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भोपाल गैस त्रासदीः 36 साल, सारे दोषी आजाद, पीड़ित बेबस
भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल बाद भी, सजा सुनाए जाने के बावजूद सभी अभियुक्त खुलेआम घूम रहे हैं। यह पांच लाख गैस पीड़ितों के साथ सबसे बड़ा मजाक है। ये गैस त्रासदी दो दिसंबर और तीन दिसंबर 1984 के दरम्यां भोपाल में हुई थी।
भोपाल गैस त्रासदी के 36 साल बाद भी, सजा सुनाए जाने के बावजूद सभी अभियुक्त खुलेआम घूम रहे हैं। यह पांच लाख गैस पीड़ितों के साथ सबसे बड़ा मजाक है। ये गैस त्रासदी दो दिसंबर और तीन दिसंबर 1984 के दरम्यां भोपाल में हुई थी। विश्व के भीषणतम औद्योगिक त्रासदी की इस घटना में करीब 15000 लोग मारे गए थे। इसके 26 साल बाद फैसला आया जिसमें दोषियों को अधिकतम दो साल की सजा दी गई। जो कि गैस पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़कने जैसा था।
अफसोस की बात ये है कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में दो मामले अभी तक लंबित हैं। जिसमें पहले मामले में दोषियों ने सजा के खिलाफ अपील की है और दूसरे मामले में राज्य सरकार ने सजा बढ़ाने की अपील की है।
मिथाइल गैस लीकेज
मुख्य न्यायिक मजिसट्रेट मोहन तिवारी ने मिथाइल गैस लीकेज के इस मामले में गैर अधिशासी यूसीआईएल चेयरमैन केशुब महिन्द्रा, मैनेजिंग डायरेक्टर विजय गोखले, वाइस प्रेसीडेंट किशोर कामदार, वर्क्स मैनेजर जे मुकुंद, प्रोडक्शन मैनेजर एसपी चौधरी, प्लांट सुपरिटेंडेंट केवी शेट्टी और प्रोडक्शन असिस्टेंट एसएल कुरैशी को सजा सुनाई थी। आठवें अभियुक्त की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी।
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चेयरमैन वारेन एंडरसन हो गया था फरार
यूनियन कार्बाइड का तत्कालीन चेयरमैन वारेन एंडरसन फरार हो गया था। अब उसकी मौत भी हो गई है लेकिन उसको कभी भी ट्रायल के लिए नहीं बुलाया गया। इस पूरे मामले पर देश भर में बखेड़ा खड़ा हो गया था। लेकिन तत्कालीन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा। सीबीआई ने भी इस मामले में कोई रुचि नहीं दिखाई।
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2010 में मध्यप्रदेश सरकार ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई की बात कही लेकिन उसका भी कोई असर नहीं दिखा। भोपाल गैस पीड़ितों की आवाज दब कर रह गई जो कि आज भी जहरीली गैस के प्रभावों से खुद को मुक्त नहीं कर पाए हैं। इस गैस त्रासदी में परिवार के परिवार तबाह हो गए थे। लाशों के ढेर हर तरफ लगे थे। लेकिन इन पीड़ितों की सुध आज तक किसी ने नहीं ली है।