×

भीमा-कोरेगांव: जानिए क्यों भड़की थी हिंसा, क्या है इतिहास

महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीमा-कोरेगांव में 2018 की शुरुआत में हिंसा भड़की थी। इस मामले में पुणे पुलिस ने कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया है।

Dharmendra kumar
Published on: 13 March 2019 3:36 PM
भीमा-कोरेगांव: जानिए क्यों भड़की थी हिंसा, क्या है इतिहास
X

मुंबई: महाराष्ट्र के पुणे स्थित भीमा-कोरेगांव में 2018 की शुरुआत में हिंसा भड़की थी। इस मामले में पुणे पुलिस ने कई शहरों में एक साथ छापेमारी कर नक्सल समर्थकों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने कार्यकर्ताओं की तलाश में दिल्ली, फरीदाबाद, गोवा, मुंबई, रांची और हैदराबाद में अलग-अलग जगह छापे मारा था। गिरफ्तार किए गए लोगों में माओवादी विचारधारा के पी. वरवर राव, सुधा भारद्वाज और कार्यकर्ता अरुण फेरेरा, गौतम नवलखा और वेरनोन गोन्जाल्विस आदि शामिल हैं। इन्हें माओवादी से सांठ-गांठ के आरोपों और भीमा कोरेगांव हिंसा को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

यह भी पढ़ें.....लेह और लद्दाख की सैर के लिए आईआरसीटीसी की बुकिंग शुरू

जानिए क्या है भीमा-कोरेगांव घटना और क्यों भड़की थी यहां हिंसा?

भीम कोरेगांव महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। इस छोटे से गांव से मराठा का इतिहास जुड़ा है। 200 साल पहले यानी 1 जनवरी, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगांव में हरा दिया था। ये वो जगह है जहां पर उस वक्त अछूत कहलाए जाने वाले महारों (दलितों) ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के सैनिकों को लोहे के चने चबवा दिए थे। दरअसल ये महार अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से लड़ रहे थे और इसी युद्ध के बाद पेशवाओं के राज का अंत हुआ था। दलित इस लड़ाई में अपनी जीत मानते हैं। उनके मुताबिक इस लड़ाई में दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले पेशवा की हार हुई थी।

यह भी पढ़ें.....चुनाव घोषणा पत्र में होम्योपैथी को शामिल करें राजनीतिक दल: डा.अनुरूद्ध वर्मा

हर साल जब 1 जनवरी को दुनिया भर में नए साल का जश्न मनाया जाता है उस वक्त दलित समुदाय के लोग भीमा कोरेगांव में जमा होते है। वो यहां 'विजय स्तम्भ' के सामने अपना सम्मान प्रकट करते हैं। ये विजय स्तम्भ ईस्ट इंडिया कंपनी ने उस युद्ध में शामिल होने वाले लोगों की याद में बनाया था। इस स्तम्भ पर 1818 के युद्ध में शामिल होने वाले महार योद्दाओं के नाम अंकित हैं। वो योद्धा जिन्हें पेशवा के खिलाफ जीत मिली थी।

यह भी पढ़ें.....डीपीएस में 70 बच्चों को फेल करने पर अभिभावकों ने किया स्कूल का घेराव

साल 2018 इस युद्ध का 200वां साल था। ऐसे में इस बार यहां भारी संख्या में दलित समुदाय के लोग जमा हुए थे। जश्न के दौरान दलित और मराठा समुदाय के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस दौरान इस घटना में एक शख्स की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हो गए थे। यहां दलित और बहुजन समुदाय के लोगों ने एल्गार परिषद के नाम से शनिवार वाड़ा में कई जनसभाएं की। शनिवार वाड़ा 1818 तक पेशवा की सीट रही है। जनसभा में मुद्दे हिन्दुत्व राजनीति के खिलाफ थे। इस मौके पर कई बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाषण भी दिए थे और इसी दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी।

Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!