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चीन-नेपाल के बाद अब इस देश ने दिखाई भारत को पीठ, खड़ी की मुश्किलें
चीन संग तनाव, नेपाल में विवादित मैप पास होने के बाद अब भूटान ने भी भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। भूटान का पानी भारत की ओर जाने से रोक दिया गया है।
नई दिल्ली: भारत के पड़ोसी देश इन दिनों सीमा पर मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। पाकिस्तान तो पहले ही लगातार बॉर्डर पर भारत के लिए सिर दर्द बना रहता है लेकिन अब एक चीन के सैनिकों संग तनाव और LAC विवाद बढ़ता जा रहा है तो दूसरी ओर नेपाल संसद में विवादित मैप पास होने के बाद भारत और नेपाल के रिश्तों में भी खट्टास आ गयी। इन सबके बीच भारत को अब इस और देश ने पीठ दिखाना शुरू कर दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक, भूटान ने भी भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
भूटान ने असम की ओर जाने वाला पानी रोका:
दरअसल, भूटान सरकार ने देश से निकलने वाली नदियों का पानी रोक कर असम के किसानों की परेशनी बढ़ा दी है। इसका सबसे ज्यादा असर असम के बक्सा जिले के किसानों पर हो रहा है। पानी के इस्तेमाल पर रोक लगाने से सिंचाई की समस्या खड़ी हो गयी है।
6000 से ज्यादा किसान भूटान की नदियों से आने वाले पानी पर निर्भर
बता दें कि बक्शा जिले में 26 से ज्यादा ऐसे गाँव हैं, जहां 6000 से ज्यादा किसान सिंचाई के स्त्रोत के तौर पर भूटान की नदी पर निर्भर हैं। इसे स्थानीय भाषा में डोंग कहते हैं। किसान इस स्त्रोत का इस्तेमाल साल 1953 के बाद से ही खेतों की सिंचाई के लिए करते हैं। लेकिन अब अचानक से भूटान सरकार के पानी रोकने पर भारतीय किसान नाराज हो गए हैं।
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किसानों ने केंद्र से की मांग, भूटान सरकार से करें बात
इस बाबत बक्शा जिले के किसानों और सिविल सोसायटी के सदस्यों ने विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने भूटान सरकार के फैसले पर नाराजगी जताते हुए रोंगिया-भूटान सड़क पर कई घंटों तक जाम लगा दिया। उन्होंने मांग उठाई की मोदी सरकार भूटान की सरकार से इस मुद्दे पर बातचीत करे और किसानों समाधान निकाले।
बाहरियों की भूटान में एंट्री पर रोक:
वहीं कोरोना वायरस के मद्देनजर भूटान ने बाहरियों की देश में एंट्री पर रोक लगा दी है। हालाँकि हर साल इन दिनों में स्थानीय किसान भारत भूटान सीमा पर समद्रूप जोंगखार इलाके में प्रवेश करते हैं और काला नदी के पानी को अपने खेतों में लाकर सिंचाई करते हैं। लेकिन इस बार भारतीय किसानों को भूटान ने एंट्री नहीं दी।
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पर्टयकों से ज्यादा शुल्क लेने का किया था फैसला
इसके पहले भूटान ने भारतीय पर्टयकों से हर दिन के हिसाब से हजार रुपये ज्यादा शुल्क लेने का फैसला लिया था। ऐसे में भारतीय पर्यटकों को भी अब विदेशी पर्यटकों की तरह ही शुल्क देना पड़ेगा।
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