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2021 में आ सकते हैं बड़े भूकम्प, गर्मियों में बढ़ जाएगा खतरा
वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकम्प के झटके गर्मियों में ज्यादा देखने को मिलते हैं। तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कई बार दो टेक्टोनिक प्लेटों की बीच में बनी गैस या प्रेशर जब रिलीज होता है तब हमें भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: 2021 में देश में भूकम्पों का खतरा बढ़ रहा है। खासकर जब कि ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट हिमालयन टेक्टोनिक प्लेट की तरफ खिसक रही है। इसकी वजह से हमें गर्मियों में ज्यादा झटके महसूस हो सकते हैं जिसके लिए सतर्क रहने की जरूरत है।हालात की गंभीरता को देखते हुए नेशनल सीस्मोलॉजिकल नेटवर्क 2021-22 में 35 फील्ड स्टेशन लगाने जा रहा है जो धरती के नीचे की गतिविधियों की सूचना देंगे। इसके साथ ही देश में कुल 150 भूकंप स्टेशन हो जाएंगे।
एक जनवरी से 31 दिसंबर तक भारत की धरती 965 बार हिली
पिछले साल एक जनवरी से 31 दिसंबर तक भारत की धरती 965 बार हिली है। जो कि एक चौंकाने वाली बात है और देश के विज्ञान, तकनीकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने खुद यह बात संसद में स्वीकार की है। भूकंप का ताजा झटका असम के मोरीगांव में दो मार्च को तड़के 1.32 बजे महसूस किया गया है। जिसे रिक्टर स्केल पर 2.9 तीव्रता का बताया गया है। इसके अलावा सोमवार रात को ही निकोबार द्वीप में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह झटके रात 11.15 बजे महसूस हुए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी ने इनकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.2 मापी है।
सबसे ज्यादा असुरक्षित शहरों में दिल्ली
लेकिन भूकम्पों के ट्रेंड को देख कर लगता है कि भूकम्प से सबसे ज्यादा असुरक्षित शहरों में दिल्ली प्रमुख है। पिछले साल लगे 965 झटकों में 13 सिर्फ दिल्ली एनसीआर में आए। और ये सभी तीन तीव्रता के ऊपर के थे। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2021 में भूकम्प का बड़ा झटका दिल्ली की गगनचुम्बी इमारतों को हिला सकता है।
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वैज्ञानिकों का मानना है कि भूकम्प के झटके गर्मियों में ज्यादा देखने को मिलते हैं। तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन भी इसमें अहम भूमिका निभाता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक कई बार दो टेक्टोनिक प्लेटों की बीच में बनी गैस या प्रेशर जब रिलीज होता है तब हमें भूकंप के झटके महसूस होते हैं।
देश को चार भूकंप जोन में बांटा गया है
देश को चार भूकंप जोन में बांटा गया है। जोन-5 यानी सबसे ज्यादा भूकंपीय गतिविधियों वाले स्थान हैं। इनमें कश्मीर घाटी, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात का कच्छ, उत्तरी बिहार, सभी उत्तर-पूर्वी राज्य और अंडमान-निकोबार शामिल हैं।
जोन-4 में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, यूपी का उत्तरी हिस्सा, बिहार और पश्चिम बंगाल का कुछ हिस्सा, गुजरात और महाराष्ट्र का पश्चिमी हिस्सा और राजस्थान का सीमाई इलाका ऱखा गया है।
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जोन-3 में केरल, लक्षद्वीप, उत्तर प्रदेश का निचला इलाका, गुजरात-पंजाब के कुछ हिस्से, पश्चिम बंगाल का हिस्सा, मध्यप्रदेश, उत्तरी झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक हैं। जोन-2 यानी सबसे कम भूकंपीय गतिविधि वाला जोन हैं। इसमें कई राज्यों के कुछ छोटे-छोटे हिस्से आते हैं।
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