TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

जानिए किसने कहा नई सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर होगी बड़ी चुनौती

देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इस साल मार्च में 0.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। आर्थिक वृद्धि में अहम योगदान देने वाले औद्योगिक उत्पादन का यह स्तर पिछले 21 माह में सबसे कम रहा है। इसमें भी विनिर्माण क्षेत्र की गिरावट चिंता को और बढ़ाती है।

Dharmendra kumar
Published on: 12 May 2019 12:48 PM IST
जानिए किसने कहा नई सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर होगी बड़ी चुनौती
X

नई दिल्ली: देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में इस साल मार्च में 0.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। आर्थिक वृद्धि में अहम योगदान देने वाले औद्योगिक उत्पादन का यह स्तर पिछले 21 माह में सबसे कम रहा है। इसमें भी विनिर्माण क्षेत्र की गिरावट चिंता को और बढ़ाती है। पूंजीगत सामान, टिकाऊ उपभोक्ता और गैर-टिकाऊ उपभोक्ता सामानों के क्षेत्र का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा है। रोजगार और अर्थव्यवस्था पर इसके संभावित असर के बारे में पेश हैं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एण्ड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) के प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति से ‘भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब

:

सवाल: औद्योगिक उत्पादन में गिरावट से रोजगार पर कितना असर होगा?

जवाब: जब भी आर्थिक गतिविधियां कमजोर पड़ेंगी, उनका रोजगार पर निश्चित ही असर पड़ेगा। वित्त वर्ष 2018- 19 में आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत से भी कम रह सकती है। इस लिहाज से रोजगार पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक है। जब भी अर्थव्यवस्था में विस्तार कम होगा, उसका पहला असर रोजगार के अवसर पर पड़ेगा। यहां तो न केवल विस्तार कम हुआ बल्कि विनिर्माण और पूंजीगत सामानों के क्षेत्र में भी गिरावट आई है। मार्च 2019 में विनिर्माण क्षेत्र में 0.4 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। एक साल पहले मार्च में यह 5.7 प्रतिशत बढ़ा था। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में विनिर्माण क्षेत्र का 77.63 प्रतिशत योगदान है।

यह भी पढ़ें...धोनी की बिटिया ने ऋषभ पंत को सिखाई ‘अ, आ, इ, ई…अक्षरों को डिनर में खाते ऋषभ

सवाल: इस स्थिति में सुधार के लिये क्या उपाय होने चाहिये?

जवाब: आम चुनाव के बाद जो भी सरकार बनेगी, उसके लिये आर्थिक मोर्चे पर उभरती स्थिति को सुधारना सबसे बड़ी चुनौती होगी। घरेलू बैंकिंग क्षेत्र में इस समय जो दबाव की स्थिति है उसे ठीक करने की जरूरत है। बैंकों का फंसा कर्ज, आईएल एण्ड एफएस का कर्ज संकट बड़ी चुनौती है। बैंकिंग क्षेत्र से शुरू हुआ यह मामला अब गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में पहुंच चुका है। यह पूरे वित्तीय क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है। इसके अलावा वित्तीय समायोजन की गुणवत्ता प्राथमिकता सार्वजनिक निवेश बढ़ाने के रूप में होनी चाहिए ना कि लोक खपत बढ़ाने के रूप में। जहां तक वैश्विक स्थिति का मामला है उसमें हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।

सवाल: क्या यह आम चुनाव का असर है?

जवाब: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में गिरावट पर आम चुनावों का थोड़ा बहुत असर हो सकता है लेकिन केवल यही इसकी एकमात्र वजह नहीं है। पिछले पांच महीने से ही इसमें गिरावट का रुख बना हुआ है। वास्तव में पिछले साल सितंबर- अक्टूबर के बाद से ही इसमें गिरावट का रुख बन गया था। यह स्थिति वित्त वर्ष 2019- 20 की पहली छमाही में भी बनी रह सकती है।

यह भी पढ़ें...मजबूत, निर्णायक और ईमानदार सरकार के लिए वोट दे रहा देश: PM मोदी

सवाल: क्या यह नोटबंदी, जीएसटी अथवा अमेरिका- चीन के बीच जारी व्यापारिक तनाव का असर है?

जवाब: अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति में तीन बातें मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। पहला- वैश्विक अर्थव्यवस्था में पिछली तिमाही के दौरान नरमी का रुख रहा। कच्चे तेल के दाम में उतार- चढ़ाव के रुख से भी बीच-बीच में समस्यायें खड़ी हुई हैं। दूसरा- देश के बैंकिंग क्षेत्र की समस्या लगातार उलझती जा रही है। रिजर्व बैंक की रेपो दर में दो बार कटौती का अनुकूल असर देखने को नहीं मिला है। जमा राशि पर ब्याज दर में कमी हुई है लेकिन कर्ज पर ब्याज दर पर यह असर देखने को नहीं मिला। तीसरी वजह राजकोषीय समायोजन की रही है। राजकोषीय घाटे को तय दायरे में रखने के लिये निवेश खर्च कम हुआ है जबकि किसानों की कर्ज माफी जैसा खपत वाला व्यय बढ़ा है।

यह भी पढ़ें...Crime Updates: दिनभर की बड़ी घटनाओं की खबरें, पाएँ सिर्फ एक क्लिक में

सवाल: विनिर्माण क्षेत्र की यदि बात की जाए तो वाहन कंपनियों की बिक्री सुस्त पड़ी है। क्या सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जाना इसकी वजह रही है?

जवाब: वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम में उतार चढ़ाव पर कंपनियों की नजर है। दूसरा, सार्वजनिक परिवहन में ओला, उबर जैसी सेवाओं के आने का भी थोड़ा बहुत प्रभाव इसमें हो सकता है। इसके अलावा जैसा कि मैंने कहा है कि राजकोषीय लक्ष्यों को निर्धारित मानदंडों के भीतर रखने के लिये राजकोषीय सख्ती के चलते विनिर्माण क्षेत्र में निवेश पर दबाव बढ़ा है।

भाषा



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story