दौरान आपात सेवाओं और शादियों के लिए किसी भी प्रकार की रुकावट नहीं खड़ी की जाएगी। किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से आंदोलन को कमजोर करने की कोशिशें की जा रहे हैं मगर किसी भी सूरत में शांति भंग नहीं होने दी जाएगी।
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईवे जाम करने की घोषणा
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम आम आदमी को बंद के दौरान परेशान नहीं करना चाहते। मंगलवार को भारत बंद का समय इसीलिए 11 बजे से 3 बजे तक रखा गया है क्योंकि 11 बजे तक लोग ऑफिस पहुंच जाते हैं और 3 बजे के बाद छुट्टी होनी शुरू हो जाती है। भाकियू की ओर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 183 स्थानों पर हाईवे जाम करने की घोषणा की गई है। एंबुलेंस और शादी के वाहनों को न रोकने का भी एलान भी किया गया है।
आंदोलनकारी किसानों ने एलान किया है कि भारत बंद के दौरान सुबह 11 बजे से अपराह्न 3 बजे के बीच में टोल प्लाजाओं को बंद कर देंगे। किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि सरकार को हमारी मांगें माननी होगी और हमें नए कृषि कानूनों को वापस लेने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।
अंशुमान तिवारी